आसाराम प्रकरण: पीड़िता के बालिग होने का प्रमाण लगा हाथ
दुष्कर्म मामले में आरोपी कथावाचक आसाराम को पाक्सो से निजात दिलाने के प्रयासों के तहत उनके समर्थकों को एक अहम सबूत मिला है। शहर के ही श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ से पीड़िता के बालिग होने का प्रमाण हाथ लगा है। नर्सरी और केजी के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की प्रमाणिकता जांचने को शुक्रवार को जोधपुर क
शाहजहांपुर [जासं]। दुष्कर्म मामले में आरोपी कथावाचक आसाराम को पाक्सो से निजात दिलाने के प्रयासों के तहत उनके समर्थकों को एक अहम सबूत मिला है। शहर के ही श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ से पीड़िता के बालिग होने का प्रमाण हाथ लगा है। नर्सरी और केजी के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की प्रमाणिकता जांचने को शुक्रवार को जोधपुर की पुलिस टीम शाहजहांपुर पहुंची। टीम प्रमुख जोधपुर के एएसपी पहाड़ सिंह राजपूत ने विद्यालय के चेयरमैन और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद से भेंट के साथ ही पीड़िता के पिता के बयान भी दर्ज किए। टीम ने सरस्वती शिशु मंदिर के शैक्षिक अभिलेखों की भी पड़ताल की।
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दरअसल जोधपुर पुलिस ने छिंदवाड़ा गुरुकुल से निर्गत शैक्षिक प्रमाणपत्र के आधार पर पीड़िता को नाबालिग मानते हुए पॉक्सो एक्ट लगाया है। अधिनियम की यह धारा नाबालिग के साथ यौन दुर्व्यवहार पर लगती है और उसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। इस गंभीर धारा को हटवाने के लिए आसाराम के समर्थकों ने पहले नगरपालिका से प्रमाण पत्र हासिल करने के प्रयास किए। बाद में सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य पर दबाव बनाया। इसके बाद आसाराम समर्थकों ने श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ पर ध्यान केंद्रित किया। प्रिंसिपल ने छह फरवरी को पुलिस को दिए पत्र में पीड़िता की जन्मतिथि छह अगस्त, 1995 दर्शाई है। इस नई जन्मतिथि के अनुसार घटना के समय युवती बालिग थी। जबकि पूर्व में कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों में उसे नाबालिग बताया गया है, जिसके आधार पर आसाराम पर पॉक्सो एक्ट भी लगा हुआ है। पीड़िता के पिता ने मुमुक्षु विद्यापीठ के दस्तावेज को गलत बताया है।