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    पालघर में साधुओं की हत्‍या के मामले की जांच अब करेगी सीबीआइ, एकनाथ शिंदे की सरकार ने दी मंजूरी

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Tue, 11 Oct 2022 02:02 PM (IST)

    महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार पालघर में हुई साधुओं की हत्‍या के मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने के लिए तैयार हो गई है। यह साल 2020 की घटना है जिसमें बच्‍चा चाेरी के शक में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीट कर हत्‍या कर दी गई थी।

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    पालघर में साधुओं की हत्‍या के मामले की जांच अब करेगी सीबीआइ

    मुंबई, एजेंसी। महाराष्‍ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) में साल 2020 में दो साधुओं और उनके ड्राइवर को लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला था। इस मामले में अब एक नया मोड़ आया है जिसके तहत राज्‍य सरकार ने इसकी जांच सीबीआइ (केंद्रीय जांच ब्‍यूरो) को सौंपने के लिए तैयार हो गई है।

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    महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की सरकार ने दायर एक हलफनामे में कहा है कि वह सीबीआई को जांच सौंपने के लिए तैयार है और इस पर उन्‍हें कोई आपत्ति नहीं है। मालूम हो कि पालघर का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पास है। कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस केस की जांच सीबीआइ से कराए जाने की मांग की गई है, जिस पर राज्‍य सरकार ने हांमी भर दी है।

    क्‍या था मामला

    कल्पवृक्ष गिरी महाराज (70) और सुशील गिरी महाराज (35) अपने ड्राइवर नीलेश तलगाडे (30) के साथ मुंबई से सूरत के अपने रास्‍ते पर थे। पालघर के गढ़चिंचले से इनकी गाड़ी गुजरते के समय में लोगों की एक भीड़ ने घेर लिया और इन्‍हें गाड़ी से निकालकर पीटना शुरू कर दिया।

    ये दोनों साधु नासिक के रहने वाले थे और इनका संबंध श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से था। बता दें कि साधुओं के सबसे बड़े अखाड़ों में से इस अखाड़े का मुख्‍यालय बनारस में है।

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    बच्‍चा चोरी के शक में पिटाई

    अचानक साधुओं की पिटाई इस वजह से हुई क्‍योंकि उस दौरान अफवाह फैली थी कि गांव में मानव तस्‍कर खुलेआम घूम रहे हैं। इनका काम किडनियों की खरीद-बेच से जुड़ा हुआ है। ये तस्‍कर खासकर बच्‍चों को अपना निशाना बना रहे हैं। गांववालों को लगा कि ये लोग ही साधुओं के वेष में मानव तस्‍कर हैं और बस इतने पर ही भीड़ ने इन्‍हें घेरकर मारना शुरू कर दिया। यह घटना कासा पुलिस थाना के क्षेत्र में हुई थी।

    घटना को लेकर उठे कई सवाल 

    इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें मौके पर पुलिसकर्मी भी नजर आए थे, जिन्‍होंने साधुओं को बचाने का प्रयास करने के बजाय जो हो रहा था उसे होने दिया। इस घटना को लेकर खूब बवाल हुआ था। लोग सवाल उठाने लगे थे कि महज शक के आधार पर कोई ऐसा कैसे कर सकता है। इसके लेकर इलाके में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों पर भी सवाल उठाया गया था।

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