जातिवार गणना पर श्रेय लेने की होड़, कांग्रेस ने बताई अपनी जीत; तो बीजेपी ने आंकड़े किए पेश
जातिवार गणना पर सियासी घमासान देखने को मिल रहा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों श्रेय लेने की होड़ में लगी हैं। कांग्रेस इसे अपनी जीत बता रही है तो बीजेपी ...और पढ़ें

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। जातिवार गणना को लेकर राजनीतिक दांव 'तू डाल-डाल, मैं पात-पात' वाले अंदाज में चल रहे हैं। कांग्रेस, सपा और राजद जैसे विपक्षी दल जातिवार गणना के मुद्दे को गर्माकर जब अपने लिए जमीन मजबूत करने के प्रयास में थे तो गणना का निर्णय कर सत्ताधारी दल ने विपक्ष से हथियार छीनने का प्रयास किया।
मगर, अब श्रेय लेने की होड़ तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे अपनी जीत बताने के लिए देशव्याही अभियान की रूपरेखा बनाई है तो भाजपा भी कमर कस तैयार है। वह मोदी सरकार की योजनाओं के आंकड़ों के सहारे वंचितों के कल्याण की कहानी जन-जन तक पहुंचाकर विपक्षी धार को कुंद करने के प्रयास में है। जाति के जंजाल में पूरी तरह से जकड़े बिहार में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं।
श्रेय लूटने के लिए कोई मौका नहीं गंवाना चाहते राजनीतिक दल
निस्संदेह इस जातिवार गणना के मुद्दे पर विपक्षी दलों के रहे जोर और सरकार के निर्णय के परिणाम की पहली परीक्षा वहीं होनी है, लेकिन सभी दल देश में ओबीसी और दलित वर्ग के राजनीति पर पड़ने वाले प्रभाव को जानते हैं, इसलिए श्रेय लूटने के लिए कोई मौका नहीं गंवाना चाहते।
सपा और राजद जैसे दलों का दायरा सिर्फ अपने-अपने राज्यों में सिमटा है, लेकिन कांग्रेस ने तैयारी कर ली है कि देशभर में वंचित वर्ग तक यह संदेश पहुंचाया जाए कि सरकार को कांग्रेस के दबाव में ही निर्णय लेना पड़ा।
जातिवार गणना पर बीजेपी ने तेज किया अभियान
इस दांव से पूरी तरह सतर्क भाजपा ने भी अपना अभियान तेज कर दिया है। इसकी कमान मुख्य रूप से भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने अपने हाथ में ली है। मोर्चा के अधिकृत एक्स हैंडल पर वंचित वर्ग के हित, मोदी सरकार कर रही सुनिश्चित, आत्मनिर्भर बनें वंचित, मोदी सरकार कर रही सुनिश्चित, पिछड़े वर्ग का कल्याण, मोदी सरकार की पहचान, मोदी सरकार का अटल इरादा, वंचितों के जीवन में न आए कोई बाधाई..! जैसे शीर्षक सबका साथ, सबका विकास हैशटैग के साथ चलाए जा रहे हैं।
बीजेपी गिना रही योजनाओं के आंकड़े
इनमें तमाम योजनाओं के आंकड़े साझा कर बताया जा रहा है कि इनका सबसे अधिक लाभ वंचित वर्ग यानी ओबीसी और एससी-एसटी को ही मिला है। उदाहरणस्वरूप, प्रधानमंत्री आवास योजना में 1.77 करोड़ वंचितों को पक्का घर मिला। पीएम मुद्रा योजना में 51 प्रतिशत वंचितों को लाभ मिला। स्टैंडअप इंडिया योजना से 35 हजार से अधिक एससी-एसटी उद्यमी लाभान्वित हुए।
पीएम स्वनिधि योजना में 60 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को फायदा मिला, जिसमें ओबीसी की 46 प्रतिशत, एससी की 21 प्रतिशत और एसटी की तीन प्रतिशत भागीदारी है। इसी तरह उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों में 48 प्रतिशत परिवार एससी-एसटी वर्ग से हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि सभी राज्यों में ओबीसी और एससी-एसटी मोर्चा से कहा गया है कि योजनाओं के आंकड़ों सहित वंचित वर्ग के बीच जाएं और बताएं कि सरकार ने लगातार वंचितों के लिए काम किया है और उसे ही आगे बढ़ाते हुए जातिवार गणना का निर्णय लिया है।

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