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    MP में निलंबित जज और टाइपिस्ट को जमानत देने वाले जज का तबादला, IAS संतोष वर्मा के फर्जी आदेश मामले में दिया था फैसला

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 09:37 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में ब्राह्मण बेटियों पर असभ्य टिप्पणी करने वाले IAS अधिकारी संतोष वर्मा से जुड़े फर्जी फैसले के मामले में नया मोड़ आया है। इस प्रकरण के आर ...और पढ़ें

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    डिजिटल डेस्क, इंदौर। मध्य प्रदेश में ब्राह्मण बेटियों पर असभ्य टिप्पणी करने वाले पदोन्नत आइएएस अधिकारी संतोष वर्मा से जुड़े फर्जी फैसले के मामले में नया मोड़ आ गया है। इस प्रकरण के आरोपित विजेंद्र सिंह रावत (निलंबित जज) और नीतू चौहान (टाइपिस्ट) को जमानत देने वाले सेशन जज प्रकाश कसेर का अचानक तबादला कर दिया गया है। रजिस्ट्रार जनरल ने आदेश जारी कर उन्हें इंदौर से सीधी जिले के रामपुर भेजा है। कसेर को पांच जनवरी या इससे पहले ज्वाइनिंग के लिए कहा गया है।

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    गौरतलब है कि एमजी रोड पुलिस ने विवादित आइएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ कोर्ट का फर्जी फैसला तैयार करने के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। बता दें कि इसी फर्जी फैसला आदेश के जरिया बनाकर वर्मा ने आइएएस कैडर में पदोन्नति प्राप्त कर ली थी। इस फर्जी फैसले में जांच के दौरान इंदौर में तत्कालीन स्पेशल जज विजेंद्र सिंह रावत और उनके टाइपिस्ट नीतू चौहान की भूमिका पाए जाने पर पुलिस ने प्रकरण में उन्हें भी आरोपित बना लिया।

    आरोप है कि फर्जी आदेश विजेंद्र सिंह रावत की कोर्ट से और उनके हस्ताक्षर से जारी हुए थे। इन्हें टाइपिस्ट चौहान ने तैयार किया था। आरोपित बनाए जाने के बाद रावत को निलंबित कर दिया गया। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए रावत ने जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था।

    तीन दिसंबर 2025 को सेशन जज प्रकाश कसेर ने इस आवेदन को स्वीकारते हुए पुलिस की आपत्ति के बावजूद रावत को अग्रिम जमानत दे दी। इसी तरह टाइपिस्ट चौहान को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद रिमांड अवधि के दौरान 19 दिसंबर 2025 को जमानत दी गई थी।

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    रावत को आरोपित के बजाय लिखा था याचिकाकर्ता

    तीन दिसंबर को निलंबित जज विजेंद्र सिंह रावत के अग्रिम जमानत आवेदन को स्वीकारते हुए कसेर ने छह पेज का आदेश जारी किया था। इस आदेश में रावत को आरोपित नहीं बल्कि आवेदक याचिकाकर्ता लिखा गया था। रावत की ओर से एक सेवानिवृत्त जज ने बतौर वकील पैरवी की थी।

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    केस के किरदार

    संतोष वर्मा : प्रमोशन से IAS बनते समय कोर्ट का फर्जी फैसला प्रस्तुत किया। पोल खुली तो जेल जाना पड़ा।
    विजेंद्र सिंह रावत : संतोष वर्मा केस के दोनों फर्जी फैसले इन्हीं की कोर्ट से जारी हुए थे। फिलहाल निलंबित हैं और जमानत पर चल रहे हैं।
    जज प्रकाश कसेर : विजेंद्र सिंह रावत को इन्हीं ने जमानत दी थी। अब इंदौर जिला न्यायालय से सीधी के रामपुर सेशन कोर्ट में तबादला हुआ।