भारत में होगी चिनफिंग और पुतिन की सीक्रेट मीटिंग? जानिए आखिर क्या है दोनों दिग्गजों का प्लान
ब्रिक्स संगठन को लेकर अमेरिका की चिंता के बावजूद भारत इसकी भूमिका को लेकर स्पष्ट है। अगले सप्ताह ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डॉ सिल्वा पीएम मोदी को ब्रिक्स की अध्यक्षता सौंपेंगे। 2026 में भारत में होने वाले शिखर सम्मेलन में शी चिनफिंग ब्लादिमीर पुतिन और मसूद पजेशकियान जैसे नेता भाग ले सकते हैं।

जयप्रकाश रंजन, जागरण। नई दिल्ली। अमेरिका ब्रिक्स में भारत की सहभागिता को लेकर भले ही नाक-भौं चढ़ाये, लेकिन दस देशों के इस संगठन को लेकर किसी भी तरह के असमंजस में नहीं है। अगले हफ्ते सात जुलाई को रियो डी जेनेरो में ब्रीजाल के राष्ट्रपति लुला डॉ सिल्वा पीएम नरेन्द्र मोदी को ब्रिक्स संगठन के अगले अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपेंगे।
अगर सब कुछ ठीक रहा तो वर्ष 2026 के भारत में होने वाले शिखर सम्मेलन में अमेरिका की आंखों में चुभने वाले राष्ट्रपति शी चिनफिंग, राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेशकियान शिरकत करेंगे।
भारत में हो सकता है अगला ब्रिक्स सम्मलेन
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बात की मंशा जता दी है कि जिस तरह से वर्ष 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन को भारत ने सफल आयोजन किया था, उसी तरह से ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का भी आयोजन होगा। वर्ष 2022 में भी ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत ने की थी लेकिन तब कोविड, रूस-यूक्रेन युद्ध व चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों की वजह से आयोजन की ज्यादातर बैठकें ऑनलाइन ही की गई थी।
अगले साल भारत आ सकते हैं रूसी राष्ट्रपति पुतिन
यह पूछे जाने पर कि क्या पुतिन और चिनफिंग अगले वर्ष भारत आ सकते हैं तो विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, “इस बात की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। पुतिन बहुत ही कम देशों की यात्रा पर जाते हैं, लेकिन वह इस साल भी भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने नई दिल्ली दौरे पर आने वाले हैं। जबकि भारत और चीन के संबंधों में सुधार हो रहा है। ऐसे में बहुत संभव है कि चीन के राष्ट्रपति भी ब्रिक्स सम्मेलन के लिए यहां आये। ब्रिक्स की शुरुआत चीन ने ही की थी और वह शिखर सम्मेलन को लगातार दो वर्षों तक वह नजरअंदाज नहीं करना चाहेंगे।''
चीन के राष्ट्रपति भी आ सकते हैं भारत
चीन के राष्ट्रपति चिनिफिंग इस साल ब्राजील शिखर सम्मेलन में नहीं जा रहे। उनकी जगह पीएम ली कियांग जा रहे हैं। राष्ट्रपति चिनफिंग वर्ष 2019 के बाद भारत नहीं आये हैं। अक्टूबर, 2024 में पीएम मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग के बीच हुई मुलाकात में संबंधों को पटरी पर लाने की सहमति बनी थी। इसके तहत आने वाले महीनों में कई कदम उठाए जाने की संभावना है।
भारत हर तरह के वैश्विक संगठन में निभा रहा भूमिका
अमेरिका के कुछ नेताओं ने हाल के महीनों में कई बार ब्रिक्स में भारत की सहभागिता को लेकर टिप्पणी की है। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक मामले) धाम्मु रवि का कहना है कि भारत हर तरह के वैश्विक संगठन में बड़ी भूमिका निभा सकता है। इसलिए अगले कुछ दिनों बाद अगर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम हिस्सा लेंगे तो अभी अमेरिका में क्वाड संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर हिस्सा लेने के लिए वहां पहुंच चुके हैं।
अमेरिका ब्रिक्स पर अमेरिकी डॉलर के प्रभाव को कमतर करने का भी आरोप लगाता है। इस बारे में धाम्मु रवि ने सोमवार को ब्रीफिंग में बताया कि, “अमेरिकी डॉलर काफी मजबूत है और आगे भी इसकी मजबूती बनी रहेगी। लेकिन अन्य देश भी दूसरे विकल्पों की तलाश में है। एक ही व्यवस्था पर निर्भरता को लेकर काफी ज्यादा शंकाएं हैं।''
पाकिस्तान भी बनना चाहता है ब्रिक्स का हिस्सा
जानकारों ने बताया है कि 7 जुलाई, 2025 को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद जारी होने वाले संयुक्त बयान में स्थानीय मुद्रा को बढ़ावा देने को लेकर सदस्य देशों की तरफ से प्रतिबद्धता जताई जाएगी। ब्रिक्स की शुरुआत चीन ने भारत, ब्राजील, रूस के साथ की थी। बाद में इसमें दक्षिण अफ्रीका को भी शामिल किया गया।
पिछले वर्ष इसमें छह और सदस्यों को शामिल किया गया, लेकिन सऊदी अरब ने इसमें शामिल होने की सहमति नहीं दी है। लेकिन इथियोपिया, यूएई, ईरान, इंडोनेशिया और मिस्त्र इसमें सदस्य बन चुके हैं। पाकिस्तान समेत दूसरे कई देश इसमें सदस्य बनना चाहते हैं।
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