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कश्मीर की रैली में देखा गया लश्कर का शीर्ष आतंकी अबु दुजाना !

बुरहान वानी के सफाए के बाद कश्मीर में हर दिन प्रदर्शन हो रहे हैं। कल एक रैली में लश्कर के अबु दुजाना के शामिल होने की बात सामने आयी है। हालांकि पुलिस ने पुष्टि नहीं की है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 01 Aug 2016 02:00 AM (IST)Updated: Mon, 01 Aug 2016 06:28 AM (IST)
कश्मीर की रैली में देखा गया लश्कर का शीर्ष आतंकी अबु दुजाना !

श्रीनगर। कश्मीर में रविवार को एक रैली के दौरान आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष आतंकवादी अबु दुजाना को देखा गया। बताया जा रहा है कि लोगों ने उसको नारे लगाते देखा गया। हालांकि पुलिस का कहना है कि अबु दुजाना की मौजूदगी के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है।

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8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से घाटी में कई रैलियां हो चुकी हैं। रविवार की रैली दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में हुई। जिसमें सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए कई आतंकियों के माता-पिता शामिल हुए।रैली में बुरहान वानी के पिता के आने की भी कथित रूप से संभावना थी। लेकिन वह नहीं आए।

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दुजाना की मौजूदगी पर सस्पेंस

इस रैली में दुजाना की मौजूदगी की बात काफी अहम है। क्योंकि पिछले हफ्ते ही लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद ने स्वीकार किया था कि उसके लोगों ने घाटी में हिंसा भड़काई, जिसमें 47 लोगों की जानें जा चुकी हैं और 2500 से ज्यादा घायल हुए हैं. हाफिज सईद ने यह भी कहा था कि बुरहान वानी के जनाजे का नेतृत्व लश्कर-ए-तैयबा का 'अमीर' कर रहा था।

हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है. पाकिस्तान ने बुरहान वानी को 'शहीद' बताया था। सीमापार से खासकर दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद को खूब शह मिल रहा है और यह हालिया दिनों में आतंकवाद का गढ़ रहा है। बुरहान वानी की मौत के बाद इस इलाके में खूब प्रदर्शन हुए हैं और प्रदर्शनकारियों तथा सुरक्षा बलों के बीच लगातार झड़पें हुई हैं।

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अलगाववादी खेमा बेशक इनकार करे कि उसका भारत विरोधी एजेंडा सांप्रदायिक नहीं है, लेकिन रविवार को इसकी असलियत एक बार फिर उजागर हो गई। बरेलवी, मायत-ए-अहल-हदीस, देवबंदी, सल्फी और सौऊत उल आलिया समेत इस्लाम की विभिन्न विचारधाराओं से संबंधित संगठनों के नेताओं ने दक्षिण कश्मीर में साझा रैली कर कश्मीर में आजादी और जिहाद के नारे लगाए। हालांकि यह कोई पहली रैली नहीं है। बीते एक सप्ताह के दौरान ऐसी कई रैलियां कश्मीर में हो चुकी हैं। सोमवार को अनंतनाग के मरहामा गांव में और उसके बाद बीते शनिवार को अनंतनाग के कनलवान इलाके में हुई दो बड़ी रैलियां उल्लेखनीय हैं। मुख्यमंत्री के पैतृक कस्बे बिजबिहाड़ा से सटे दुपतयार में विभिन्न इस्लामिक संगठनों की राष्ट्रविरोधी रैली हुई हैं। इसमें बरेलवी, सल्फी, देवबंदी, जमायते इस्लामी, जमायत ए अहल ए हदीस, सौऊत उल आलिया जैसे संगठनों के नेताओं, आलिमों, मौलवियों के अलावा जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और हुर्रियत के नेता भी शामिल हुए। पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों के बीच हिंदुस्तान के खिलाफ नारे खूब गूंजे।

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क्या यही कश्मीर है ?

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि जंग से कुछ हासिल नहीं होता। वार्ता ही सभी समस्याओं का एकमात्र हल है। जो लोग हिंसा के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह जरूर बताएं कि उन्हें कौन-सा कश्मीर चाहिए? जहां मोटरसाइकिलों पर दंगा करते नौजवान स्कूटी पर चलने वाली लड़कियों को जिंदा जलाने की धमकी देते हैं ? या फिर दस साल का बच्चा 70 साल के बुजुर्ग को पीटता है।

कश्मीर का ताना-बाना बिगाड़ने की कोशिश

मौलाना आजाद मार्ग पर स्थित महिला कॉलेज में सीईटी परीक्षा के लिए बने केंद्र का मुआयना करने के बाद मुख्यमंत्री पत्रकारों से बातचीत कर रही थी। उन्होंने कहा कि हम सभी को आत्मचिंतन करना चाहिए कि हिंसा के कारण कैसे कश्मीर में शिक्षा, पर्यटन और सामाजिक ताना-बाना बिगड़ रहा है। हमारे बच्चे केएएस की परीक्षा व प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। आजादी की बात करने वालों को पता होना चाहिए कि फिलस्तीन और उसके जैसे अन्य इलाकों में लोग अपने बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं होने देते, लेकिन कश्मीर में उल्टा है। यहां कुछ लोग हमारे बच्चों का इस्तेमाल ङ्क्षहसा फैलाने के लिए कर रहे हैं। हमारे लिए हमारे नौजवानों का रोशन मुस्तकबिल अहमियत रखता है, इसलिए हमने आज उनके लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। यही बच्चे जम्मू-कश्मीर की बुनियाद हैं। जो बच्चा पढऩा चाहता है, आप कैसे रोक सकते हैं। मुझे अफसोस है कि कश्मीरी नौजवान की बात करने वाले ही कश्मीर को तबाह कर रहे हैं। विरोध जताने का हक हरेक को है, लेकिन यह कौन-सा विरोध है जहां एक दस साल का बच्चा घर से रोटी कमाने निकले 70 साल के बुजुर्ग को पीटे। स्कूटी चलाने वाली लड़कियों को जलाने की धमकी दी जाए। यह कौन-सा कश्मीर बन रहा है, ऐसा कश्मीर तो नहीं चाहिए।

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पैलेट गन पर विकल्प सोच रहे

पैलेट गन के बारे में उन्होंने कहा कि हम इसके विकल्प पर सोच रहे हैं। यह तभी घातक होती है जब नजदीक से लगे। सुरक्षाबलों ने शुरू में पूरा संयम बरता। उन्हें इसकी हिदायत थी, लेकिन जब कुछ नौजवान नारेबाजी करते हुए थानों और शिविरों में दाखिल हो गए तो उस समय सुरक्षाबलों के पास बल प्रयोग करने के अलावा कोई चारा नहीं रहा। सार्वजनिक संपत्ति को जलाया गया, जिसे हमें दोबारा बनाना होगा।

हड़ताल और पथराव से क्या मिलेगा ?

महबूबा ने कहा कि अमन और बातचीत ही सभी समस्याओं का हल है। भारत-पाक के बीच जंग हुई, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। एक मुल्क ने जंग जीती, लेकिन जमीन का टुकड़ा नहीं मिला। जमीन के टुकड़े को जब आप जंग से नहीं ले सके तो अब हड़ताल और पथराव से क्या मिलेगा। अपने पिता मुफ्ती मुहम्मद को याद करते हुए महबूबा ने कहा कि 'मुफ्ती साहब का जो सिद्धांत था कि ग्रेनेड से ना गोली से, बात बनेगी बोली से, मुझे लगता है कि अब मुफ्ती साहब के इस सिद्धांत के अलावा कोई चारा नहीं है। मुफ्ती ने यह कहा था कि यहां सुरक्षाबल भी आए, लेकिन मसलों का हल नहीं निकल पाया। जैसे कि मुफ्ती साहब कहा करते थे कि मसला जेहन में हैं, इसे यहीं पर संबोधित करना पड़ेगा। जिन लोगों की दूसरी विचारधारा है, उन्हें युवा पीढ़ी के दर्द को भी समझना चाहिए। वह इस हिंसा से क्या पाना चाहते हैं? कौन-सी आजादी, कौन-सा पाकिस्तान या कौन सा भारत?

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