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    क्या सिर्फ पाबंदियों से थमेगा प्रदूषण? एक्‍सपर्ट से जानिए जहरीली हवा रोकने का मास्टर प्लान

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 07:42 PM (IST)

    प्रदूषण नियंत्रण के लिए केवल शहरों में पाबंदी लगाना काफी नहीं है, बल्कि इसके मूल स्रोत पर प्रहार करना होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की हवा सुधारन ...और पढ़ें

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    प्रदूषण का 'परमानेंट' इलाज: क्या कचरे से बनेगी बिजली? फोटो- एजेंसी

    स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। ऐसे समय में जब प्रदूषण बढ़ रहा है तो उसके स्रोत पर ही लगाम लगानी होगी। ऐसे में यह देखा जाता है कि प्रदूषण के जिन स्रोतों को बंद करने से आम जनजीवन बाधित न हो, उसी के हिसाब से सरकार कदम उठाती है। अब बात आती है कोयला, लकड़ी या दूसरे बायोमास जलने की तो इसके जलने से हवा में जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ती है और प्रदूषण की स्थिति और गंभीर हो जाती है।
     
    ऐसे में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इस पर रोक लगाना एक प्रभावी कदम है। हालांकि, यह बात सही है कि प्रदूषण को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है क्योंकि हवा बहती है और हवा किसी भौगोलिक या राजनीतिक सीमा में सीमित नहीं रहती है। इसका मतलब है कि अगर दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पर काबू पाना है तो कम से कम पूरे एनसीआर में निवारक कदम उठाए जाने चाहिए। ये कदम सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं होने चाहिए।
     
    दूसरी समस्या खाना बनाने में लकड़ी उपले और दूसरे बायोमास के इस्तेमाल की है। केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से एक बड़ी आबादी तक खाना बनाने के लिए एलजीपी सिलेंडर तक पहुंच सुनिश्चित हुई, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एलपीजी सिलेंडर की लागत को वहन करना एक चुनौती है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी एलपीजी सिलिंडर रीफिल करा सकें, इसके लिए सब्सिडी की व्यवस्था होनी चाहिए।
     
    अभी ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण की समस्या को लेकर ज्यादा बात नहीं होती है, लेकिन अगर कहीं भी लकड़ी या बायोमास जलता है तो जहरीले तत्व वातावरण को प्रदूषित करते हैं और इसका असर शहरों पर भी पड़ता है। कोयला और दूसरे जीवाश्म ईधन हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरी करते हैं। हमारे देश में ज्यादातर पावर प्लांट कोयले से चलते हैं। इनको धीरे धीरे गैस पर चलाना होगा। हालांकि, इसे एक साथ नहीं कर सकते हैं क्योंकि इसके लिए हर प्लांट में तकनीकी बदलाव करने होंगे।
     
    Delhi Polution smog
     
    एक साथ करने से कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें आ सकती हैं। ऊर्जा की आपूर्ति बाधित हो सकती है। ऐसे में एक प्लान बना कर इंडस्ट्री को गैस आधारित करना होगा। इसके अलावा स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना होगा। इससे हमारे ऊर्जा मिश्रण में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी कम होगी और प्रदूषण में कमी के साथ आयातित जीवाश्म ईंधन की जरूरत भी कम होगी।
     
     

    क्‍या कचरे का निपटान जलाकर ही होगा?

     
    तीसरी बड़ी समस्या कचरा जलने की है। इससे भी प्रदूषण बढ़ता है। इसके लिए गांव से लेकर शहर तक प्रभावी कचरा प्रबंधन करना होगा। आज के समय में ऐसी तकनीक उपलब्ध है, जिससे हम कचरे से गैस और बिजली बना सकते हैं। इसके लिए स्थानीय स्तर पर पहल करते हुए गांव में पंचायत स्तर पर कचरे से गैस या बिजली बनाने वाले प्लांट लगाए जा सकते हैं।

    इससे बनने वाली गैस या बिजली से स्थानीय स्तर पर बिजली की जरूरत पूरी की जा सकती है। यही मॉडल कस्बों या शहरों में लागू किया जा सकता है। इस तरह से हम प्रदूषण के स्रोत को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
     
    Delhi Smog

     इसके बाद बात आती है कि प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्ययोजना बना कर उस पर प्रभावी तरीके से अमल करने की। हमारे देश में कार्ययोजना भी है लेकिन इस पर कितना काम हो रहा है और जमीनी स्तर पर किस हद तक बदलाव आया है इसको लेकर जवाबदेही की कमी है। जब तक जिम्मेदार एजेंसियों की जवाबदेही नहीं तय होगी तक जमीन पर बदलाव नहीं दिखाई देगा।
     
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    (सोर्स: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डी साहा से दैनिक जागरण की बातचीत) 
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