Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mumbai: देश का पहला प्राइवेट हिल स्टेशन 'लवासा' 1,814 करोड़ में बिका, NCLT ने दी मंजूरी

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sun, 23 Jul 2023 11:56 AM (IST)

    Indias first Private Hill Stationनेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने भारत के पहले निजी हिल स्टेशन लवासा (Lavasa) को डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर (Darwin Platform Infrastructure) को बेचने की मंजूरी दे दी है। इसमें आठ वर्षों में 1814 करोड़ रुपये के भुगतान की परिकल्पना की गई है। इसमें उधारदाताओं को 929 करोड़ रुपये और घर खरीदारों को पूरी तरह से निर्मित घर देने पर 438 करोड़ रुपये खर्च करना शामिल है।

    Hero Image
    Mumbai: देश का पहला प्राइवेट हिल स्टेशन 'लवासा' 1,814 करोड़ में बिका, NCLT ने दी मंजूरी

    मुंबई, एजेंसी। India's First Private Hill station: महाराष्ट्र के पुणे शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर पर एक लवासा हिल स्टेशन है। ये देश का पहला प्राइवेट हिल स्टेशन है, जिसकी खुबसूरती को देखने कई टूरिस्ट आते है। बता दें, ये पूरा हिल स्टेशन 1, 814 करोड़ रुपये में बिक चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने भारत के पहले प्राइवेट हिल स्टेशन लवासा को डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर कपंनी को बेचने की मंजूरी दे दी है। डार्विन कंपनी निजी हिल स्टेशन का बिजनेस करती है और इसी कंपनी ने लवासा हिल स्टेशन को 1.8 करोड़ रुपये में खरीद लिया है।

    8 साल में करना है भुगतान

    इस प्रोजेक्ट के तहत आठ सालों में 1,814 करोड़ रुपये के भुगतान की परिकल्पना की गई है। इस समाधान योजना में कर्जदाताओं को 929 करोड़ रुपये और घर खरीदारों को पूरी तरह से निर्मित घरों को मुहैया कराने पर 438 करोड़ रुपये खर्च करना शामिल है। बता दें, 837 होमबायर्स के स्वीकृत दावे कुल 409 करोड़ रुपये के हैं। ऋणदाताओं और परिचालन ऋणदाताओं सहित कंपनी द्वारा स्वीकार की गई कुल दावा राशि 6,642 करोड़ रुपये है।

    निर्माण लागत का कराना होगा भुगतान

    समाधान योजना में वास्तविक लागत के आधार पर पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने के पांच साल की अवधि के भीतर घर खरीदारों को पूरी तरह से निर्मित संपत्तियों की डिलीवरी हो सकती है। घर खरीदने वालों को परियोजना में निर्मित संपत्तियों को प्राप्त करने के लिए डार्विन को वास्तविक भविष्य की निर्माण लागत का भुगतान करना होगा। एनसीएलटी के तकनीकी और न्यायिक सदस्य श्याम बाबू गौतम और कुलदीप कुमार करीर ने 21 जुलाई को आदेश जारी किया।