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    Cyclone Bhola: 222 KM की रफ्तार से चला वो तूफान, जिसने छीन ली लाखों जिंदगियां; संभलने तक का नहीं मिला था मौका

    By Devshanker ChovdharyEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 04:00 PM (IST)

    Cyclone Bhola Devastating Tragedy in Bangladesh तूफान भोला ने बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में लाखों लोगों को अपनी आगोश में ले लिया था और मौत की नींद सुला दिया। वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन का मानना है कि इस रौद्र रूपी तूफान में तीन से पांच लाख लोगों की मौत हुई थी।

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    Cyclone Bhola: पढ़ें तूफान 'भोला' की कहानी।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Cyclone Bhola Devastating Tragedy in Bangladesh: चक्रवात तूफान 'बिपरजॉय' को लेकर भारत के तटीय इलाकों में चेतावनी जारी कर दी गई है। तूफान के खतरे को देखते हुए शासन-प्रशासन की तैयारी पर चल रही है, ताकि जरूरत पड़ने पर इससे निपटा जा सके।

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    कोई भी तूफान कितना खतरनाक साबित हो सकता है इसका अंदाजा बिल्कुल भी नहीं लगाया जा सकता है। इसका एक उदाहरण है चक्रवात तूफान 'भोला'। तूफान 'भोला' ने बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में लाखों लोगों को अपनी आगोश में ले लिया था और मौत की नींद सुला दिया।

    तूफान 'भोला' ने दिखाया था रौद्र रूप

    आज से करीब 53 साल पहले तूफान भोला ने अपना ऐसा रौद्र रूप दिखाया कि देखते-देखते तीन से पांच लाख लोग दुनिया छोड़ चुके थे। तूफान का नाम भले ही भोला था, लेकिन इसने बांग्लादेश में भीषण तबाही मचाई थी। इसके रौद्र रूप की वजह से इसे 'द ग्रेट भोला' कहा गया।

    कब आया था तूफान 'भोला'?

    पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश बनने से करीब एक वर्ष पहले आठ नवंबर 1970 को चक्रवात भोला बंगाल की खाड़ी में बनना शुरू हुआ और 12 से 13 नवंबर के बीच बांग्लादेश के तट से टकराया था। ये इतना भीषण था कि इसके तटीय इलाके से टकराते ही समुद्र 33 फीट तक की ऊंची लहरें उठने लगी थी।

    तूफान ने संभलने तक का नहीं दिया मौका

    तूफान की रफ्तार काफी तेज थी। बांग्लादेश के चिटगांव में मौसम विभाग ने इसकी रफ्तार 144 किमी प्रति घंटा बताया, लेकिन अगले 45 मिनट में तूफान की रफ्तार 222 किमी प्रति घंटे तक पहुंच गया। इस वजह से किसी को संभलने तक का मौका नहीं मिल सका।

    तूफान 'भोला' से तीन लाख से अधिक लोगों की हुई थी मौत

    आज से करीब 53 वर्ष पहले आए तूफान भोला में मारे गए सटीक मृतकों का आंकड़ा तो मौजूद नहीं है, लेकिन वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन का मानना है कि इस रौद्र रूपी तूफान में तीन से पांच लाख लोगों की मौत हुई थी। ऐसी रिपोर्ट्स है कि इस तूफान ने करीब 85 फीसदी घरों को अपने चपेट में ले लिया था।

    क्या कहता है बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति?

    बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति देखा जाए, तो चक्रवाती तूफानों के लिए ये देश हमेशा से अति संवेदनशील रहा है। बांग्लादेश का 35 प्रतिशत क्षेत्र समुद्र तल से 20 फीट से कम ऊंचाई पर है। बांग्लादेश का कम से कम 20 फीसदी क्षेत्र प्रत्येक वर्ष बाढ़ से प्रभावित रहता है। वहीं, बांग्लादेश का तटीय इलाकों का दायरा करीब 575 किमी तक फैला हुआ है।

    13 द्वीपों पर नहीं बचा था कोई जिंदा

    विनाशकारी तूफान के बाद रेडिया पाकिस्तान ने बताया था कि बांग्लादेश के चिटगांव के पास 13 द्वीपों पर बसे सभी लोग मारे गए गए थे। तूफान ने की जहाजों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था। अनुमान है कि इस तूफान ने 36 लाख लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित किया था। तूफान की वजह से कई स्थानों पर एक मीटर तक पानी जमा हो गया था।

    मछली उद्योग हो गया था बुरी तरह तबाह

    बताया जाता है कि इस तूफान के कारण बांग्लादेश में मछली उद्योग पुरी तरह से बर्बाद हो गया था, क्योंकि तटीय इलाकों में बसे 77 हजार मछुआरों में से करीब 46 हजार की मौत हो गई थी। इसके अलावा बाकी बचे लोग गंभीर रूप से जख्मी हो चुके थे। माना जाता है कि तूफान ने 65 प्रतिशत मछली उद्योग को खत्म कर दिया था।

    भोला का भारत पर भी पड़ा था असर

    तूफान भोला ने भारत पर भी अपना प्रभाव छोड़ा था। इस तूफान के आने से भारत के तटीय इलाकों में जोरदार बारिश हुई थी, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ था। वहीं, इस तूफान की वजह से कोलकाता से कुवैत जा रहे करीब 5500 टन वजन का जहाज समुद्र में डूब गया था, जिसमें सवार 50 लोगों की मौत हो गई थी।