चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, 2002 की मतदाता सूची में नाम वालों को सुनवाई में आने की जरूरत नहीं
चुनाव आयोग ने बंगाल में 2002 की मतदाता सूची में शामिल लोगों के लिए अहम फैसला लिया है। अब ऐसे मतदाताओं को सुनवाई के लिए उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं ह ...और पढ़ें

2002 की मतदाता सूची में नाम वालों को अब सुनवाई के लिए आने की जरूरत नहीं (प्रतिकात्मक फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : चुनाव आयोग ने बंगाल में मतदाताओं की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने कहा है कि जिन लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में शामिल हैं, उन्हें अब सुनवाई के लिए आने की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों को अब सुनवाई के लिए नोटिस नहीं भेजा जाएगा।
अगर 2002 की मतदाता सूची में नाम वाले लोगों को ऐसा नोटिस मिलता भी है तो उन्हें सुनवाई के लिए आने की जरूरत नहीं है। इस बीच बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय की ओर से बताया गया है कि तृणमूल कांग्रेस सांसद काकुली घोष दस्तीदार की वृद्ध मां को सुनवाई के लिए आने की जरुरत नहीं होगी। वे अगर चाहेंगी तो उनके घर पर ही सुनवाई की जाएगी।
मालूम हो कि काकुली की मां बहन व दो बेटों को सुनवाई के लिए नोटिस भेजा गया है। सीईओ कार्यालय का कहना है कि इन लोगों का 2002 की मतदाता सूची से कोई लिंक नही मिला है। काकुली ने इसे उनके परिवार को परेशान करने की साजिश बताया है।
मंत्री की बेटी को सुनवाई का नोटिस
उत्तर बंगाल विकास विभाग की राज्यमंत्री सबीना यास्मीन की बेटी फिजा को एसआइआर संबंधी सुनवाई का नोटिस मिला है। फिजा पिछले साल से अमेरिका में रहकर पढ़ाई कर रही है। उसका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं है। सबीना के करीबी सूत्रों ने बताया कि 2002 में फिजा का जन्म नहीं हुआ था।

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