Air India Plane Crash: कॉकपिट में पायलटों की आपस में क्या हुई बात? ब्लैक बॉक्स देगा हर सवालों का जवाब
अहमदाबाद में 12 जून को एक बड़ा विमान हादसा हुआ जिसमें विमान में सवार 241 लोगों की जान चली गई। जांच के दौरान विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद किया गया है। इस ब्लैक बॉक्स की मदद से इस बात का पता लगाने में सफलता मिलेगी कि विमान हादसा कैसे हुआ। इससे हादसे की मुख्य वजह तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 12 जून को एक गुजरात के अहमदाबाद में एक बड़ा विमान हादसा हुआ। अहमदाबाद के वल्लभ भाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के महज कुछ सेकेंड बाद एअर इंडिया का विमान हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से 241 लोगों की जान चली गई।
अब इस हादसे की जांच की जा रही है। विमान के ब्लैक बॉक्स को बरामद कर लिया गया है। माना जा रहा है कि ब्लैक बॉक्स की मदद से विमान हादसे की मुख्य वजह सामने आ सकेगी। चूंकि ब्लैक बॉक्स एक ऐसा उपकरण है, जो पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच बातचीत को रिकॉर्ड करता है। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण विवरणों को भी रिकॉर्ड करता है।
जांच में सामने आएंगी ये जानकारियां
ये सभी जानकारी मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे ही पता चलेगा कि विमान कैसे और क्यों दुर्घटनाग्रस्त हुआ, यह जानकारी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) में ही रिकॉर्ड रहती है। इस बीच सी.वी.आर. डेटा से कई सवालों के जवाब मिलने की संभावना है। आइए उनके बारे में आपको बताते हैं...
सबसे पहला सवाल है कि कैप्टन सुमीत सभरवाल ने अपने कॉल के दौरान क्या कहा था?
इस सवाल के बारे में बात करते हुए पिछले सप्ताह नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि प्रभाव से कुछ सेकंड पहले संकट कॉल प्रसारित किया गया था। कैप्टन सभरवाल ने कथित तौर पर अहमदाबाद एटीसी से कहा था, 'मेडे, मेडे...'। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उन्होंने पावर और थ्रस्ट के नुकसान की भी सूचना दी थी। लेकिन इसको लेकर कोई पुष्टि नहीं हो सकी है।
दुर्घटना से कितने देर पहले पायलट ने विमान में किसी परेशानी का मैसेज भेजा गया?
अभी तक की जांच के अनुसार, सरकार ने पुष्टि की है कि विमान ने दोपहर 1.39 बजे उड़ान भरी थी, इसके 36 सेकेंड बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसको लेकर अधिक जानकारी जांच के बाद सामने आ सकेगी।
टेक ऑफ होने से विमान के क्रैश होने तक की कुल अवधि में क्या हुआ होगा?
रिपोर्ट्स के अनुसार, सीवीआर डाटा की मदद से पता चलेगा कि कैप्टन सभरवाल ने अपना 'मेडे' संदेश किस मिलीसेकंड में भेजा था। वही, इससे पता चल सकेगा कि फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर और उन्हें विमान और उसमें सवार 240 अन्य लोगों (जिनमें 10 क्रू मेंबर भी शामिल थे) को बचाने के लिए कितनी कोशिश की।
जांचकर्ताओं को ये भी जानना है कि 'मेडे' कॉल कब भेजी गई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी से पता चलेगा कि इमरजेंसी की स्थिति कैसे बनी। यह भी जानने में मदद मिलेगी कि क्या उड़ान के पहले ही विमान में कोई समस्या तो नहीं थी।
इमरजेंसी के दौरान पायलट और एटीसी ने किस बारे में बात की?
सीवीआर की मदद से ही पता चल सकेगा कि कैप्टन सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर कुंदर ने एक-दूसरे और एटीसी से क्या कहा। हालांकि, इस संबंध में पहले भी एटीसी कर्मियों से पूछताछ हो चुकी होगी। यह भी संभव है कि एटीसी अधिकारियों को सारे शब्द याद ना हों, जो पायलट द्वारा कहे गए हों। इस सीवीआर की मदद से पता चलेगा कि पायलट ने किस लहजे में क्या-क्या कहा था।
बता दें कि इसी की मदद से यह भी पता चलेगा कि पायलट और फर्स्ट ऑफिसर ने विमान में एक-दूसरे से क्या कहा। । सीवीआर यह सब रिकॉर्ड करता है, साथ ही कॉकपिट से इंजन सहित परिवेशी शोर भी रिकॉर्ड करता है।
कुल मिलाकर सीवीआर की मदद से वो सभी जानकारियां सामने आने की संभावना है, जिससे हादसे के मुख्य वजह तक पहुंचा जा सकता है।
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