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    ऑनर किलिंग भी हो सकता बदायूं कांड : डीजीपी

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    Updated: Sun, 08 Jun 2014 08:49 AM (IST)

    दुष्कर्म के बाद बदायूं की दो बहनों को मार कर पेड़ से लटकाने की वारदात पर जब देश-विदेश में उत्तर प्रदेश सरकार की लानत-मलामत हो रही है, बावजूद इसके उप्र पुलिस के मुखिया एएल बनर्जी इस जघन्य वारदात के पीछे 'ऑनर किलिंग' की आशंका जताई है। उन्होंने कहा है कि आरोपियों में एक-दो निर्दोष भी हो सकते हैं। अलबत्ता यह जरूर जोड़ा कि उनका पॉलीग्राफी और नार्को टेस्ट कराया जाएगा।

    लखनऊ। दुष्कर्म के बाद बदायूं की दो बहनों को मार कर पेड़ से लटकाने की वारदात पर जब देश-विदेश में उत्तर प्रदेश सरकार की लानत-मलामत हो रही है, बावजूद इसके उप्र पुलिस के मुखिया एएल बनर्जी इस जघन्य वारदात के पीछे 'ऑनर किलिंग' की आशंका जताई है। उन्होंने कहा है कि आरोपियों में एक-दो निर्दोष भी हो सकते हैं। अलबत्ता यह जरूर जोड़ा कि उनका पॉलीग्राफी और नार्को टेस्ट कराया जाएगा।

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    बदायूं कांड की जांच पहले दिन से ही सवालों के घेरे में है। पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने के बावजूद पुलिस ने यह जानने की जहमत नहीं की कि पेड़ पर लटकाने से पहले लड़कियों से किस स्थान पर दुष्कर्म किया गया। हत्या के बाद लड़कियों को पेड़ पर लटकाया या उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया। बड़े दबावों के बाद मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच की केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी। सिफारिश के बाद राज्य पुलिस किसी भी राजफाश से बचती है लेकिन उत्तर प्रदेश तो ऐसे हर मामले में अपवाद है।

    पुलिस महानिदेशक ने प्रमुख सचिव (गृह) व दूसरे आला हाकिमों की मौजूदगी में शनिवार को कह दिया कि लड़कियों के गायब होने के बाद उनके परिवार ने कुछ लोगों से लंबी-लंबी बातें की हैं। ऐसे सैकड़ों लोगों की कॉल डिटेल निकाली गई हैं। इनमें से एक लड़की परिवार की अकेली संतान थी। उसकी संपत्ति हड़पने की भी साजिश हो सकती है। जो साक्ष्य मिले हैं, उससे यह घटना ऑनर किलिंग भी हो सकती है।

    पुलिस महानिदेशक यहीं नहीं थमे। उन्होंने बर्बरता की शिकार लड़कियों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फारेंसिक जांच में विरोधाभास होने का हवाला देकर कहा कि संभव है कि पकड़े गए लोगों में से कुछ का अपराध में हाथ न रहा हो। उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फारेंसिक रिपोर्ट के मिलान का तकनीकी नाम 'पीएम-लिंकिंग' का हवाला देकर कहा कि सिर्फ एक लड़की से दुष्कर्म की बात सामने आ रही है।

    इससे पहले, बदायूं में दो बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने देर से जागने के बाद बड़ी कार्रवाई की है। भले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव घटना के 11 दिन बाद बदायूं न पहुंच पाए हों लेकिन आज उन्होंने बदायूं के डीएम शंभुनाथ यादव तथा एसएसपी अतुल सक्सेना को निलंबित कर दिया।

    मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सरकार की इस कार्रवाई की जानकारी दी। आज प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन, डीजीपी एएल बनर्जी तथा प्रमुख सचिव गृह मुकुल सिंघल ने संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित किया। आलोक रंजन ने बताया कि अब प्रदेश सरकार किसी भी अपराधी को बक्शने के मूड में नहीं है। इसके साथ बिना श्रेणी से सुरक्षा प्राप्त कर रहे लोगों से सरकार गनर वापस लेगी।

    डीजीपी बनर्जी ने कहा कि बदायूं की घटना बेहद ही शर्मनाक है, लेकिन पुलिस इसकी तह तक जाने की तैयारी में लगी है। उन्होंने कहा कि दोनों लड़कियों को मारने के बाद पेड़ से लटकाया गया। इनके मुंह में कपड़ा ठूंसकर इनकी हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि गैंग रेप तथा मर्डर का मोटिव कुछ और हो सकता है। यह संपत्ती हथियाने के कारण भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला है कि लड़कियों के मुंह में कपड़ा ठूंसकर गला दबाया गया और फिर पेड़ से लटका दिया गया।

    उन्होंने कहा कि इस केस में हमारी जांच जारी है और सारा सच सामने आ जाएगा। बिना सबूत के कुछ भी नहीं बोलूंगा। जरूरत पड़ी तो लोगों का लाई डिडेक्टर और नार्को टेस्ट भी होगा।

    प्रमुख सचिव गृह मुकुल सिंघल ने कहा कि प्रदेश सरकार अपराधियों पर लगाम कसने को पूरी तरह से तैयार है। प्रदेश के लोगों को सूबे की कानून-व्यवस्था में जल्द ही सुधार देखने को मिलेगा। सरकार किसी को भी जरा सा ढील देने के पक्ष में नहीं है। अब अपराधियों की जगह सिर्फ जेल में होगी। प्रदेश की हर छोटी व बड़ी घटना में मामला दर्ज होगा और पुलिस कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेगी।

    उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के अभी तक वहां पहुंचने से गांव वाले काफी हैरान हैं। गांव वालों से लेकर बाहर से आने वालों की जुबान पर बस एक ही सवाल आता कि आखिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव क्यों नहीं आए। इतना ही नहीं लोग मीडिया वालों से भी टोह लेने की कोशिश करते हैं कि मुख्यमंत्री का कोई कार्यक्रम तो नहीं आया।

    दूरदराज से घटनास्थल पर पहुंचकर और परिवारवालों की पीड़ा सुनकर सबके मुंह से अनायास ही ये शब्द निकल पड़ते हैं कि ऐसी हैवानियत उन्होंने पहले कभी नहीं सुनी। क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि जहां इस घटना ने मानवता को तार-तार किया है वहीं इलाके की बदनामी भी कराई है। घटना स्थल व गांव में दो अज्ञात आरोपियों के बारे में भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात की है कि मुख्यमंत्री या सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव अब तक कटरा सआदतगंज क्यों नहीं पहुंचे। सबकी जुबां पर बस एक ही बात है कि क्या मुख्यमंत्री तथा सपा सुप्रीमो संवेदनहीन हो गए हैं।

    गांव के लोगों का कहना है कि इतना जघन्य अपराध जिन दरिंदों ने किया है, उन्हें सीधे फांसी की सजा मिलनी चाहिए, जब सरकार के जिम्मेदार लोग ही इस मामले से बचते घूम रहे हैं तो फिर कैसे उम्मीद की जाए कि महिला उत्पीडऩ पर रोक लग पाएगी।

    गांव के मुंशीलाल का कहना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चाहिए था कि वह गांव पहुंचकर पीड़ित पक्ष से मिलते और परिवारवालों की बात सुनकर उन्हें न्याय दिलाने को हस्तक्षेप करते। इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी मौके पर न पहुंचना यह बताता है कि महिला उत्पीड़न के प्रति सरकार का रुख कैसा है।

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