MP High Court: दो वयस्क सहेलियों को साथ रहने की मिली अनुमति, पिता की याचिका निरस्त
MP High Court मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दो युवतियों को साथ रहने की अनुमति दे दी है। युवती के पिता ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि 22 साल की एक य ...और पढ़ें

जबलपुर, जागरण आनलाइन डेस्क। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (MP High Court) ने दो वयस्क सहेलियों की इच्छाओं का सम्मान करते हुए उन्हें एक साथ रहने के लिए स्वतंत्र कर दिया। इसके साथ ही इनमें से एक दोस्त के पिता की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि दोस्तों को अपने जीवन के फैसले लेने का पूरा अधिकार है क्योंकि वे वयस्क हैं।
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रवि मलीमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष हुई। जबलपुर निवासी पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर इस दौरान हुई सुनवाई में आरोप लगाया गया था कि 22 साल की एक युवती ने उनकी 18 साल की बेटी को बरगलाया और जबलपुर से भोपाल ले गई। उसने उसे जबरन बंधक बना लिया है। इसलिए इसे मुक्त कर सौंप दिया जाये।
निर्देशों के अनुपालन में पुलिस ने युवती को पेश किया
हाईकोर्ट ने इस जानकारी को रिकार्ड में लेते हुए जबलपुर के खमरिया थाना पुलिस को 18 वर्षीय युवती को बंधक बनाकर पेश करने का निर्देश दिया। इसके बाद पुलिस लड़की को भोपाल के एक हॉस्टल से जबलपुर ले आई और कोर्ट में पेश किया।
सहेलियों ने एक घंटे तक चर्चा की
इस दौरान कोर्ट रूम में 22 वर्षीय सहेली भी मौजूद थी। कोर्ट ने दोनों सहेलियों को एक घंटे का समय दिया और आपस में चर्चा करने को कहा। एक घंटे बाद दोनों फिर कोर्ट में पेश हुए।
बयान में कहा- मुझे सहेली का साथ पसंद है परिवार नहीं
कोर्ट के सामने दिए अपने बयान में 18 साल की लड़की ने साफ कर दिया कि उसे एक-दूसरे का साथ पसंद है।
इसलिए दायर की गयी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। कोर्ट ने दोनों सहेलियों के साथ रहने की इच्छा का सम्मान करते हुए अपनी मर्जी से बंधक बनाए जाने के आरोप में लड़की के बयान को गंभीरता से लिया और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी।
पहले थाने पहुंचा था मामला
हाईकोर्ट से पहले मामला थाने पहुंचा था। 18 वर्षीय लड़की के पिता ने खमरिया थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाते कराई थी कि उसकी 22 वर्षीय सहेली उसकी बेटी को ले गई। इसलिए पुलिस तलाश में जुट गई है। पिता का आरोप है कि 22 वर्षीय सहेली के माता-पिता की मौत के बाद वे उसकी देखभाल करने लगी।
इस दौरान वह दोनों करीब आ गई। दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए। इस दोस्ती को प्यार में बदलने की बात करते हुए दोनों साथ में पूरी जिंदगी बिताने का दम भरने लगी। विरोध हुआ तो वह घर से भाग गई।

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