बिजली विभाग की लापरवाही से खाक हो गई फसल, अब किसान को मिलेगा 10 लाख का मुआवजा; कोर्ट का बड़ा फैसला
नागपुर उपभोक्ता आयोग ने राज्य विद्युत कंपनी के चार कर्मचारियों को किसान को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। किसान की बांस की फसल बिजली विभाग की लापरवाही से जल गई थी। किसान ने खेत में 5000 बांस के पेड़ लगाए थे। बिजली के तारों के टकराने से पेड़ पूरी तरह नष्ट हो गए थे। वन विभाग ने नुकसान का आकलन 10.27 लाख रुपये किया था।
पीटीआई, मुंबई। नागपुर में उपभोक्ता आयोग ने राज्य के विद्युत कंपनी के चार कर्मचारियों को एक किसान को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। किसान की बांस की फसल बिजली विभाग की लरपरवाही से जलकर खाक हो गई थी।
नागपुर के अतिरिक्त जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने हाल ही में महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल) के तीन शीर्ष इंजीनियरों और क्षेत्रीय निदेशक को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
किसान ने खेत में लगाए थे पांच हजार पेड़
शिकायतकर्ता एक किसान ने बताया कि उसने अपने खेत में 5,000 बांस के पेड़ लगाए थे। 22 मार्च 2018 को एमएसईडीसीएल की उच्च ट्रांसमिशन लाइन के दो तारों के आपस में टकराने से पेड़ जलकर पूरी तरह से नष्ट हो गए। उसने इसकी जानकारी तहसीलदार और स्थानीय पुलिस को दी। इसके साथ ही इसकी सूचना बिजली कंपनी को भी दी।
किसान केवल 4.2 लाख रुपये का दिया गया मुआवजा
इसके बाद एक निरीक्षण रिपोर्ट तैयार कर बिजली कंपनी ने लाइन की मरम्मत की। वन विभाग ने नुकसान का आकलन 10.27 लाख रुपये किया और इसे एमएसईडीसीएल को सौंपा गया। हालांकि, किसान को केवल 4.2 लाख रुपये का ही मुआवजा दिया गया। इसके बाद किसान ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत की। उसने शिकायतकर्ता ने वन विभाग द्वारा निर्धारित किए गए मुआवजे की मांग की।
अधिकारियों ने की शिकायतकर्ता के दावे को खारिज करने की मांग
एमएसईडीसीएल के अधिकारियों ने अपने लिखित बयान में शिकायतकर्ता के दावे को खारिज करने की मांग की। आयोग ने कहा कि एमएसईडीसीएल ने बिजली की लाइन के रख-रखाव में लापरवाही दिखाई। आयोग ने वन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर वार्षिक ब्याज के साथ मुआवजा देने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि तमाम राज्यों में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन किसानों को मुआवजे के नाम पर कुछ हजार देकर पूरे मामले को निपटा दिया जाता है।
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