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कहीं आपका बच्चा भी तो रात में गीला नहीं करता बिस्तर, ऐसे करें इलाज; पढ़े एक्सपर्ट की राय

Bedwetting डॉ. संदीप कुमार सिन्हा ने बताया कि बच्चे को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने दें जिसमें कैफीन नमक और शुगर की मात्रा अधिक होती है- विशेषकर शाम के समय।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 03:41 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 08:30 AM (IST)
कहीं आपका बच्चा भी तो रात में गीला नहीं करता बिस्तर, ऐसे करें इलाज; पढ़े एक्सपर्ट की राय
कहीं आपका बच्चा भी तो रात में गीला नहीं करता बिस्तर, ऐसे करें इलाज; पढ़े एक्सपर्ट की राय

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। Bedwetting नवजात शिशु और छोटे बच्चे भी रात में दो से तीन बार पेशाब करते हैं, क्योंकि इनमें मस्तिष्क और यूरिनरी ब्लैडर के मध्य संबंध पूरी तरह से निर्मित नहीं होता है। जैसे-जैसे छोटे बच्चों की उम्र बढ़ती है, यह संबंध विकसित हो जाता है और मस्तिष्क, ब्लैडर को नियंत्रित करने लगता है।

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इसके परिणामस्वरूप यूरिन पास करने की जरूरत होने पर मस्तिष्क सजग हो जाता है और नींद खुल जाती है, लेकिन अनेक बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता है, किशोर उम्र में भी नींद में अक्सर ब्लैडर पर उनका नियंत्रण नहीं रहता और वे बिस्तर पर ही पेशाब कर देते हैं। जानें क्‍या कहते है दिल्ली के रेनबो चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. संदीप कुमार सिन्हा।

नॉकटर्नल एनुरेसिस

रात में बिस्तर गीला करने की समस्या को मेडिकल भाषा नें नॉकटर्नल एनुरेसिस कहते हैं। यह समस्या पांच साल तक के बच्चों में अक्सर देखी जाती है, लेकिन कई बच्चों में पांच साल के बाद भी यह समस्या बनी रहती है। हालांकि अधिकतर मामलों में नॉकटर्नल एनुरेसिस की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है और इलाज की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में इलाज जरूरी हो जाता है।

नॉकटर्नल एनुरेसिस के प्रकार

यह समस्या दो प्रकार की होती है...

प्राइमरी एनुरेसिस: इसमें बच्चे का ब्लैडर पर नियंत्रण नहीं होता और वह हमेशा बिस्तर गीला कर देता है।

सेकंडरी एनुरेसिस: जब बच्चों का कभी ब्लैडर पर नियंत्रण रहता है, कभी नहीं रहता तो इसे सेकंडरी एनुरेसिस कहते हैं।

क्या हैं कारण

  • आनुवांशिक कारण
  • रात में उठ नहीं पाना
  • ब्लैडर या किडनी रोग
  • कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स
  • किडनी में रात में यूरिन अधिक बनना
  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया नामक रोग होना
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित समस्याएं।

माता-पिता के लिए टिप्स

  • बच्चे को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने दें जिसमें कैफीन, नमक और शुगर की मात्रा अधिक होती है- विशेषकर शाम के समय।
  • अपने बच्चे को दिन के समय नियमित रूप से प्रत्येक दो या तीन घंटे पर और बिस्तर पर जाने के ठीक पहले यूरिन पास करने के लिए प्रेरित करें।
  • रात में एक बार बच्चे को यूरिन पास करने के लिए उठाएं, लेकिन एक बार से अधिक नहीं क्योंकि इससे उसकी नींद खराब हो जाएगी।
  • अधिकतर बच्चों में किशोरवास्था प्रारंभ होने तक या उसके पहले ही यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। सेकंडरी एनुरेसिस को इसके कारणों का पता लगाकर ठीक किया जा सकता है। अगर किशोरावस्था समाप्त होने तक भी यह समस्या खत्म न हो तो शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लें।

बेड वेटिंग अलार्म

जो बच्चे एनुरेटिक (बेड वेटिंग) अलार्म का इस्तेमाल करते हैं, उनमें से लगभग आधे बच्चे कुछ सप्ताह बाद रात में बिस्तर गीला नहीं करते हैं। जैसे ही बच्चे का अंडरवियर गीला होता है, अलार्म बजने लगता है। समय के साथ मस्तिष्क इस बात के लिए प्रशिक्षित हो जाता है कि अलार्म बजने पर उठकर यूरिन पास करने के लिए जाना है। इस मर्ज में कुछ दवाएं भी दी जाती हैं।

इलाज के बारे में

डॉ. संदीप कुमार सिन्हा ने बताया कि अगर बच्चे को यह समस्या तनाव या किसी और स्वास्थ्य समस्या के कारण है तो पहले उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है।

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