Maharashtra: देवेंद्र फडणवीस को 2018 के चुनावी हलफनामा मामले में क्यों किया गया बरी? कोर्ट ने बताई असली वजह
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस को नागपुर की एक अदालत ने 2014 के चुनावी हलफनामा मामले में बरी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि फडणवीस ने विधानसभा चुनाव के हलफनामे में जानबूझकर या चुनाव जीतने के इरादे से अपने खिलाफ दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं छिपाई थी। यह अनजाने में हुई गलती थी। उन्होंने अपने खिलाफ गंभीर प्रकृति के 22 लंबित मामलों का उल्लेख किया था।

नागपुर, पीटीआई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2014 के विधानसभा चुनाव के हलफनामे में अपने खिलाफ लंबित दो आपराधिक मामलों की जानकारी अनजाने में छिपाई थी। हालांकि, उन्होंने अपने खिलाफ लंबित 22 मामलों का उल्लेख किया था, जो अधिक गंभीर प्रकृति के हैं। इसलिए दो मामलों को छिपाने से उनका कोई खास मकसद पूरा नहीं होगा। यह बात नागपुर की सिविल अदालत ने आठ सितंबर को फडणवीस को बरी करने का आदेश देते हुए कही।
सिविल जज ने बरी करने का दिया आदेश
सिविल जज संग्राम जाधव ने फडणवीस को बरी करने का आदेश दिया। कोर्ट का विस्तृत आदेश सोमवार को उपलब्ध हुआ।
फडणवीस ने जानबूझकर नहीं छिपाई थी जानकारी
कोर्ट ने कहा कि फडणवीस ने जानबूझकर अपने खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी नहीं छिपाई थी। यह अनजाने में हुई थी। अदालत ने यह भी कहा कि वर्तमान मामले में फडणवीस ने अपने खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामलों का विवरण इकट्ठा करने के लिए एक वकील की मदद ली।
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वकील ने दर्ज कराई थी शिकायत
दरअसल, एक वकील सतीश उके ने आवेदन दायर कर देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि 1996 और 1998 में फडणवीस के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में इस बारे में नहीं बताया।
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फडणवीस ने क्या कहा?
इस साल अप्रैल में फडणवीस ने अदालत में कहा कि उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा न करना उनके पिछले वकील की ओर से अनजाने में हुई गलती थी। उन्होंने कहा था कि उनका जानबूझकर जानकारी छिपाने का कोई इरादा नहीं था। फडणवीस अपना बयान दर्ज कराने के लिए दो मौकों पर अदालत में उपस्थित हुए थे।
जेल में हैं उके
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उके फिलहाल जेल में हैं। 2014 में जब उके की शिकायत पर पहली बार सुनवाई हुई तो सिविल कोर्ट ने फडणवीस के खिलाफ फैसला सुनाया था, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। हालांकि, उके ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि फडणवीस के खिलाफ मुकदमा चलाने का मामला बनता है।
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए भेज दिया। बाद में फडणवीस ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की, जिसे 2020 में खारिज कर दिया गया।
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