असम में बांग्लादेश से जुड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़, 11 गिरफ्तार
असम पुलिस ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए बांग्लादेशी चरमपंथी संगठन से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह मॉड्यूल जमात-उल-मुजाहिदीन ...और पढ़ें

बांग्लादेश से जुड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है, यहां पुलिस ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस दौरान बांग्लादेशी चरमपंथी संगठन से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां नॉर्थ-ईस्ट खासकर असम को हाई अलर्ट पर थीं।
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान, नसीम उद्दीन उर्फ नजीमुद्दीन, उर्फ तमीम, जुनाब अली, अफराहिम हुसैन, मिजानुर रहमान, सुल्तान महमूद, मोहम्मद सिद्दक अली, रशीदुल आलम, महबिल खान, शाहरुख हुसैन, मोहम्मद दिलबर रजाक और जागीर मियां के रूप में हुई है।
सेट्रंल एजेंसियों के विश्लेषण के आधार पर, पुलिस को इमाम महमूद काफिल मॉड्यूल की गतिविधियों के बारे के बारे में अलर्ट किया गया था। IMK जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JBM) का बांग्लादेश स्थित एक हिस्सा है, जो भारत में बैन हैं।
2018 में हुई IMK की स्थापना
IMK की स्थापना 2018 में ज्वेल महमूद, उर्फ इमाम महमूद हबीबुल्लाह, उर्फ सोहेल ने की थी, जो JBM का पूर्व सदस्य था। महमूद हबीबुल्लाह खुद को IMK की 'अमीर' होने का दावा करता है और 'गजवतुल हिंद' की विचारधारा फैलाता है।
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में सस्ता परिवर्तन के बाद JBM, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) और अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) के वरिष्ठ नेताओं ने कथित तौर पर IMK नेतृत्व को अपने भारतीय मॉड्यूल को एक्टिव करने और विस्तार करने के निर्देश दिए। इसके बाद उमर और खालिद नाम के बांग्लादेशी नागरिकों को असम में गतिविधियों को कोऑर्डिनेट करने का काम सौपा गया।
असम, बंगाल और त्रिपुरा में रहने वालों को बताया जा रहा रेडिकल
जांच में पता चला कि ये गतिविधियां सुरक्षित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए कोऑर्डिनेट की जाती हैं। असम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में रहने वाले लोगों को इस नेटवर्क के जरिए कट्टरपंथी बनाया जा रहा था, भर्ती किया जा रहा था और आर्थिक रूप से मदद दी जा रही थी। भर्ती में भारतीय पासपोर्ट वाले लोगों, बांग्लादेश जाने का इतिहास रखने वालों और बैन आतंकी संगठनों के पूर्व सदस्यों को टारगेट किया जा रहा था।
असम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में रहने वाले लोगों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा था, भर्ती किया जा रहा था, आर्थिक रूप से मदद दी जा रही थी और उस संगठन से जोड़ा जा रहा था, जिसमें भारतीय पासपोर्ट वाले और पहले बांग्लादेश जा चुके लोग, साथ ही बैन किए गए आतंकवादी संगठनों के जाने-माने पूर्व सदस्य भी शामिल थे।

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