...तो विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं अखिलेश यादव
अखिलेश ने आज सुबह साढ़े नौ बजे विधायकों को पांच कालिदास स्थित अपने सरकारी आवास पर बुलाया है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। समाजवादी कुनबे के बवाल के बाद अब निगाहें मुलायम और अखिलेश के अगले कदम पर टिक गयी हैं। सपा से मुख्यमंत्री को निकाले जाने के बाद विधायकों को लामबंद करने की कवायद शुरू हो गयी है। अखिलेश विधायकों के साथ ही समर्थकों को भी सहेज रहे हैं। अखिलेश अगर संख्या बल में कमजोर पड़े तो विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर सकते हैं। सपा पर काबिज न होने की स्थिति में बरगद चुनाव चिह्न हासिल करने के प्रयास के साथ रामगोपाल नई पार्टी का एलान कर सकते हैं।
क्या होगा अखिलेश का अगला कदम ?
अखिलेश ने आज सुबह साढ़े नौ बजे विधायकों को पांच कालिदास स्थित अपने सरकारी आवास पर बुलाया है। उधर, मुलायम सिंह ने पार्टी मुख्यालय में विधायकों को 11 बजे तलब किया है। उन्हें अपने-अपने पाले में करने की होड़ शुरू हो गयी है। दोनों खेमों के क्षत्रप विधायकों को सहेजने में लग गये हैं और हालात वही हो गए हैं जो 1990 और 2003 में मुलायम द्वारा सरकार बचाने और बनाने के लिए बने थे।
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विधायकों को लेकर गोलबंदी
अखिलेश ने गुरुवार को 225 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की थी उसमें 171 विधायक हैं। इनमें करीब सवा सौ विधायक ऐसे हैं जिनका नाम मुलायम की सूची में भी है। दोनों खेमे इन विधायकों पर अपना हक जता रहे हैं लेकिन ये विधायक किसके पाले में हैं, यह शनिवार को साफ होगा। ऐसे में अखिलेश और मुलायम को अपनी-अपनी ताकत का अंदाजा हो जाएगा। अगर अखिलेश के पास 171 विधायकों का संख्या बल उपलब्ध होता है तो वह कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के सहयोग से अपनी सत्ता बचा सकते हैं। संकेत मिल रहे हैं कि अगर विधायकों की पर्याप्त संख्या उनके पाले में नहीं आयी तो वह राजभवन जाकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।
दूसरी तरफ मुलायम की बैठक में पार्टी के कुल 229 विधायकों में से ज्यादातर के पहुंचने पर अखिलेश को विधायक दल के नेता पद से हटाने का प्रस्ताव पारित कर विधायक दल का नया नेता चुना जा सकता है। बैठक में नए नेता चुने जाने के संकेत मुलायम ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में भी दिए। पार्टी के विधायक मौजूदा परिस्थिति में मुलायम पर ही कमान संभालने का दबाव बना सकते हैं। ऐसे में मुलायम, राजभवन जाकर अखिलेश के पास बहुमत न होने की बात कह सकते हैं। ऐसी स्थिति में राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सदन में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।
रामगोपाल को बना सकते राष्ट्रीय अध्यक्ष
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं राम गोपाल यादव
प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने रविवार को राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। समाजवादी खेमे में इस बात की भी सुगबुगाहट है कि इस बैठक में प्रोफेसर रामगोपाल यादव को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अखिलेश यादव इस बार पूरी तैयारी से जवाब देना चाहते हैं। उधर, संभावना यह भी जताई जा रही है कि अगर चुनाव चिन्ह को लेकर बात फंसी तो कभी समाजवादियों का निशान रहे बरगद चुनाव चिन्ह को लेने की पहल होगी। बताया जा रहा है कि इस बारे में दिल्ली में प्रोफेसर रामगोपाल एक प्रमुख राजनीतिक शख्सियत से मुलाकत कर चुके हैं।

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