Gwalior News: सलाहकार और निर्माण एजेंसी बन सकती हैं स्मार्ट सिटी कंपनियां, शासन ने मांगे सुझाव
Gwalior News सलाहकार व निर्माण एजेंसी स्मार्ट सिटी कंपनियां बन सकती हैं। शासन ने इसके लिए सुझाव मांगे हैं। बता दें कि जून 2023 में 100 शहरों में कार्यरत स्मार्ट सिटी कंपनियों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। (फोटो- फाइल)
ग्वालियर, प्रियंक शर्मा। ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड सहित देशभर की 100 स्मार्ट सिटी कंपनियों का कार्यकाल जून 2023 में खत्म हो रहा है। इसके बाद इनका भविष्य तय करने के लिए केंद्र और राज्य शासन ने सभी स्मार्ट सिटी कंपनियों से सुझाव मांगे हैं। यह कि यदि इन्हें स्वतंत्र एजेंसी बनाया जाता है तो वे कैसे काम कर पाएंगी, कैसे राजस्व अर्जित कर सकती हैं और किस तरह शासन को भी लाभ पहुंचा सकती हैं।संभावना है कि स्मार्ट सिटी कंपनियां सलाहकार और निर्माण एजेंसी के रूप में परिवर्तित होंगी, जो शासकीय निर्माण की जिम्मेदारी उठाएंगी।
वर्ष 2016 और 2018 में केंद्र सरकार ने चरणबद्ध तरीके से 100 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत चयनित किया था। इन शहरों को पांच वर्षो यानी 2021 तक चिह्नित कार्यो को पूरा करना था। इसी बीच वर्ष 2020 में कोरोना महारानी के कारण लॉकडाउन के चलते कई परियोजनाओं की गति धीमी पड़ गई।
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दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार ने सभी स्मार्ट सिटी कंपनियों की अवधि को 30 जून 2023 तक के लिए बढ़ा दिया। अभी तक अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि जून 2023 के बाद उनके पास क्या जिम्मेदारी होगी, लेकिन अब शासन स्तर से सभी स्मार्ट सिटी कंपनियों से उनके राजस्व अर्जित करने के माडल को लेकर सुझाव मांगे जा रहे हैं।
पिछले दिनों ग्वालियर स्मार्ट सिटी ने भी अपना प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें बताया गया कि केंद्र सरकार के ग्रीनफील्ड सिटी प्रोजेक्ट की दावेदारी करने वाले साडा ने इसकी जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी कंपनी को सौंपी है।
ये दिए गए सुझाव
नगरीय विकास विभाग ने पिछले दिनों जब प्रदेश की सात स्मार्ट सिटी कंपनियों से सुझाव मांगे, तो ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन ने एक सलाहकार और निर्माण एजेंसी बनाने का सुझाव दिया। वहीं, अलग-अलग स्मार्ट सिटी कंपनियों ने राजस्व अर्जन के अपने अलग-अलग सुझाव भेजे हैं। कुछ ने कंट्रोल कमांड सेंटर को किराए पर देने तो कुछ ने अपनी परियोजनाओं से ही राजस्व वसूली के सुझाव भेजे हैं। कुछ स्मार्ट सिटी कंपनियों ने प्रवर्तन के अधिकार भी मांगे हैं, ताकि अधिकारों में वृद्धि हो सके। मंत्रालय स्तर पर इन सुझावों का परीक्षण शुरू कर दिया गया है।
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग आयुक्त भरत यादव ने बताया कि प्रदेश की सभी स्मार्ट सिटी कंपनियां कैसे राजस्व अर्जित करेंगी और इनका भविष्य क्या हो सकता है, इसके लिए सुझाव मंगाए गए हैं। कुछ शहरों से सुझाव आ गए हैं। इनका परीक्षण किया जा रहा है कि आगे कैसे स्मार्ट सिटी कंपनियां संचालित हो सकती हैं और उनका भविष्य क्या होगा।
ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन के सीईओ नीतू माथुर ने बताया कि शासन स्तर से आदेश आए थे कि ग्वालियर स्मार्ट सिटी कंपनी कैसे राजस्व कमा सकती है, इसके सुझाव भेजे जाएं। हमने अपने सुझाव भेज दिए हैं कि हम सलाहकार बनकर काम कर सकते हैं या फिर निर्माण एजेंसी भी बन सकते हैं। अंतिम निर्णय शासन स्तर से ही होना है।
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