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    अरावली के बाद ये है भारत के सबसे पुराने पहाड़, यहां देखें उनका इतिहास

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 03:16 PM (IST)

    अरावली पहाड़ भारत का सबसे पुराना पहाड़ है। यह पहाड़ हिमालय से भी ज्यादा पुराना है। इसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट आबू में स्थित गुरु शिखर है। अरावली चार रा ...और पढ़ें

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    यहां देखें सबसे पुराने पहाड़ का इतिहास।

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली: तकरीबन 1.8 से 3.2 अरब साल पुरानी अरावली पर्वतमाला इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है। इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला है, जिसमें अरावली के 100 मीटर और उससे ऊंची पहाड़ी ही अरावली पर्वतमाला की श्रेणी के अंतर्गत आएगी। लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे 100 मीटर से कम ऊंची वाली पहाड़ियां अरावली श्रेणी से बाहर हो जाएगी और इससे पर्यावरण को एक बड़ा नुकसान हो सकता है। आपको बता दें, अरावली भारत की सबसे पुरानी पर्वतमाला है। यहां तक की अरावली हिमालय से भी पुरानी पर्वतमाला है।

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    लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल अरावली ही नहीं, बल्कि भारत में ऐसी कई पर्वतमालाएं है, जिनका इतिहास सदियों पुराना है। जी हां अगर आप अरावली के साथ-साथ भारत के सबसे पुराने पहाड़ों के बारे में जानने के लिए इच्छुक हैं, तो आज इस लेख के माध्यम से हम आपको न केवल अरवाली, बल्कि भारत के अन्य पुराने पहाड़ों के इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे।

    पहले अरावली रेंज पर एक नजर

    अरावली शब्द संस्कृत के 'अर्बुदावलि' से बना है। इसे राजस्थान में 'आडावळ' नाम से भी जाना जाता है। अरवाली का इतिहास हिमालय से भी ज्यादा पुराना है। बता दें, अरवाली परवर्तमाला को भारत की रीढ़ कहा जाता है। यह चार राज्यों से होकर गुजरती है। अरावली दिल्ली से दक्षिण हरियाणा और फिर राजस्थान की ओर जाती है। इसके बाद यह गुजरात में अहमदाबाद के मैदानों तक जाती है। अरावली की पहाड़ियां भारत की जलवायु एवं पर्यावरण के लिए बेहद ही अहम है।

    पूर्वी घाट

    पूर्वी घाट का इतिहास लगभग 800 मिलियन साल पुराना है। पूर्वी घाट भारत के दक्षिण-पूर्वी भाग में हिंद महासागर के तट पर मौजूद है। इसकी श्रृंखला ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों से होकर गुजरती है। पूर्वी घाट का सबसे ऊंचा पहाड़ 'अरमा कोंडा' है। इसके साथ ही यह 75,000 वर्ग किलोमीटर तक फैली हुई है। 

    विंध्य पर्वत

    विंध्य शब्द संस्कृत के शब्द “विन्ध्य” से बना है, जिसका अर्थ है रास्ते में पड़ना। विंध्य पर्वत लगभग 650 मिलियन साल पुरानी है। यह मध्य प्रदेश से वाराणसी (बनारस) की गंगा नदी घाटी से होकर गुजरती है। इसके साथ ही विंध्य पर्वत से गंगा-यमुना दक्षिणी सहायक नदिया निकलती हैं। इनमें चंबल, बेतवा, केन और टोन्स शामिल हैं। ये पहाड़िया आकार में छोटी हैं।

    सतपुड़ा पहाड़

    भारत में स्थित सतपुड़ा पहाड़ लगभग 600 मिलियन साल पुराना है। यह पूर्वी गुजरात से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ में जाकर खत्म होती है। यह पहाड़ियां लगभग 900 किलोमीटर तक फैली हुई है। इसके अलावा, सतपुड़ा पहाड़ शिस्ट, ग्रेनाइट और क्वार्टजाइट से बनी है। सतपुड़ा पहाड़ की चोटियां पठार आकृति की तरह दिखाई देती है। इसमें दक्षिण की ओर स्थित पहाड़ की श्रेणियों में ढ़लान ज्यादा और उत्तर की ओर स्थित सतपुड़ा की श्रेणियों में ढलान कम होती है।

    महेंद्रगिरी पहाड़

    महेंद्रगिरी पहाड़ का इतिहास भी काफी ज्यादा पुराना है। महेंद्रगिरी पहाड़ का वर्णन पौराणिक कथाओं जैसे रामायण और महाभारत में भी मिलता है। इस पहाड़ की ऊंचाई 1,501 मीटर है। यह पहाड़ ओडिशा और आंध्र प्रदेश में स्थित हैं। महेंद्रगिरी ओडिशा की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। साथ ही यहां 600 से अधिक पुष्पीय पौधे और औषधीय जड़ी-बूटियां मिलती है। इसके साथ ही साल 25 नवंबर‚ 2022 को ओडिशा सरकार ने महेंद्रगिरि पहाड़ी को जैव विविधता विरासत घोषित किया था।

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