Maharashtra Politics: महायुति में नहीं थम रही तकरार, सीएम फडणवीस के फैसले से शिंदे नाराज!
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। फिर से सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। हाल के दिनों में शिंदे सरकार के कई फैसलों पर सीएम फडणवीस ने रोक लगा दी। इसके साथ ही एकनाथ शिंदे के क्षेत्र में भाजपा के मंत्री द्वारा लगाए जा रहे जनता दरबार से भी तनाव देखने को मिल रहा है।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनने से पहले से ही भाजपा एवं पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच शुरू हुआ मनमुटाव अब रोज होनेवाली तकरार में बदल चुका है। ताजी तकरार एकनाथ शिंदे के क्षेत्र में भाजपा के मंत्री द्वारा लगाए जा रहे जनता दरबार एवं शिंदे के मुख्यमंत्रित्वकाल में किए गए कुछ फैसलों पर रोक को लेकर सामने आ रही है।
भाजपा कोटे के वरिष्ठ मंत्री गणेश नाईक इन दिनों ठाणे में अपना जनता दरबार लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जिन क्षेत्रों में प्रभारी मंत्री शिवसेना एवं राकांपा के बनाए हैं, वहां भी भाजपा का प्रभाव कायम रखने के लिए संपर्क मंत्री भाजपा के बना दिए हैं। ताकि भाजपा समर्थकों की शिकायतों का भी निवारण होता रहे। ऐसी ही एक नियुक्ति गणेश नाईक की ठाणे क्षेत्र में की गई है।
शिंदे के गढ़ में नाईक लगा रहे दरबार
गणेश नाईक राजनीति में एकनाथ शिंदे से काफी वरिष्ठ हैं। वह ठाणे से बिल्कुल सटे नई मुंबई के निवासी हैं, और ठाणे के बगल के ही विधानसभा क्षेत्र ऐरोली से विधायक चुनकर आए हैं। उनका नई मुंबई के अलावा ठाणे में भी अच्छा प्रभाव माना जाता है। वह स्वयं प्रभारी मंत्री तो कभी ठाणे जिले का ही भाग रहे पालघर जिले के बनाए गए हैं, लेकिन उन्हें ठाणे का संपर्क मंत्री बनाकर फडणवीस ने एकनाथ शिंदे की नकेल कसने का पूरा इंतजाम कर लिया है।
नाईक ने की अधिकारियों के साथ बैठक
सोमवार को उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जहां प्रयागराज में कुंभ स्नान में व्यस्त थे, वहीं राज्य के वनमंत्री गणेश नाईक न केवल शिंदे के गढ़ ठाणे में अपना जनता दरबार कर रहे थे, बल्कि वहां के अधिकारियों के साथ बैठकें भी कर रहे थे। वहां उनके बड़े-बड़े पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं।
ये बात उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बिल्कुल रास नहीं आ रही है। उनकी पार्टी के कोटे से राज्य में परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि अब वह पालघर में जनता दरबार लगाएंगे (क्योंकि पालघर के प्रभारी मंत्री गणेश नाईक हैं)। तनाव यहीं तक सीमित नहीं है।
पिछली सरकार के कई फैसलों पर फडणवीस की ना
मुख्यमंत्री फडणवीस ने शिंदे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एवं फसलों की खरीद के लिए नियुक्त की गई एजेंसियों के फैसले में अनियमितता देखते हुए इस पर रोक लगा दी है, और इस संबंध में एक समेकित नीति बनाने के निर्देश दे दिए हैं। फडणवीस इससे पहले भी शिंदे सरकार के कुछ फैसलों पर रोक लगा चुके हैं।
शिंदे और फडणवीस के बीच दिख रहा तनाव
जिलों के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति में भी शिंदे की नहीं चल रही है। इन कारणों से शिंदे और फडणवीस के बीच तनाव साफ देखा जा सकता है। हाल ही में शिंदे ने एक बयान में कहा था कि मुझे हलके में मत लो, नहीं तो मैं तांगा पलट दूंगा।
इस बारे में पत्रकारों के पूछने पर उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनका इशारा उद्धव ठाकरे की ओर था, या देवेंद्र फडणवीस की ओर। लेकिन फडणवीस की सरकार अपने दम पर भी पूर्ण बहुमत के इतना करीब है कि 2022 दोहराना (जब शिंदे ने उद्धव की सरकार गिराई थी) अब शिंदे के लिए आसान नहीं है।
गलत रिकार्ड वाले नहीं बनेंगे पीएस और ओएसडी
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया है कि गलत रिकार्ड वाले लोगों को कोई मंत्री अपना पीएस और ओएसडी नहीं बना सकेंगे। फडणवीस ने आज यह बात राकांपा कोटे से कृषि मंत्री बने माणिकराव कोकाटे का नाम लेते हुए स्पष्ट कर दी।
कोकाटे ने अपना पीएस और ओएसडी बनाने के लिए जो नाम मुख्यमंत्री के पास भेजे थे, उन्हें रोक लिया गया है। आज पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कोकाटे का नाम लेते हुए कहा कि माणिकराव कोकाटे को शायद यह नहीं पता कि पीएस और ओएसडी नियुक्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है।
कैसे होता है चयन?
मंत्री अपना प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजते हैं। मुख्यमंत्री उस पर अंतिम फैसला लेते हैं। फडणवीस ने आगे कहा कि यह नया नहीं है। मैंने मंत्रिणंडल की बैठक में स्पष्ट कह दिया था कि आप जो चाहें वो नाम भेज सकते हैं। लेकिन मैं गलत काम में शामिल रहे लोगों के नाम अप्रूव नहीं करूंगा।
सीएम ने आगे कहा कि अब तक मुझे 125 नाम प्राप्त हुए हैं। मैंने उसमें से 109 नामों को मंजूरी दी है। बाकी नामों को मंजूरी नहीं दी है, क्योंकि उनके खिलाफ कुछ आरोप हैं। मंत्रालय में उन्हें लेकर धारणा है कि वे दलाल हैं। कोई नाराज भी होता है, तो मैं ऐसे नामों को मंजूरी नहीं दूंगा।
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