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    आडवाणी ने पीछे खींचे कदम, वापस लिया इस्तीफा

    By Edited By:
    Updated: Tue, 11 Jun 2013 10:13 PM (IST)

    नई दिल्ली [प्रशांत मिश्र]। अपने इस्तीफे की तीखी प्रतिक्रिया देखने के बाद भाजपा के पितामह लालकृष्ण आडवाणी ने बिना किसी ठोस आश्वासन के अपने कदम वापस खींच लिए। उम्र की इस दहलीज पर खड़े अपने पितृ पुरुष को संघ और भाजपा ने एक और मोहलत दे दी। बीते चौबीस घंटे में लगातार चले तेज घटनाक्रम के बाद मंगलवार शाम आडवाणी त्यागपत्र वापसी के लिए राजी हो गए।

    नई दिल्ली [प्रशांत मिश्र]। अपने इस्तीफे की तीखी प्रतिक्रिया देखने के बाद भाजपा के पितामह लालकृष्ण आडवाणी ने बिना किसी ठोस आश्वासन के अपने कदम वापस खींच लिए। उम्र की इस दहलीज पर खड़े अपने पितृ पुरुष को संघ और भाजपा ने एक और मोहलत दे दी। बीते चौबीस घंटे में लगातार चले तेज घटनाक्रम के बाद मंगलवार शाम आडवाणी त्यागपत्र वापसी के लिए राजी हो गए।

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    आठ साल में तीसरी बार आडवाणी का इस्तीफा

    मंगलवार दोपहर बाद इस संकट को टालने के लिए जुटे संकटमोचकों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से आडवाणी की बात कराई। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह राजस्थान के बांसवाड़ा में थे। उन्हें इस बात की सूचना दी गई। दिल्ली वापसी पर राजनाथ हवाई अड्डे से सीधे आडवाणी के आवास 30, पृथ्वीराज रोड पहुंचे। काफी विचार-विमर्श के बाद संकटमोचकों ने एक बयान तैयार कर रखा था जिसे राजनाथ ने मीडिया के सामने पढ़ दिया। आडवाणी का इस्तीफा और सुझाव जितने अस्पष्ट थे उतना ही राजनाथ द्वारा पढ़ा गया बयान। इस बयान का निहितार्थ सीधे-सीधे यही था कि आडवाणी पहले इस्तीफा वापस लें, बाकी की बातों पर विमर्श समय पर होगा।

    कार्यकर्ता बोले, पार्टी की फजीहत करा रहे हैं आडवाणी

    सूत्रों के अनुसार संघ और आडवाणी के बीच संवाद की भूमिका गुरुमूर्ति ने निभाई। सोमवार को संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद ही इस घटनाक्रम के पटाक्षेप की पटकथा लिखने की तैयारी हो चुकी थी। बैठक के बाद राजनाथ को छोड़कर दिल्ली में मौजूद संसदीय बोर्ड के सभी सदस्य व कुछ अन्य नेता आडवाणी के घर पर भोजन के लिए इकंट्ठा हुए थे। इनमें अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, रविशंकर प्रसाद आरती मेहरा समेत आडवाणी के परिवार के लोग भी शामिल थे। इस दौरान माहौल को सहज बनाने की कोशिशें हुईं।

    एक क्लिक में पढ़ें आडवाणी की चिट्ठी

    मंगलवार सुबह से ही यह माना जा रहा था कि कोई न कोई सम्मानजनक रास्ता निकाला जाना चाहिए। बताते हैं कि इसी नजरिए से भागवत और आडवाणी के बीच फोन पर गुफ्तगू कराई गई। जनभावना और दल भावना के मद्देनजर यह माना गया कि संसदीय बोर्ड में लिए गए निर्णयों का सम्मान सभी को करना चाहिए। यानी नरेंद्र मोदी पर लिए गए फैसले को सभी को मानना होगा। साथ ही जो सुझाव पितृ पुरुष द्वारा दिए गए हैं उनका उचित समय पर विमर्श के बाद निदान किया जाए।

    राजनाथ ने जो बयान पढ़ा उसकी मूल भावना भी यही थी। राजनाथ ने कहा, 'अगर आडवाणीजी को पार्टी के कामकाज के बारे में कोई शिकायत है तो मैं उनसे विस्तार से चर्चा करूंगा, और चिंताएं निवारण करने की कोशिश करूंगा।' इससे पहले बांसवाड़ा में वह यह कहकर कि भाजपा में निर्णय वापस नहीं लिए जाते, स्पष्ट कर चुके थे कि नरेंद्र मोदी को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने का फैसला नहीं पलटा जाएगा।

    मंगलवार को नागपुर से लौटने के तुरंत बाद नितिन गडकरी और उसके बाद मुरली मनोहर जोशी भी आडवाणी से मिलने गए। दरअसल, भाजपा सहित संघ के लोग भी मान रहे थे कि आडवाणीजी ने अपनी शिकायतों का बहुत गलत समय चुना। यह एक तरीके से शगुन बिगाड़ने जैसा है।

    भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार आडवाणी चाहते थे कि मोदी के बाबत कोई निर्णय सर्वसम्मत रूप से संसदीय बोर्ड में लिया जाए। नाराजगी संघ के सह सरकार्यवाह और भाजपा का प्रभार देख रहे सुरेश सोनी के साथ भाजपा के संगठन मंत्री रामलाल से भी थी। ध्यान रहे कि संघ किसी व्यक्ति विशेष की शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाता है। उसे जो भी निर्णय लेने होते हैं वह अपने समय से लेता है। आडवाणी संघ के छोटे-छोटे हस्तक्षेपों से भी दुखी थे। देर सबेर संघ की आंतरिक संरचना में कोई बदलाव होता है तो आडवाणी उसे अपनी जीत मान सकते हैं।

    घटनाक्रम

    -मंगलवार सुबह से ही आडवाणी के आवास पर लगा रहा नेताओं का तांता

    -11 बजे : नितिन गडकरी और मुरली मनोहर जोशी पहुंचे आडवाणी के घर

    -1.40 बजे : गुरुमूर्ति पहुंचे, मोहन भागवत से कराई बात, इसके बाद ही तैयार होने लगा इस्तीफा वापसी के लिए बयान

    -शाम 6 बजे : राजनाथ पहुंचे आडवाणी के आवास, इस्तीफा वापसी का दिया बयान

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