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    'गतिविधियों' के सहारे परिवारों को जोड़ने का प्रयास कर रहा संघ, 3 दिवसीय समन्वय बैठक में प्रतिनिधि कर रहे चर्चा

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sat, 16 Sep 2023 12:30 AM (IST)

    संघ अपनी गतिविधियों के सहारे शाखा से इतर पूरे परिवार को जोड़ने के प्रयास में जुट गया है। 1925 में संघ की स्थापना के बाद से संघ के आनुषंगिक संगठनों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी होती गई और ये सभी आनुषंगिक संगठन आज अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा काम भी कर रहे हैं। समन्वय बैठक में संघ के 36 आनुषंगिक संगठनों के प्रमुख और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं

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    संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने समन्वय बैठक शुरू होने से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए।

    पुणे, ओमप्रकाश तिवारी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहचान कभी सिर्फ 'शाखा' के कारण होती थी। अब संघ अपनी गतिविधियों के सहारे शाखा से इतर पूरे परिवार को जोड़ने के प्रयास में जुट गया है। पुणे में चल रही संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक में जुटे प्रतिनिधि भी पांच प्रमुख गतिविधियों को अमल में लाने की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं।

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    सुनील आंबेकर ने समन्वय बैठक से पहले दिए थे कई संकेत

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने समन्वय बैठक शुरू होने से पहले ही संकेत दिए थे कि बैठक में पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, समाजिक समरसता, स्वदेशी आचरण और नागरिक कर्तव्य को आगे बढ़ाने के विषयों पर चर्चा होगी। 1925 में संघ की स्थापना के बाद से संघ के आनुषंगिक संगठनों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी होती गई और ये सभी आनुषंगिक संगठन आज अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा काम भी कर रहे हैं।

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    विद्यार्थियों के बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मजदूरों के बीच अखिल भारतीय मजदूर संघ, वनवासियों के बीच वनवासी कल्याण आश्रम, राजनीति के क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी आदि। स्वदेशी जागरण मंच और समरसता मंच जैसे संगठन भी शुरुआत में इसी प्रकार खड़े किए गए थे। संघ अब आज की जरूरत के अनुसार स्वदेशी और सामाजिक समरसता में कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण और नागरिक कर्तव्य के मुद्दों को जोड़कर और व्यापक तरीके से समाज के बीच ले जाना चाहता है। इसके लिए वह इन गतिविधियों के साथ देश के करोड़ों परिवारों तक पहुंचने की रणनीति बना रहा है।

    बैठक में भाग ले रहे हैं संघ के 36 आनुषंगिक संगठनों के प्रमुख 

    समन्वय बैठक में संघ के 36 आनुषंगिक संगठनों के प्रमुख और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, इसलिए इन 'गतिविधियों' की चर्चा उनके बीच करके संघ उन्हें भी इनमें सहयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहता है। संघ शुरुआत से ही पारिवारिक मूल्यों का समर्थक रहा है। उसके प्रचारक पहले से परिवारों में ही रुकते और भोजन करते रहे हैं। इस बहाने उनकी परिवार के सभी सदस्यों से चर्चाएं भी होती रहती हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय परिवारों में पाश्चात्य मूल्यों के प्रति आकर्षण बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसके कारण कर्तव्य के बजाय अधिकार की भावना हावी होती जा रही है।

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    भारतीय मूल्यों के प्रति आकर्षण पैदा करना चाहता है संघ

    संघ कुटंब प्रबोधन के माध्यम से भारतीय परिवारों को पाश्चात्य चिंतन से बचाकर उनमें भारतीय मूल्यों के प्रति आकर्षण पैदा करना चाहता है। इसके लिए संघ बड़ी संख्या में परिवारों को बुलाकर उनके बीच सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी आचरण और पर्यावरण जैसे मुद्दों को ले जाने की योजना बना रहा है। क्योंकि ये सभी विषय आज किसी न किसी रूप में समाज के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। जाहिर है, संघ का ये काम सिर्फ उसकी शाखा से संबंध रखनेवाले परिवारों तक ही सीमित नहीं रहनेवाला है।

    करीब 25 करोड़ परिवारों तक पहुंचना चाहता है संघ

    अपनी इन गतिविधियों के जरिए संघ देश के लगभग 25 करोड़ परिवारों तक पहुंचना चाहता है। खास बात यह कि ऐसी गतिविधियां संघ अपने स्वयंसेवकों के जरिए नहीं, बल्कि समाज में पकड़ रखनेवाले उन तमाम लोगों के जरिए करवाना चाहता है, जिनका संघ से कोई सीधा संबंध न हो। इनमें अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ और संस्थाएं शामिल हो सकती हैं। संघ इस लक्ष्य में सिर्फ उत्प्रेरक की भूमिका निभाना चाहता है।