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चंदा और भीख मांग कर सैयद खान ने की थी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना, जानिए इसका दिलचस्प इतिहास

AMU History देश के प्रमुख शिक्षण केंद्रों में से एक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना आज ही के दिन 24 मई 1975 में की गई थी। समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने इसकी स्थापना की थी। जानिए क्या है इस यूनिवर्सिटी का दिलचस्प इतिहास। (जागरण ग्राफिक्स)

By Preeti GuptaEdited By: Preeti GuptaPublished: Wed, 24 May 2023 01:51 PM (IST)Updated: Wed, 24 May 2023 02:43 PM (IST)
चंदा और भीख मांग कर सैयद खान ने की थी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना, जानिए इसका दिलचस्प इतिहास
Syed Ahmed Khan founded the Mohammedan Anglo-Oriental School

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क।  शिक्षा सफलता की ऐसी कुंजी है, जिसका हमारे भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षा हासिल कर ही समाज में फैली बुराइयों को खत्म किया जा सकता है। वैसे तो भारत में ऐसे कई  विश्वविद्यालय हैं, जिसका अपना खास इतिहास है।

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वहीं, आज ही के दिन एक ऐसे शिक्षण संस्थान की स्थापना हुई थी, जिसमें कई नामी गिरामी हस्तियां पढ़ कर दुनिया में अपना और यूनिवर्सिटी का नाम रोशन कर चुकी हैं, जिनमें भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के भी कई मशहूर लोग शामिल हैं।

हम बात कर रहें हैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की।  समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने आज ही के दिन यानी 24 मई, 1875 को अलीगढ़ में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की जो वर्तमान में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से प्रसिद्ध है।

किस दिन हुई थी AMU की स्थापना?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। सैयद अहमद खान ने मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की जरूरत को महसूस करते हुए 1875 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की थी क्योंकि उस समय प्राइवेट यूनिवर्सिटी की स्थापना करने की अनुमति नहीं दी गई थी।

स्कूल से कैसे बनी यूनिवर्सिटी?

स्कूल से बदलकर इसे मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज बना दिया गया था। साल 1920 में इसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाया गया।1920 में ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के एक्ट के जरिए AMU एक्ट लाया गया। जिसके बाद इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।

हालांकि, साल 1951 में पार्लियामेंट ने  AMU संशोधन एक्ट पास किया। इस एक्ट के जरिए अब इस विश्वविद्यालय में गैर-मुस्लिमों को भी पढ़ने की आजादी दे दी गई थी। यह देश के चार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक था।

क्यों हुई AMU की स्थापना? 

समाज सुधारक सैयद खान ने मुस्लिमों के लिए शिक्षा की महत्वता को समझा। माना जाता है कि सैयद के जीवन में मेरठ में हुई 1857 की क्रांति का गहरा असर पड़ा था। इस क्रांति में खान के परिवार के लोगों को अंग्रेजों के द्वारा मारा गया था। जिसके बाद से सैयद खान की ब्रिटिशों के प्रति धारणा बदलने लगी थी।

इस हादसे से वे बेहद हताश हो गए थे। वह काफी पढ़े लिखे थे, लिहाजा उन्होंने आधुनिक शिक्षा को हथियार बनाकर अंग्रेजों को सबक सिखाने की ठान ली। वह ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए और आधुनिक शिक्षा के बारे में सभी जानकारी हासिल करने के मकसद से 1870 में इंग्लैंड गए।

वहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज संस्थानों का दौरा किया और उन्होंने भारत में आधुनिक शिक्षा को फैलाने का सपना देखा। वह इंग्लैंड से वापस आए और उन्होंने पहले मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की, जिसे साल 1920 में यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया गया था।

कैसे की गई AMU की स्थापना?

एएमयू के संस्थापक किसी भी कीमत पर इसकी स्थापना करना चाहते थे। उन्होंने चंदा इकट्ठा कर और भीख मांग कर इसकी स्थापना की थी। इसके लिए उन्होंने नाटकों का मंचन कराया और कई जगहों से चंदा लिया।

वह ऐसी जगह चंदा लेने चले जाते थे जहां आम लोग जाना पसंद नहीं करते थे। उन्होंने कोठे से भी चंदा इकट्ठा किया था। वह चंदा हासिल करने के लिए लैला-मजनू नाटक में लैला का किरदार तक निभा गए थे।

AMU में क्या-क्या है सुविधाएं?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कुल 467.6 हेक्टेयर जमीन में फैली हुई है। वहीं, इसमें पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा दोनों पढ़ाई जाती है। यूनिवर्सिटी में 300 से अधिक कोर्स करवाए जाते हैं। इससे सात कॉलेज एफिलिएटिड हैं, वहीं 2 स्कूल, 2 पॉलिटेक्निक कॉलेज के साथ 80 हॉस्टल भी हैं।

एएमयू में 1400 टीचर और 6 हजार नॉन टीचिंग स्टाफ हैं।  हॉस्टल के हर हॉल में रीडिंग रूम , लाइब्रेरी, स्पोर्ट्स क्लब, आदि कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं। यूनिवर्सिटी रैंकिंग में इसका 801 स्थान आया है और नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में भारत में दसवां स्थान है।

लाइब्रेरी के लिए क्यों मशहूर है AMU?

एएमयू की लाइब्रेरी की अपनी ही खासियत है। यह अपनी लाइब्रेरी की खासियत के लिए अधिक जाना जाता है।  मौलाना आजाद लाइब्रेरी में 13.50 लाख किताबें हैं। यहां पर दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं।

इस लाइब्रेरी में अकबर के दरबारी फैजी की फारसी अनुवादित गीता, तमिल भाषा में भोजपत्र, 1400 साल पुराना कुरान, 400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलिपि भी रखी हुई है, जिसे पढ़कर छात्र भारत के इतिहास से रूबरू होते हैं।  

किन-किन हस्तियों ने की पढ़ाई

  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में केवल भारत के ही नहीं बल्कि, पाकिस्तान के कई मशहूर लोगों ने पढ़ाई की है। भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन और खान अब्दुल गफ्फार ने इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। दोनों को ही भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।
  • एएमयू से पढ़े हामिद अली अंसारी देश के उप राष्ट्रपति का पद संभाल चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान भी एएमयू से पढ़े थे।

  • 3. पाकिस्तान के ही एक और प्रधानमंत्री ख्वाजा निजामुद्दीन और दूसरे राष्ट्रपति अयूब खान और पांचवें राष्ट्रपति फजल इलाही चौधरी ने भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
  • 4. पूर्व क्रिकेटर लाला अमरनाथ, कैफी आजमी, राही मासूम रजा, गीतकार जावेद अख्तर, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, प्रो इरफान हबीब, उर्दू कवि असरारुल हक़ मजाज़, शकील बदायूंनी ने भी एएमयू से ही पढ़ाई की है।

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