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    MP के छतरपुर की कल्पना ने महिलाओं को किया प्रेरित, चक्की से शुरुआत कर वनोपज की खरीद-बिक्री से बढ़ाई आय

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Mon, 02 Jan 2023 05:41 PM (IST)

    कल्पना गुप्ता 12वीं कक्षा तक पढ़ी हैं। पति बालकिशोर गुप्ता किशनगढ़ के पास राईपुरा गांव में छोटी सी परचून की दुकान चलाते थे। इसके बाद वह बैंक से एक लाख र ...और पढ़ें

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    कियोस्क सेंटर का संचालन करती कल्पना गुप्ता। (नईदुनिया)

    छतरपुर, अब्बास अहमद। मध्य प्रदेश में छतरपुर जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर पहाड़ी क्षेत्र में बसा गांव किशनगढ़। यहां रहने वाली 18 सौ की आबादी ज्यादातर आदिवासी है। पहाड़ी क्षेत्र होने से सड़क, पानी का अभाव है। इस गांव में रहने वाली कल्पना गुप्ता ने मेहनत के बल पर अपनी किस्मत तो बदली ही, गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने में सहायता की है। उन्होंने 40 महिलाओं के साथ मिलकर बैंक को गांव के घर-घर तक पहुंचा दिया है। बैंक ने इन सभी को नाम दिया है, बैंक सखी।

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    मसाला पीसने वाली चक्की से घूमा किस्मत का चक्का

    कल्पना गुप्ता 12वीं कक्षा तक पढ़ी हैं। पति बालकिशोर गुप्ता किशनगढ़ के पास राईपुरा गांव में छोटी सी परचून की दुकान चलाते थे। इससे परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा था। रोजगार मेले में मिली सलाह के अनुसार, कल्पना गुप्ता ने एक समूह बनाया और बैंक से 10 हजार रुपये का लोन लेकर मसाला पीसने वाली चक्की लगाई। बस चक्की के चक्के ने किस्मत बदलनी शुरू कर दी। बाद में और महिलाओं को साथ जोड़ा। बैंक से एक लाख रुपये का लोन लेकर परचून की दुकान को बढ़ाया। व्यापार को विस्तार दिया और कल्पना का बनाया महिला समूह वनोपज महुआ और चिरौंजी की खरीद-बिक्री करने लगा।

    उत्पादक समूह बनाया तो और बढ़ी आमदनी

    सफलता मिली तो कल्पना ने महिलाओं का उत्पादक समूह बनाया। लोन लेकर महुआ और चिरौंजी के व्यापार को बढ़ाया। अब कल्पना गुप्ता 25-30 हजार रुपये प्रतिमाह कमाती हैं। उनके समूह से जुड़ी महिलाओं की आमदनी भी 10-15 हजार रुपये प्रतिमाह हो गई है।

    बहनों ने घर-घर पहुंचा दिया बैंक

    कल्पना की सफल यात्रा यहीं नहीं रुकी। उन्होंने बैंक के ग्रामीण कियोस्क सेंटर का जिम्मा लिया। ग्रामीण महिलाओं को इसका संचालन सिखाया। अब ये महिलाएं गांव में घर-घर जाकर पेंशन, मनरेगा की राशि का आहरण करवाती हैं। इससे सरकार की योजनाओं की राशि भी सीधे ठीक हाथों में पहुंच रही है।

    संदीप जीआर, कलेक्टर, छतरपुर ने कहा, 'ग्रामीण क्षेत्र में ये महिलाएं बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं। जिले में ग्रामीण और शहरी आजीविका मिशन और दूसरे उपक्रमों से जोड़कर महिलाओं को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया जा रहा है।'

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