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कीर्ति चक्र से सम्मानित एके डोभाल बने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

नृपेंद्र मिश्र को प्रमुख सचिव बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख एके डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। 1968 बैच के आइपीएस डोभाल आइबी अधिकारी के रूप में कई साहसिक कारनामों को अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं। वे एक मात्र ऐसे सिविल अधिकारी हैं, जिन्हें वीरता के लिए सेना में दिए जाने वाले दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।

By Edited By: Published: Sat, 31 May 2014 04:22 AM (IST)Updated: Sat, 31 May 2014 10:02 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नृपेंद्र मिश्र को प्रमुख सचिव बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख एके डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। 1968 बैच के आइपीएस डोभाल आइबी अधिकारी के रूप में कई साहसिक कारनामों को अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं। वे एक मात्र ऐसे सिविल अधिकारी हैं, जिन्हें वीरता के लिए सेना में दिए जाने वाले दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।

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सामान्य कद-काठी के डोभाल का करियर करिश्माई कामयाबियों से भरा है। पाकिस्तान में छह साल तक काम कर चुके डोभाल को सीमा पार पलने वाले आतंकवाद की अच्छी जानकारी है। उन्होंने पूर्वोत्तार में मिजो नेशनल आर्मी में सेंध लगाकर मिजोरम समस्या को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। यही नहीं, 1989 में जब ऑपरेशन ब्लैक थंडर के जरिये स्वर्ण मंदिर में छिपे उग्रवादियों को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू हुई तो डोभाल उस वक्त उग्रवादियों के बीच हरमंदिर साहब के अंदर मौजूद थे। डोभाल की कामयाबियों की सूची में आतंक से जूझ रहे पंजाब और जम्मू-कश्मीर में कामयाब चुनाव कराना भी शामिल है। 1999 में कंधार विमान अपहरण कांड के दौरान आतंकियों से बातचीत में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

एके शर्मा पीएमओ में संयुक्त सचिव

मोदी के करीबी माने जाने वाले 1988 बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी एके शर्मा को प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव बनाया गया है। शर्मा 2001 से ही गुजरात में मोदी के सचिव के रूप में काम करते रहे हैं।

डोभाल ने दी उत्ताराखंडी गौरव को नई पहचान

भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में फिलहाल उत्ताराखंड को स्थान नहीं मिल पाया लेकिन आईबी के पूर्व डायरेक्टर अजीत कुमार डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद से नवाज कर केंद्र सरकार ने उत्ताराखंड का सम्मान बढ़ाया है। उत्ताराखंड के गौरव डोभाल मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के घीड़ी गांव के रहने वाले हैं।

इस बार के आम चुनाव में प्रदेश की जनता ने सभी पांचों सीटों पर भाजपा को एकतरफा जीत दिलाई। उत्ताराखंड देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जहां भाजपा प्रत्याशी को सभी सीटों पर पचास फीसद से अधिक वोट मिले हैं। प्रदेश की सभी पांच सीटें भाजपा को सौंपने के बाद प्रदेशवासियों को उम्मीद थी कि मोदी सरकार में उत्ताराखंड को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। दरअसल, यहां के तीन सांसद पूर्व मुख्यमंत्री का पदभार संभाल चुके हैं। यानी, इन सांसदों के लिए राजनीति का अखाड़ा कोई नया नहीं। इनके राजनीतिक अनुभव के आधार पर यह माना जा रहा था कि एक न एक सांसद मंत्री पद से जरूर नवाजा जाएगा मगर ऐसा हो नहीं पाया।

हालांकि, अब मोदी सरकार ने उत्ताराखंड को बिल्कुल खाली हाथ भी नहीं रखा। उत्ताराखंड के मूल निवासी व आईबी के पूर्व डायरेक्टर अजीत डोभाल को देश के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त कर कहीं न कहीं उत्ताराखंड को प्रतिनिधित्व दिया गया है। 1968 बैच के डोभाल केरल काडर के हैं। डोभाल वीरता पदकों की श्रेणी में अहम माने जाने वाले कीर्ति चक्र से पुरस्कृत होने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं। अमूमन यह पदक सेना के जवान व अधिकारियों को दिया जाता है। उनकी कार्यक्षमता का पता इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने पुलिस की नौकरी के पहले छह वर्ष में ही सराहनीय सेवा के लिए इंडियन पुलिस मेडल प्राप्त किया था जबकि इसके लिए 17 वर्ष की सेवा अनिवार्य मानी जाती है।

डोभाल ने मिजोरम, पंजाब और कश्मीर के अंदरूनी बिगड़े हालात को सफलतापूर्वक संभाला है। कंधार अफगानिस्तान में आतंकियों द्वारा हाईजैक किए गए विमान में यात्रियों को छुड़ाने में भी उन्होंने मध्यस्थता की थी। वे कई आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त कर चुके हैं। 2005 में वह आइबी के निदेशक रह चुके हैं। इसके बाद वे लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में भी तैनात रहे हैं।

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