'जाति जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल अपनाए सरकार', खरगे ने की राजनीतिक दलों की बैठक बुलाने की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर जातिवार जनगणना कराने और आरक्षण की सीमा बढ़ाने का आग्रह किया है। उन्होंने तेलंगाना मॉडल का अनुसरण करने और सभी दलों से बातचीत करने का सुझाव दिया है। खरगे ने पीएम मोदी को सोमवार को लिखे अपने पत्र में लिखा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा को हटाने के लिए संविधान में संशोधन की मांग की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जातिवार जनगणना के राजनीतिक विमर्श को कांग्रेस के ईद-गिर्द रखने की रणनीति के तहत पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अब जातिवार जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल अपनाने के साथ इस पर सभी राजनीतिक दलों से बातचीत की पैरोकारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।
खरगे ने प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र में राजनीतिक दलों से संवाद का आग्रह करते हुए आरक्षण की वर्तमान अधिकतम 50 फीसद कैपिंग को हटाने तथा अनुच्छेद 15(5) के अंर्तगत निजी शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण प्रविधान को तुरंत लागू करने की भी मांग की है।
खरगे ने की संविधान में संशोधन की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी को सोमवार को लिखे अपने इस पत्र को एक्स पर मंगलवार को साझा किया जिसमें आरक्षण की अधिकतम सीमा को हटाने के लिए संविधान में संशोधन की मांग की है। खरगे ने कहा है कि ऐसी कोई भी प्रक्रिया पिछड़े, शोषित और हाशिए पर खड़े वर्गों को अधिकार प्रदान करती है तो उसे किसी भी तरह से विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए।
पहलगाम के कायरतपूर्ण आतंकवादी हमले के बाद देश की एकजुटता का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा महान राष्ट्र और हमारे बड़े दिल वाले लोग हमेशा जरूरत पड़ने पर एक साथ आए हैं। उन्होंने 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को भेजे अपने पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि दुर्भाग्य से इसका कोई जवाब नहीं मिला और भाजपा के नेताओं और आपने खुद कांग्रेस तथा उसके नेतृत्व पर इसको लेकर हमला किया।
जाति जनगणना में तेलंगाना मॉडल का उपयोग कर सकती है सरकार: खरगे
जातिवार जनगणना को लेकर सरकार को सुझाव देते हुए खरगे ने कहा कि जाति संबंधी जानकारी गिनती के उद्देश्य से नहीं बल्कि बड़े सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एकत्र किया जाना चाहिए। इसके लिए गृह मंत्रालय को तेलंगाना मॉडल का उपयोग कर प्रश्नावली को अंतिम रूप देने के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली और पूछे गए अंतिम प्रश्नों के सेट दोनों को ध्यान में रखना चाहिए।
अंतिम रूप से प्रकाशित रिपोर्ट में कुछ भी छिपाया नहीं जाना चाहिए ताकि प्रत्येक जाति का पूरा सामाजिक-आर्थिक डाटा उपलब्ध कराया जा सके। इससे एक जनगणना से दूसरी जनगणना में सामाजिक-आर्थिक प्रगति को मापा जा सकेगा।
आरक्षण की अधिकतम सीमा हटाने के लिए खरगे ने पत्र में तमिलनाडु का उदाहरण दिया है जिसमें वहां के आरक्षण कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में संरक्षित किया गया है और इसलिए अन्य राज्यों के कानूनों को भी यह संरक्षण मिलना चाहिए। जबकि ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के लिए निजी शैक्षणिक संस्थाओं में प्रभावी करने के लिए खरगे ने अनुच्छेद 15(5) को तत्काल लागू किए जाने की भी पैरोकारी की है।
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