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    दाऊद मामले में फिर बेनकाब हुआ पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र भारत के साथ

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 23 Aug 2016 08:29 PM (IST)

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अलकायदा प्रतिबंध समिति द्वारा सूची में से जो पते हटाए जा रहे हैं, उनमें से एक पता संयुक्त राष्ट्र में इस्लामाबाद की दूत मलीहा लोधी के आवास का है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और मुंबई के गुनहगार दाऊद इब्राहिम को पनाह देने के मामले में पाकिस्तान की पोल खुल गई है। संयुक्त राष्ट्र की समिति ने पाकिस्तान के भीतर दाऊद इब्राहिम के छह पतों को सही पाया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र को दाऊद के कुल नौ पते दिए थे। अब संयुक्त राष्ट्र ने भारत का दावे की पुष्टि कर दी है।

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    जाहिर है कि पाकिस्तान को यह जवाब देना होगा कि आतंकवाद को अपनी जमीन पर पनाह न देने के वादे के बावजूद वह दाउद को क्यों बचा रहा है। भारत का यह दावा पुख्ता हो गया है कि आतंक को पाक की जमीन से मदद मिल रही है। दरअसल भारत ने पिछले साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र को दाऊद इब्राहिम का डोजियर सौंपा था। इस डोजियर में पाकिस्तान के नौ पतों का उल्लेख था, जहां दाऊद अक्सर देखा जाता है। एक साल की जांच के बाद आइएसआइएस और अलकायदा पर प्रतिबंध की निगरानी करने वाली संयुक्त राष्ट्र की समिति ने दाऊद इब्राहिम के छह पते को सही ठहराया है।

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    जो तीन पते दाऊद से जुड़े नहीं पाए गए हैं, उन्हें संयुक्त राष्ट्र ने डोजियर से निकाल दिया है। इनमें एक पता संयुक्त राष्ट्र में इस्लामाबाद की दूत मलीहा लोधी के आवास का है। संयुक्त राष्ट्र की मुहर लगने के बाद भारत की लड़ाई को और बल मिल गया है। अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की मुहिम और मजबूत हो गई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि दुनिया के सामने पाकिस्तान का झूठ पकड़ा गया है। संयुक्त राष्ट्र की समिति ने भारत के दावे पर मुहर लगा दी है कि दाऊद पाकिस्तान में छिपा हुआ है।

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    1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों का आरोपी भारत में वांछित हैं और भारत के अनुरोध पर 1995 से उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेडकार्नर नोटिस भी जारी किया हुआ है। लेकिन रेड कार्नर नोटिस के आधार पर कार्रवाई के बजाय पाकिस्तान उसके अपने यहां होने से ही इनकार करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 2003 में ही दाऊद इब्राहिम को अंतरराष्ट्रीय आतंकी की सूची में डाल दिया था। समय-समय पर उससे जुड़ी जानकारी को संयुक्त राष्ट्र अपडेट करता रहा है। अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद से ही उसकी संपत्ति कुर्क है। उसकी यात्राओं पर प्रतिबंध है।

    संयुक्त राष्ट्र की सूची में उसके कई छद्म नामों का उल्लेख है, जिनमें शेख फारूकी, बड़ा सेठ, बड़ा भाई, इकबाद भाई, मुच्छड़ और हाजी साहब प्रमुख हैं। इसमें उसके पाकिस्तान से जारी विभिन्न पासपोर्ट का ब्यौरा भी है। एक पासपोर्ट रावलपिंडी में 1991 में जारी किया गया। इसके बाद जुलाई 1996 में कराची में और जुलाई 2001 में फिर रावलपिंडी में से पासपोर्ट जारी किया गया। इसके पहले दाऊद ने 1985 में दुबई से भी एक पासपोर्ट बनवाया था। समिति ने विभिन्न छद्म नामों बने इन पासपोर्टो को भी दाऊद का ही पाया है। जाहिर है पाकिस्तान सरकार के संरक्षण के बिना छद्म नामों से पासपोर्ट नहीं बनाया जा सकता है।

    दरअसल भारत लंबे समय से पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय बातचीत में दाऊद का मुद्दा उठाता रहा है। एनएसए, विदेश सचिव, गृहमंत्री या फिर प्रधानमंत्री के स्तर होने वाली सभी बातचीत में भारत की ओर से पाकिस्तान में छुपे वांछित अपराधियों का डोजियर सौंपा जाता रहा है, जिनमें दाऊद का नाम सबसे ऊपर होता था। लेकिन पाकिस्तान हमेशा भारत के दावे को आधारहीन बताकर खारिज कर देता था। लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र की समिति की जांच को खारिज करना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा।

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