Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'मनोरंजन के लिए ताश खेलना कदाचार नहीं', सु्प्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला; जानिए पूरा मामला

    Updated: Sun, 25 May 2025 09:14 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मनोरंजन के लिए ताश खेलना नैतिक अधमता नहीं है। कोर्ट ने कर्नाटक की सहकारी समिति में हनुमंतरायप्पा के निर्वाचन को बहाल करते हुए यह टिप्पणी की। उन पर सड़क किनारे ताश खेलते हुए पाए जाने पर जुर्माना लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि हनुमंतरायप्पा आदतन जुआरी नहीं हैं और मनोरंजन के रूप में ताश खेलना नैतिक पतन नहीं है।

    Hero Image
    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने की सुनवाई (फोटो: एएनआई)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि जुआ अथवा सट्टेबाजी के उद्देश्य से परे केवल मनोरंजन के लिए ताश खेलना नैतिक अधमता, कदाचार नहीं है। कोर्ट ने कर्नाटक की एक सहकारी समिति में एक व्यक्ति के निर्वाचन को बहाल करते हुए यह टिप्पणी की।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सरकारी पोर्सिलेन फैक्ट्री कर्मचारी आवास सहकारी समिति लिमिटेड के निदेशक मंडल में चुने गए हनुमंतरायप्पा वाईसी पर कथित तौर पर बिना किसी सुनवाई के इसलिए 200 रुपये का जुर्माना लगाया गया क्योंकि वह कुछ अन्य लोगों के साथ सड़क किनारे बैठकर ताश खेलते हुए पकड़े गए थे।

    कोर्ट ने नहीं मानी नैतिक अधमता

    पीठ ने कहा, 'हमें यह मुश्किल लगता है कि अपीलकर्ता के खिलाफ लगाए गए कदाचार में नैतिक अधमता शामिल है। यह सर्वविदित है कि नैतिक अधमता शब्द का इस्तेमाल कानूनी और सामाजिक भाषा में ऐसे आचरण का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो स्वाभाविक रूप से नीच, भ्रष्ट हो या जिसका किसी प्रकार से भ्रष्टता से संबंध हो। हर वह कार्य जिसके खिलाफ कोई आपत्ति उठा सकता है, जरूरी नहीं कि उसमें नैतिक अधमता शामिल हो।'

    पीठ ने कहा, 'हनुमंतरायप्पा आदतन जुआरी नहीं हैं। ताश खेलने के कई रूप हैं। यह स्वीकार करना कठिन है कि इस तरह के हर खेल में नैतिक पतन शामिल होगा, खासकर जब इसे मनोरंजन और मन बहलाने के तौर पर खेला जाता है। दरअसल हमारे देश के अधिकांश हिस्सों में जुआ या सट्टेबाजी के बिना सरल तरीके से ताश खेलना एक गरीब आदमी के मनोरंजन के स्त्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है।'

    कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला खारिज

    • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हनुमंतरायप्पा को सहकारी समिति के निदेशक मंडल में सबसे अधिक मतों से चुना गया था और उनके चुनाव को रद करने की 'सजा' उनके द्वारा किए गए कथित कदाचार की प्रकृति के लिए अत्यधिक असंगत है।
    • पीठ ने 14 मई के अपने आदेश में कहा था, उपर्युक्त कारणों से हम संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता के खिलाफ की गई कार्रवाई को बरकरार नहीं रखा जा सकता है। इसलिए अपील स्वीकार की जाती है।
    • बहरहाल, इसने सहकारी समिति में निदेशक के पद से हनुमंतरायप्पा को हटाने के फैसले को बरकरार रखने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

    यह भी पढ़ें: सट्टेबाजी एप को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, कहा- आईपीएल के नाम पर लोग सट्टा लगा रहे हैं, जुआ खेल रहे हैं

    comedy show banner
    comedy show banner