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    Atal Bihari Vajpayee: अटल की अटल गाथा, एक ऐसा राजनेता जिसके विपक्षी तक रहे दीवाने

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 01:56 PM (IST)

    अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती आज सेलिब्रेट की जा रही है। इस मौके पर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में उनकी 65 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया ...और पढ़ें

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    Atal Bihari Vajpayee: अटल की अटल गाथा

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। देश आज यानी 25 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जन्म जयंती मना रहा है। आज के इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सदैव अटल' स्मारक पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। अटल बिहारी वाजपेई हमारे देश के ऐसे राजनेता थे जिनके विपक्षी भी दीवाने रहे थे। अटल जी एक भारतीय राजनेता, कवि, पत्रकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता थे। अटल जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
    ऐसे ही एक बेहतरीन राजनेता के जीवन के पहलुओं के बारे में आप क्रम से पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं और अटल जी की अटल गाथा की पूरी डिटेल हासिल कर सकते हैं।

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    अटल जी की अटल गाथा

    • 1924: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था।
    • 1942: आजादी के आंदोलन में लिया भाग। 24 दिन जेल में रहे बंद। इसका जिक्र उन्होंने 'संघ मेरी आत्मा है' शीर्षक से एक लेख में जानकारी प्रदान की।
    • पत्रकार के रूप में भी किया काम: वर्ष 1951 में अटल जी ने पत्रकार के रूप में काम किया। इसी दौरान वे नवगठित भारतीय जनसंघ पार्टी में शामिल हुए।

    1957 में पहली बार बने सांसद

    अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार वर्ष 1957 में सांसद बने। वे 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा सांसद रहे। पहली बार 1957 में बलरामपुर से लोकसभा के लिए चुने गए और आखिरी बार 2009 में लखनऊ से सांसद थे। 1991 से 2009 तक लखनऊ से लगातार सांसद रहे। राज्यसभा के लिए 1962 में चुने गए थे।

    अटल जी के जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलू

    1. 1975: आपातकाल के दौरान आंदोलन के चलते जेल गए।
    2. 1977-79: जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।
    3. 1980: जनता पार्टी से संबंध तोड़ लिए और भारतीय जनता पार्टी के गठन में सहयोग किया। उन्हें पार्टी का अध्यक्ष चुना गया।
    4. 1992: सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
    5. 1996: पहली बार वे 1996 में प्रधानमंत्री बने, लेकिन उन्हें केवल 13 दिनों के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा।
    6. 28 मई को उन्होंने एक ऐतिहासिक भाषण में, विश्वास मत से पहले सदन में इस्तीफा दे दिया।
    7. 1998 में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनी और वे फिर से प्रधानमंत्री बने।
    8. 1999: अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए 11 और 13 मई को राजस्थान के पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए।
    9. 2000: मार्च में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान उनके साथ "अमेरिका-भारत संबंध: 21वीं सदी के लिए एक दृष्टिकोण" शीर्षक वाले एक बयान पर हस्ताक्षर किए। इस बयान में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में बाधाओं को कम करने और दोनों देशों के बीच वाणिज्य का विस्तार करने की प्रतिज्ञा का जिक्र किया गया था।
    10. 1999: वर्ष 1999 में एक साल सरकार चलाने के बाद गठबंधन टूटने से फिर से प्रधानमंत्री पद से पीछे हटना पड़ा। लेकिन उसी साल अक्टूबर में एनडीए के सबसे बड़े राजनीतिक गठबंधन के रूप में उभरने के बाद वे तीसरी बार देश प्रधानमंत्री बन गए।
    11. 2000: सितंबर में, अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के निमंत्रण के बाद, उन्होंने एक ऐसा भाषण दिया जिसने द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। वाजपेयी ने कहा कि वाशिंगटन की उनकी यात्रा ने "दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंधों को मजबूत किया है और द्विपक्षीय और वैश्विक मामलों में एक नए युग की शुरुआत की है।"
    12. 2004: मई 2004 लोकसभा चुनाव में एनडीए को चुनाव में हार मिली जिसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा।

    2005 में राजनीति से लिया संन्यास 

    उसके बाद अगले ही वर्ष 2005 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लिया और आगे कभी चुनाव नहीं लड़ा। अटल जी को वर्ष 2009 में स्ट्रोक आया जिससे उनकी बोलने की क्षमता प्रभावित हुई।

    भारत रत्न से हुए सम्मानित: वर्ष 2015 में अटल जी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रोटोकॉल से हटकर, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी वाजपेयी के आवास पर गए और बीमार नेता को पुरस्कार प्रदान किया।
    भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में नई दिल्ली के एम्स (AIIMS) में हुआ था। 17 अगस्त 2018 को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

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