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    राजस्थान लोक सेवा आयोग के नवनियुक्त सदस्य सुशील कुमार बिस्सु एवं डॉ अशोक कुमार कलवार ने किया पदभार ग्रहण

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 02:17 PM (IST)

    राजस्थान लोक सेवा आयोग के नवनियुक्त सदस्य सुशील कुमार बिस्सु एवं डॉ अशोक कुमार कलवार ने बुधवार को प्रात पदभार ग्रहण किया। आयोग के अध्यक्ष सहित अन्य सदस्यों से मुलाकात की। आयोग में नए सदस्यों की नियुक्ति से आयोग की भर्तियां और साक्षात्कार में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है। आयोग के कर्मचारियों में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है।

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    सुशील कुमार बिस्सू का जन्म 5 मार्च 1965 को हुआ था।

    एजुकेशन डेस्क, अजमेर: राजस्थान लोक सेवा आयोग में पेपर लीक प्रकरण से उपजे हालात के बाद राज्य सरकार ने मंगलवार रात बड़ा फैसला लेते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में तीन नए सदस्य नियुक्त किए। पूर्व आईपीएस हेमंत प्रियदर्शी, डॉ. सुशील कुमार बिस्सू और डॉ. अशोक कुमार कलवार को सदस्य बनाया गया है। बता दें, कि आयोग में 6 सदस्यों के पद खाली चल रहे थे। तीन नए सदस्यों की नियुक्त के बाद कुल 10 पदों में से 7 सदस्यों के पद भर गए हैं तथा तीन पद अब भी खाली चल रहे हैं। कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह नियुक्ति की गई है।

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    सरल व्यक्तित्व के धनी हैं सुशील कुमार बिस्सू

    सुशील कुमार बिस्सू साधारण किसान परिवार से संबंध रखते हैं। प्रोफेसर होने के नाते शिक्षा जगत से उनका नाता रहा है। अजमेर के पंचशील नगर निवासी सुशील कुमार बिस्सू का जन्म 5 मार्च 1965 को हरियाणा के गोदी का गांव में हुआ। शुरुआती शिक्षा अहमदपुर डारे वाला और पक्का सारण, हनुमानगढ़ के सरकारी विद्यालय से पूरी की। इसके बाद गंगानगर दव स्कूल से 11वीं की शिक्षा ली और उच्च शिक्षा के लिए खालसा कॉलेज गंगानगर का रुख किया। यहां से उन्होंने बीएससी और एमएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उदयपुर की सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी कर उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयां पाई।

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि वाले बिस्सू का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से गहरा जुड़ाव रहा। उन्होंने 1992 में नोहर में व्याख्याता के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए वे प्रशासनिक जिम्मेदारियों तक भी पहुंचे और सहायक निदेशक अजमेर संभाग बने। 31 मार्च 2025 को वे सहायक निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों ने उन्हें नई पहचान प्रदान की।आरपीएससी में एक नई ऊर्जा लेकर आए हैं।

    अजमेर निवासी डॉ. सुशील कुमार बिस्सू एक प्रख्यात शिक्षाविद् और गणित के प्रोफेसर, 33 वर्षों के शिक्षण अनुभव के साथ आरपीएससी में एक नई ऊर्जा लेकर आए हैं। बिस्सू ने एमएससी और पीएचडी की डिग्री हासिल की और 35 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। उनकी सादगी और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता उनकी पहचान है। अपने शिक्षण कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अपने वेतन का एक हिस्सा वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों पर खर्च किया, जो उनकी सामाजिक जिम्मेदारी और दूरदर्शिता को दर्शाता है। उनकी नियुक्ति से यह स्पष्ट है कि सरकार अब उन व्यक्तियों को महत्व दे रही है जो न केवल योग्य हैं, बल्कि समाज के प्रति जवाबदेह भी हैं।

    नवनियुक्त सदस्य हेमंत प्रियदर्शी साल 1992 बैच के आईपीएस हैं, एम टेक मैकेनिकल और डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एमफिल, डीजी पुलिस, साइबर क्राइम, एसीबी फॉरेंसिक साइंस लैब के डायरेक्टर रह चुके हैं। उन्होंने आईटीबीपी और सीआरपीफ में भी अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। डॉ. अशोक कुमार कलवार हेमेटो-ऑन्कोलॉजी में सीनियर कंसल्टेंट होने के साथ देश के कई बड़े अस्पतालों में सेवाएं दे चुके हैं। कलवार के 30 से ज्यादा इंटरनेशनल और 70 से अधिक नेशनल रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं। डॉ. अशोक मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले हैं।

    आरपीएससी का विवादित इतिहास

    आरपीएससी का इतिहास भ्रष्टाचार, अयोग्य नियुक्तियों और अनियमितताओं से भरा रहा है। खासकर 2021 के सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती पेपर लीक मामले ने आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे। इस मामले में कई सदस्य विवादों में घिरे रहे हैं

    1. रामू राम राइका: पूर्व आरपीएससी सदस्य, जिन्हें 2021 एसआई भर्ती पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया। उन पर अपने बेटे और बेटी को पेपर लीक करने का आरोप था।

    2. बाबूलाल कटारा: पूर्व सदस्य, जिन्हें भी पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने अपराध स्वीकार किया, लेकिन इस्तीफा नहीं दिया।

    3. संगीता आर्या: वर्तमान सदस्य, जिनकी भूमिका पर हाई कोर्ट ने सवाल उठाए और जांच के निर्देश दिए। उनकी उपस्थिति आयोग की साख पर सवाल उठाती है।

    4. मंजू शर्मा: कवि कुमार विश्वास की पत्नी और पूर्व सदस्य, जिन्होंने 2 सितंबर 2025 को इस्तीफा दे दिया।

    5. संजय श्रोत्रिय: पूर्व अध्यक्ष, जिनके कार्यकाल में पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोप लगे। उनकी भूमिका पर भी हाई कोर्ट ने संदेह जताया।

    6. जसवंत राठी: पूर्व सदस्य, जिनका नाम भी एसआई पेपर लीक मामले में जांच के दायरे में आया।

    7.हबीब खान : पूर्व अध्यक्ष, जिन्हें 2014 में आरएएस और आरजेएस भर्ती में पेपर लीक के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा। आरोप था कि उन्होंने पेपर लीक के माध्यम से अपनी बेटी को आरजेएस की परीक्षा में पास करवा दिया। उन्होंने कुछ समय जेल की भी शोभा बढ़ाई।

    अयोग्य नियुक्तियों का लंबा इतिहास

    आरपीएस में अतीत में कई नियुक्तियां योग्यता के बजाय जोड़-तोड़, जाति, या राजनीतिक संरक्षण के आधार पर हुईं। रामू राम राइका और बाबूलाल कटारा जैसे सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठे, क्योंकि उनकी शैक्षणिक और पेशेवर पृष्ठभूमि आयोग की जिम्मेदारियों के अनुरूप नहीं थी। इन नियुक्तियों ने न केवल आयोग की साख को ठेस पहुंचाई, बल्कि युवाओं के बीच अविश्वास भी पैदा किया। 2021 एसआई भर्ती पेपर लीक मामले में हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आयोग की विश्वसनीयता दांव पर है, और कई सदस्यों की भूमिका संदिग्ध रही।

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