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    Maoist Surrender in MP: बालाघाट माओवाद से मुक्त.. आखिरी दो माओवादी दीपक और रोहित ने भी डाले हथियार

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 02:10 PM (IST)

    बालाघाट जिले को माओवाद से मुक्ति मिल गई है। गुरुवार को आखिरी दो सक्रिय माओवादियों दीपक उर्फ सुधाकर और उसके साथी रोहित ने आत्मसमर्पण कर दिया। दोनों ने ...और पढ़ें

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    माओवादी दीपक (लाल टीशर्ट में) ने साथी रोहित संग डाले हथियार।

    डिजिटल डेस्क, जबलपुर। 90 के दशक से लाल आतंक का दंश झेल रहे मप्र के बालाघाट जिले को आखिरकार माओवाद से पूरी तरह मुक्ति मिल गई है। गुरुवार को क्षेत्र के आखिरी दो सक्रिय माओवादी—डीवीसीएम रैंक के दीपक उर्फ सुधाकर उर्फ मंगल उइके और उसके साथी एसीएम रोहित ने भी आत्मसमर्पण कर दिया है।

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    हालांकि पुलिस की ओर से आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार दोनों ने सीआरपीएफ कैंप कोरका (थाना बिरसा) में हथियार डालकर सरेंडर किया। पुलिस इस संबंध में औपचारिक कार्रवाई कर रही है।

    1995 से सक्रिय था दीपक

    दीपक उर्फ मंगल उइके वर्ष 1995 में माओवादी संगठन से जुड़ा था। वह मलाजखंड दलम का डिप्टी कमांडर और डीवीसीएम स्तर का कुख्यात माओवादी माना जाता था। गुरुवार को उसने अपने साथी रोहित के साथ आत्मसमर्पण किया। दीपक ने सरेंडर के दौरान एक स्टेनगन भी सुरक्षा बलों को सौंपी।

    पालगोंदी (बालाघाट) निवासी दीपक को उसकी चुस्त रणनीति और बच निकलने की क्षमता के कारण हार्डकोर कैडर माना जाता था, लेकिन सुरक्षा बलों की लगातार सर्चिंग, दबाव और पिछले महीनों में बढ़ती सरेंडर गतिविधियों के चलते उसने भी समर्पण का रास्ता चुना।

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    कुछ दिन पहले 12 माओवादी हुए थे सरेंडर

    हाल ही में छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में एक करोड़ के इनामी रामधेर समेत 12 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। उस दौरान दीपक के भी सरेंडर करने की खबरें वायरल हुई थीं, लेकिन पुलिस ने तब इसे गलत बताते हुए खंडन किया था।

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    अब गुरुवार को आई पुख्ता जानकारी के बाद साफ हो गया है कि बालाघाट में माओवादी दलम और उनसे जुड़े हार्डकोर माओवादी सभी का अंत हो गया है।

    लक्ष्य से पहले ही मिला बड़ा परिणाम

    गृह मंत्री अमित शाह ने देश को मार्च 2026 तक माओवाद-मुक्त करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन बालाघाट ने करीब साढ़े तीन महीने पहले ही मिशन पूरा कर दिया। पुलिस ने हाल में दावा किया था कि दीपक और रोहित के सरेंडर के साथ जिले से माओवाद का अंत हो जाएगा, और अब यह दावा सच साबित हो रहा है।

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    सूत्रों के मुताबिक जनवरी में मध्य प्रदेश सरकार बालाघाट को ‘माओवाद-मुक्त जिला’ घोषित कर सकती है।