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    'नियमों का पालन किए बगैर मकान तोड़ना बन गया Fashionable', बुलडोजर कार्रवाई पर मध्य प्रदेश HC की टिप्पणी

    By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya
    Updated: Mon, 12 Feb 2024 09:26 AM (IST)

    अदालत ने कहा कि स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी भी घर को गिराना अब फैशनेबल हो गया है। पीठ ने कहा ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ताओं के परिवार के सदस्यों में से एक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था और तोड़फोड़ गतिविधियों को अंजाम दिया गया था।

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    न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है।

    जागरण न्यूज नेटवर्क, इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना अधिकारियों के लिए किसी भी घर को तोड़ना "फैशनेबल" हो गया है। हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया है। हाईकोर्ट में एक महिला ने याचिका दायर कर कहा कि उसका घर उज्जैन में नगर निगम अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से ध्वस्त कर दिया गया था।

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    बुलडोजर से मकान तोड़ने के बाद याचिकाकर्ता राधा लांगरी और विमल गुर्जर ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की पीठ ने 13 दिसंबर, 2023 को संदीपिनी नगर में किए गए कृत्य की अवैधता पर ध्यान दिया। बिना पूर्व सूचना दिए या उन्हें सुनवाई का अवसर दिए बिना उनके घरों को धवस्त कर दिया गया। न्यायमूर्ति ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी आदेश दिया।

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    अदालत ने कहा कि स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी भी घर को गिराना अब "फैशनेबल" हो गया है। पीठ ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ताओं के परिवार के सदस्यों में से एक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था और तोड़फोड़ गतिविधियों को अंजाम दिया गया था।"

    न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की पीठ ने यह भी कहा कि विध्वंस ही "अंतिम विकल्प" होना चाहिए और वह भी घर के मालिक को इसे नियमित कराने का उचित अवसर देने के बाद। हालांकि, पीठ ने कहा कि किसी को भी उचित अनुमति के बिना या नियमों का पालन किए बिना घर बनाने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया, जिन्होंने संबंधित संपत्ति के संबंध में जाली दस्तावेज तैयार किए थे।

    हाईकोर्ट के निर्देश पर उज्जैन नगर निगम आयुक्त ने मामलों की जांच की और बताया कि याचिकाकर्ताओं के घरों में आवश्यक निर्माण अनुमति का अभाव था। हालांकि, नागरिक अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए "स्पॉट पंचनामा" से संकेत मिलता है कि नोटिस पिछले मालिकों को दिए गए थे, वर्तमान मालिकों को नहीं। जस्टिस रूसिया ने मौके पर सत्यापन के बिना तैयार किए गए "मनगढ़ंत" पंचनामे के आधार पर "विध्वंस की कठोर कार्रवाई" की आलोचना की।

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    जस्टिस ने इस बात पर जोर दिया कि विध्वंस के बजाय नियमितीकरण का पता लगाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, "तोड़फोड़ ही सहारा होनी चाहिए, वह भी मालिक को घर को नियमित कराने का उचित अवसर देने के बाद।" याचिकाकर्ताओं को भवन निर्माण अनुमति के लिए आवेदन कर अपने निर्माण को वैध बनाने का निर्देश दिया गया था।

    बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित कई राज्यों ने अलग-अलग मौकों पर कई घरों को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया है कि वे अवैध रूप से बनाए गए थे। इनमें से अधिकतर कथित तौर पर अपराधों में शामिल लोगों के थे। विध्वंस को चुनौती देने वाले कई मामले देश भर की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं।