जहरीली हवा का 'सरकारी' इलाज: दिल्ली में पाबंदी, बाकी राज्यों में क्यों जल रहा कोयला?
India Air Pollution Cause: भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर संकट है, जहां जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल) ऊर्जा की 90% जरूरतें पूरी कर रहा है। दिल्ली में कोयल ...और पढ़ें

क्या सस्ते कोयले के धुएं में खो गई 'उज्ज्वला' की चमक? जागरण ग्राफिक्स टीम
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जागरण टीम, नई दिल्ली। कोयले का उपयोग हवाओं को जहरीला बनाने के साथ जलवायु परिवर्तन की गति को भी तेज करता है। यह सर्वमान्य तथ्य है। यही वजह है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के बीच कोयला,लकड़ी और जैविक कचरे को जलाने पर रोक लगाई गई है।
इसका मतलब है कि सरकार कोयले के हानिकारक प्रभाव को समझती है। यहीं, पर सरकार की नीतियों के स्तर पर विरोधाभास दिखता है। दिल्ली में कोयला, लकड़ी और जैविक कचरा जलाने पर रोक लगती है,वहीं देश के बाकी हिस्सों में ऐसी कोई रोक नहीं है।
विशेषज्ञ लंबे समय से इस बात की वकालत कर रहे हैं कि देश में वायु प्रदूषण की समस्या को एक शहर या राज्य विशेष की समस्या मान कर नहीं निपटा जा सकता है। इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक एक्शन प्लान बना कर उसे कड़ाई से लागू करना होगा।
सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम भी उठाए हैं। खाना बनाने के लिए लकड़ी के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार उज्ज्वला योजना लेकर आई लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर आबादी के लिए सिलिंडर रीफिल कराना आसान नहीं है। ग्रामीण इलाकों में खाना बनाने के लिए लकड़ी का उपयोग अब भी हो रहा है। वायु प्रदूषण से निपटने में सरकार की नीतियों में विरोधाभास की पड़ताल ही आज का अहम मुद्दा है...
जीवाश्म ईंधन जलाने से वैश्विक GDP का 3.3% नुकसान
गैस, कोयला और तेल जलाने से दुनिया भर में सड़क हादसों से होने वाली मौतों की तुलना में तीन गुना ज्यादा मौतें होती हैं। साल 2018 में इसका वैश्विक आर्थिक नुकसान 2.9 लाख करोड़ डॉलर था, जो वैश्विक जीडीपी का 3.3 प्रतिशत है।
वायु प्रदूषण का असर
- 2018 में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 45 लाख की मौत हुई।
- पीएम 2.5 प्रदूषण की वजह से 1.8 अरब दिनों की काम से छुट्टी।
- बच्चों में अस्थमा के 40 लाख नए मामले दर्ज हुए।
- 20 लाख बच्चों का जन्म समय से पहले हो गया।
17 लाख भारतीयों की मौत हुई 2022 में भारत में जीवाश्म ईंधन से होने वो प्रदूषण की वजह से।
एलपीजी सिलेंडर रिफिल कराने की चुनौती
- 10 करोड़ परिवारों को नया एलपीजी सिलिंडर मिला था उज्ज्वला योजना के तहत 2023 तक।
- 1/3 आय खर्च करनी होगी बीपीएल परिवारों को एलपीजी सिलिंडर रीफिल कराने पर।
- 50% परिवारों ने एक बार भी रीफिल नहीं कराया है सिलिंडर ऊंची लागत की वजह से।
- 1,100 औसत लागत है एलपीजी सिलिंडर रीफिल कराने की भारत में।
- 8,800 खर्च आएगा एक परिवार को पूरे वर्ष सिलिंडर रिफल कराने पर।
- 27,000 सालाना औसत आय की सीमा तय की गई गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए नीति आयोग।
भारत में जीवाश्म ईंधन की खपत
भारत में जीवाश्म ईंधन की खपत काफी ज्यादा है। यह कुल ऊर्जा की जरूरत का लगभग 90 प्रतिशत है। इसमें कोयला सबसे प्रमुख है, जो बिजली उत्पादन का मुख्य स्रोत है। हालांकि, स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। 2023 में स्वच्छ ऊर्जा की खपत 8 प्रतिशत बढ़ी और सरकार जैव-ईंधन को बढ़ावा दे रही है।

खाना बनाने में लकड़ी का इस्तेमाल
- 41% भारतीय परिवार अब भी खाना बनाने के लिए जलाते हैं लकड़ी, उपले या दूसरे बायोमास।
- 34 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड का सालाना उत्सर्जन होता है लकड़ी और उपले जलाने से।
- 13% हिस्सा है यह उत्सर्जन भारत के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का।
- 50 करोड़ भारतीय अब भी वंचित है स्वच्छ ऊर्जा समाधान से।
- 6 लाख मौतें होती हैं सालाना घर के अंदर के प्रदूषण से।
मुख्य बिंदु
- बढ़ती खपत: 2023 में भारत में जीवाश्म ईंधन की खपत 8 प्रतिशत बढ़ी और यह लगभग सभी ऊर्जा मांग वृद्धि के लिए जिम्मेदार थी।
- कोयले का प्रभुत्व: देश की बिजली जरूरतों का बड़ा हिस्सा लगभग 55-75 प्रतिशत कोयले से पूरा होता है, जो भारत का सबसे प्रचुर जीवाश्म ईंधन है।
- ऊर्जा मिश्रण : 2023 में कुल ऊर्जा आपूर्ति में कोयले की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत, तेल की 25 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस की 5 प्रतिशत थी।
- वैश्विक स्थिति : 2023 में चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा जीवाश्म ईंधन उपभोक्ता था।
- नवीकरणीय ऊर्जा की वृद्धि: स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ रही है। 2025 के मध्य तक कुल स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक गैर-जीवाश्म स्रोतों (नवीकरणीय ऊर्जा सहित) से था।
- सरकारी प्रयास : सरकार जैव-ईंधन जैसे इथेनॉल, बायोडीजल) के उपयोग को बढ़ावा दे रही है ताकि आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो सके और पांच साल में खपत का 50 प्रतिशत जैव-ऊर्जा से पूरा करने का लक्ष्य है। हालांकि वर्तमान में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। ऐसे में भारत की ऊर्जा जरूरतें भी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में निकट भविष्य में पूरी तरह से जीवाश्म ईंधन से छुटकारा पाना संभव नहीं होगा।
चुनौतियां और भविष्य
भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग और विकास के कारण, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता एक बड़ी चुनौती है। हालांकि स्वच्छ ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा है। सरकार और उद्योग इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि जीवाश्म ईंधन की खपत को कम किया जा सके।
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