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    अरावली को बचाने के लिए सरकार का बड़ा आदेश, दिल्ली से गुजरात तक नई माइनिंग लीज पर रोक

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 08:28 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने राज्यों को अरावली में नई माइनिंग लीज देने पर पूरी तरह से रोक लगाने का निर्देश दिया है। सरकार अरावली इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए प्रतिब ...और पढ़ें

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    केंद्र ने राज्यों को अरावली में नई माइनिंग लीज देने पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्देश दिया है। (फोटो सोर्स- ANI)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अरावली पर्वतमाला को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच केंद्र सरकार ने अरावली रेंज में नया खनन पट्टा देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। 

    केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के मुख्य सचिवों को बुधवार को लिखे पत्र में साफ कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत व उसकी ओर से मंजूर की गई नीति के तहत अरावली के संरक्षण और खनन के लिए नए क्षेत्रों की पहचान नहीं हो जाती है तब तब यह प्रतिबंध लागू रहेगा।

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    केंद्र पर लग रहे थे आरोप

    मंत्रालय का यह निर्देश इसलिए भी अहम है क्योंकि अरावली पर्वत की नई परिभाषा के बाद केंद्र पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि उसमें यह परिभाषा इसलिए बनाई है कि अरावली के बड़े हिस्से में खनन की अनुमति दी जा सके।

    वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से अरावली रेंज के तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में इसके साथ ही जो मौजूदा समय में खदानें चल रही है, उन पर भी कड़ी निगरानी बढ़ाने के केंद्र ने निर्देश दिए है। साथ ही कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि इन क्षेत्रों में खनन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत ही हो।

    कब मिलेगी नए खनन की अनुमति?

    मंत्रालय ने कहा है कि अरावली रेंज में अब तक तभी किसी नए खनन की अनुमति दी जाएगी, जब इसका एक वैज्ञानिक व उसके संरक्षण से जुड़ा एक मैनेजमेंट प्लान तैयार नहीं हो जाता है।

    मंत्रालय के सहायक आयुक्त जितेश कुमार ने इसके साथ इंडियन काउंसिल आफ फारेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन ( आइसीएफआइइ) के महानिदेशक को भी एक पत्र लिखा है, जिसमें कोर्ट के निर्देशों के तहत जल्द ही अरावली रेंज का मैनेजमेंट प्लान फार सस्टेनेबल माइनिंग ( एमपीएसएम) बनाने को कहा है। जिसमें प्रतिबंधित और खनन के लिए उपयोगी अतिरिक्त क्षेत्रों की भी पहचान करने को कहा है।

    अभी अरावली रेंज के सभी राज्यों में खनन के अपने नियम है। जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को एक एक जैसे नियम बनाने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने को कहा था।

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