केंद्र सरकार ने मेडिकल एजुकेशन को बढ़ावा देने के UG और PG के लिए बढ़ाई इतनी सीटें, आखिर क्या है लक्ष्य?
भारत में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी संस्थानों में 5000 नए पोस्टग्रेजुएट और 5023 एमबीबीएस सीट्स को मंजूरी दी है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग की क्षमता निर्माण योजना को भी स्वीकृति दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे स्वास्थ्य और अनुसंधान क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर बताया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सरकारी संस्थानों में 5,000 नए पोस्टग्रेजुएट (PG) और 5,023 एमबीबीएस सीट्स के सृजन को मंजूरी दी है।
इसके साथ ही वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) की क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास योजना को 2,277 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ हरी झंडी दिखाई गई है।
ये कदम देश में कुशल डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की संख्या बढ़ाने के लिए एक मजबूत कदम हैं। ये भारत को वैश्विक स्वास्थ्य और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में ले जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन फैसलों को देश के स्वास्थ्य और अनुसंधान क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर बताया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में विस्तार से देश के हर कोने में कुशल डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जबकि DSIR योजना नवाचार और उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देगी।
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केंद्र और राज्य सरकार कितना पैसा देगी?
चिकित्सा शिक्षा के लिए स्वीकृत तीसरे फेज की योजना 2025-29 तक 15,034 करोड़ रुपये की लागत से लागू होगी। इसमें केंद्र सरकार 10,303 करोड़ और राज्य सरकारें 4,731 करोड़ रुपये वहन करेंगी।
इस योजना के तहत राज्य और केंद्रीय मेडिकल कॉलेजों, स्टैंडअलोन PG संस्थानों और सरकारी अस्पतालों का उन्नयन किया जाएगा। प्रति सीट लागत सीमा को बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये किया गया है।
इन चुनौतियों से निपटने का लक्ष्य
इस विस्तार से विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी, नई चिकित्सा विधाएं शुरू होंगी और मौजूदा बुनियादी ढांचे का बेहतर उपयोग होगा। भारत में पहले से ही 808 मेडिकल कॉलेज और 1.23 लाख एमबीबीएस सीट्स हैं, जो विश्व में सबसे अधिक हैं।
पिछले एक दशक में 69,000 एमबीबीएस और 43,000 PG सीट्स जोड़ी गई हैं। फिर भी, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी एक चुनौती ह। इस योजना के जरिए इन चुनौतियों से पार पाने का लक्ष्य है।
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