'मैंने कई चिन्हों पर लड़ा है चुनाव, बदल भी जाए तो चिंतित मत होना'; EC की सुनवाई से पहले शरद पवार की दो टूक
शरद पवार जहां NCP पर उनकी कमान होने का दावा करते आए हैं वहीं अजित पवार ने महाराष्ट्र में एनसीपी के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा किया है। बीते दिनों अजित ने बगावति तेवर दिखाते हुए महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने एनसीपी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई से ठीक पहले शरद पवार ने अपने गुट के नेताओं व समर्थकों से कहा कि कुछ लोग पार्टी पर भले ही दावेदारी जताकर चुनाव आयोग के सामने विवाद खड़ा कर रहे है, लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि पार्टी किसकी है और कौन इसका अध्यक्ष है। फिर भी पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह को हथियाने की साजिश हो रही है। ऐसे में निर्णय कुछ भी हो, उससे निराश या चिंतित होने की जरूरत नहीं है। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार अलग-अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ा और जीते भी। चुनाव चेहरे से जीते जाते है।
बगावत करने वालों पर निशाना
शरद पवार गुरुवार को दिल्ली में पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर बगैर किसी का नाम लिए पार्टी से बगावत करने वालों पर निशाना साधा और कहा कि अब वह सितंबर 2022 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुए पार्टी सम्मेलन को भी गलत बता रहे है, जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था।
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शुक्रवार को होगी सुनवाई
बता दें कि एनसीपी पर दावेदारी को लेकर यह विवाद तब खड़ा हुआ, जब अजीत पवार ने पार्टी के अधिकांश विधायकों को अपने साथ लेकर महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार में शामिल हो गए थे। साथ ही चुनाव आयोग में भी खुद को पार्टी अध्यक्ष बताते हुए उस पर अपनी दावेदारी ठोंक दी थी। इस विवाद के बाद शरद पवार ने भी चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रखा था। चुनाव आयोग ने एनसीपी के दोनों ही गुटों को छह अक्टूबर को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है।
पवार का सरकार पर निशाना
सीनियर पवार ने इसके साथ ही विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी और सीबीआइ के छापों को लेकर मोदी सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि दस साल पहले कोई ईडी को नहीं जानता था। लेकिन मौजूदा सरकार ने इस एजेंसी का इतना इस्तेमाल किया कि आज बच्चा-बच्चा इससे जानने लगा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के आबकारी मामले को ईडी और सीबीआइ जिस तरह से नई दिशा दे रही है।
मोदी पर भी निशाना साधा
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछा कि यदि इस मामले में राजनीतिक दलों की संलिप्तता है तो क्यों नहीं उसे आरोपी बनाए जाए। जिसे देखते हुए आने वाले दिनों में यदि राजनीतिक दलों के खिलाफ भी कार्रवाई होने लगे तो यह गलत नहीं होगा। वैसे भी पीएम ऐसी बातों को बढ़ावा देते है। उन्होंने मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि पहले प्रधानमंत्री यदि किसी सरकारी योजनाओं के उद्घाटन में जाते थे, तो राजनीतिक बात नहीं करते थे, वह सिर्फ योजनाओं के बारे में ही बोलते थे। लेकिन अब तो मोदी जी ऐसे मंचों से भी विपक्ष पर हमला बोलने से नहीं चूकते है।
विपक्षी दलों के बीच मतभेद पर साथ लाने की कोशिश
शरद पवार ने कहा कि हम मानते है कि विपक्षी दलों के बीच आपसी मतभेद हैं, बावजूद इसके हम सभी को साथ लाने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, कांग्रेस पार्टी और लेफ्ट दलों के बीच खूब मतभेद है, लेकिन हम सभी को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे है। हमारा कहना है कि विधानसभा भले ही सभी अलग-अलग लड़े लेकिन देश के लिए लोकसभा चुनाव सभी एक साथ मिलकर लड़ें।
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