Delhi Air Pollution: 'वायु प्रदूषण रोकने के लिए सरकारें गंभीर नहीं', कैबिनेट सचिव की बैठक में उठा मुद्दा, राज्यों को दी गई हिदायत
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर कैबिनेट सचिव की बैठक हुई। बैठक में राज्य सरकारों के रवैये को लेकर चर्चा की गई। वायु प्रदूषण पर राज्य सरकारें काफी सुस्त दिखाई दे रही हैं। जबकि इससे निपटने के लिए केंद्र की ओर से राज्यों को अब तक करीब चार हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके है। वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली में कई तरह के कदम उठाए गए हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बढ़े वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली-एनसीआर की सांसें भले ही पिछले 10 दिनों से फूल रही है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार राज्य सरकारों का रवैया अभी भी ढुलमुल है। इन राज्यों में पराली जलने की घटनाओं से लेकर वायु प्रदूषण पैदा करने वाले अन्य कारणों पर किसी तरह की कोई सख्ती तब तक नहीं दिखती है, जब तक दिल्ली-एनसीआर गहरी धुंध से घिर नहीं जाता है।
यह स्थिति तब है कि इससे निपटने के लिए केंद्र की ओर से इन सभी राज्यों को अबतक करीब चार हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके है। इनमें राज्यों को सबसे अधिक करीब 3300 करोड़ रुपए अकेले पराली प्रबंधन के लिए ही दिए गए है। बावजूद इसके इन सभी राज्यों में धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है।
वहीं, रोकथाम न होने से जुड़े सवालों पर अब दूसरे बहाने करने लगे है। चौंकाने वाली बात यह है कि अकेले पंजाब को अब तक पराली प्रबंधन के लिए सबसे अधिक करीब 1531 करोड़ रुपए दिए गए जा चुके है। इसके तहत उन्हें करीब 1.20 लाख हैपी सीडर मशीनें खरीद कर दी गई।
इसके साथ ही उन्हें करीब आठ हजार एकड़ में पराली को नष्ट करने के लिए बायो-डीकंपोजर छिड़काव करने के लिए दिया गया था, लेकिन जब पराली जलने की घटनाएं बढ़ी तो पड़ताल की गई तो पता चला कि उन्होंने मशीनों की कोई इस्तेमाल ही नहीं किया। वह डंप पड़ी है।
बुधवार को कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हुए बैठक में जब इसे लेकर सवाल पूछा गया तो पंजाब ने मशीनों के चलने की बात को भटकाते हुए धान के अतिरिक्त दूसरी अन्य फसलों पर एमएमपी देने का मुद्दा छेड़ दिया।
वहीं, हरियाणा की बात करें तो यहां पराली जलने की अब तक करीब 16 सौ घटनाएं रिपोर्ट हुई है। वहीं, उत्तर प्रदेश को भी पराली जलने की घटनाओं पर रोकथाम के लिए अब तक करीब छह सौ करोड़ रुपए दिए गए है, लेकिन वहां भी पराली जलने की घटनाएं पहले की तुलना में बढ़ी है। यह संख्या हालांकि सौ के आसपास ही है।
इन राज्यों को पराली प्रबंधन के साथ ही डस्ट मैनेजमेंट के लिए भी करोड़ों रुपए दिए गए है। अकेले यूपी को ही सड़क से धूल को साफ करने के लिए करीब तीन करोड़ की मशीनें दी गई है। इसी तरह हरियाणा को भी दो करोड़ रुपए डस्ट साफ करने वाली मशीनों के लिए दिए गए है। हालांकि इस राशि को अभी यह दोनों ही राज्य आधा ही खर्च कर पाए है।
इसके अलावा केंद्र ने पराली को चारे में इस्तेमाल करने और इसे थर्मल पावर में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भी वित्तीय सहायता मुहैया कराई है। इसके तहत करीब पांच करोड़ रुपए खर्च किए गए है।
रिपोर्ट की मानें तो इससे पराली की समस्या पूरी तरह खत्म हो जानी थी, लेकिन वह जस की तस बनी हुई है। इसके साथ ही दिल्ली को भी पराली संकट से निपटने के लिए करीब पांच करोड़ रुपए दिए गए थे।
इसके साथ ही पर्यावरण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली ने एक सेस भी लगाया है, जिससे अब तक करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए आए है, लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण की मानें तो इसमें से सिर्फ कुछ करोड़ ही खर्च किए गए है।
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