एनकाउंटर में मारे गए खूंखार सिमी आतंकियों के वकील की याचिका खारिज
केंद्रीय जेल भोपाल जेल ब्रेक कांड के बाद पुलिस मुठभ़ेड में मारे गए खूखांर सिमी आतंकियों के वकील की याचिका विशेष न्यायाधीश ने खारिज कर दी।
By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 25 Dec 2016 04:06 AM (IST)Updated: Sun, 25 Dec 2016 04:20 AM (IST)
भोपाल, ब्यूरो। केंद्रीय जेल भोपाल जेल ब्रेक कांड के बाद पुलिस मुठभ़ेड में मारे गए खूखांर सिमी आतंकियों के वकील की शनिवार को विशेष न्यायाधीश एनआईए शशि भूषण पाठक ने याचिका खारिज कर दी। मृृत अभियुक्त खालिद अहमद की तरफ से अधिवक्ता सैयद साजिद अली ने न्यायालय से जेल में बंद आरोपियों को बाहरी सुविधा दिए जाने के साथ ही एनकाउंटर से जु़डे अधिकारियों और दस्तावेज की जानकारी चाही थी।
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न्यायाधीश शशि भूषण पाठक ने माना कि मामला राष्ट्र और आम लोगों की सुरक्षा से जु़डा होने के कारण संवेदनशील है। ऐसे में इससे जु़डे अधिकारियों के नाम और दस्तावेज उजागर नहीं किए जा सकते हैं। खालिद समेत अन्य 7 आतंकी 30-31 की दरमियानी रात 2 से 3 बजे के बीच प्रहरी रमाशंकर यादव की हत्या करके फरार हो गए थे। ऐसे में यह नहीं माना जा सकता है कि वे पुलिस अभिरक्षा में थे। यह न्यायालय में प्रस्तुत जेल, पुलिस और प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराए गए रिकॉर्ड और साक्ष्य से साबित हो जाता है। इसके लिए अभियोजन पक्ष अपने आवेदन के संबंध में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं करा पाएं हैं।आदेश के कुछ तथ्य
--बचाव पक्ष के वकील द्वारा एनकाउंटर से जु़डे जो दस्तावेज प्रकरण में चाहे गए हैं, उनका इस प्रकरण से कोई संबंध नहीं है। मुठभ़ेड में भाग लेने वाले सुरक्षाबलों के नाम आदि की भी जानकारी चाही है, जो राज्य की आंतरिक सुरक्षा और संवेदनशील होने के कारण नहीं दी जा सकती है।
--सभी फरार अभियुक्तगण खतरनाक प्रकृृति के अपराधी थे, जिनके संबंध में राष्ट्र और समाज तथा जन सामान्य को घोर क्षति की आशंका को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों द्वारा त्वरित कार्रवाई की गई थी।
--मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्रीय जेल से फरार और एनकाउंटर के संबंध में जांच आयोग गठित कर दिया है।
--मृृत अभियुक्त खालिद अहमद की ओर से उक्त अभियुक्त के किसी परिवार के सदस्य द्वारा इस संबंध में आवेदन देने हेतु मृृत अभियुक्त खालिद अहमद के अधिवक्ता साजिद अली को अधिकृृत तक नहीं किया गया है।
--उपरोक्त सभी अभियुक्त हत्या और हत्या के प्रयास समेत अन्य जघन्य अपराधों के अपराधी रहे हैं। जेल ब्रेक करने के बाद वे न तो न्यायिक अभिरक्षा में रहे और न ही पुलिस अभिरक्षा में। बल्कि वे फरार और भागे हुए अपराधी रहे।
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