इंदौर, जागरण आनलाइन डेस्क। Laparoscopic Surgery: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी यानी कि दूरबीन के द्वारा किए जाने वाले आपरेशन। इसे लेकर एक गलत धारणा है कि ये आपरेशन पूरी तरह सफल नहीं होते। हालांकि यह बात ठीक नहीं है। ये आपरेशन पारंपरिक आपरेशनों की तुलना में सफल होने के साथ-साथ अधिक सुरक्षित भी हैं।
छोटे से छेद से की जाती है सर्जरी
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में ब्लीडिंग बहुत कम होती है। इसमें कोई बड़ा चीरा भी नहीं लगता। यही कारण है कि दूरबीन आपरेशन में रिकवरी जल्दी होती है। इस प्रक्रिया से आपरेशन के बाद मरीज को लंबे समय तक अस्पताल की जरूरत नहीं पड़ती।
छोटे से छेद से की जाने वाली इस सर्जरी से इंफेक्शन का खतरा भी काफी कम रहता है। पारंपरिक आपरेशन व दूरबीन आपरेशन की लागत भी लगभग बराबर है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जन डा. प्रणव मंडवारा ने बताया कि दूरबीन से की जाने वाली सर्जरी में किसी बड़े चीरे की जरूरत नहीं पड़ती। इसकी वजह से मरीज को इंफेक्शन का खतरा काफी कम हो जाता है।
अत्याधुनिक तकनीक से किए गए इस आपरेशन के बाद मरीज को बहुत जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। इससे उनका अस्पताल में भर्ती होने का खर्च कम हो जाता है।
आपरेशन का खर्चा ज्यादा लेकिन कुल लागत बराबर
डा. मंडोवारा से मिली जानकारी के अनुसार दूरबीन पद्धति में प्रयोग होने वाली अत्याधुनिक मशीनें महंगी हैं। यही कारण है कि इस विधि से आपरेशन कुछ महंगा होता है, लेकिन अन्य खर्च इतने कम होते हैं कि कुल मिलाकर जब हम आपरेशन, अस्पताल में रहने, दवाओं की लागत आदि की गणना करते हैं, तो पता चलता है कि दूरबीन विधि में किए गए आपरेशन की लागत और पारंपरिक तरीके से किए गए आपरेशन में ज्यादा अंतर नहीं है।
तेजी से बढ़ता चलन
दूरबीन सर्जरी की तकनीकों में लगातार सुधार हो रहा है। इसी वजह है कि इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है।
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