दिग्विजय के BJP-RSS की तारीफ करने पर MP में गरमाई सियासत, सीएम मोहन यादव बोले- 'आइए, भाजपा में स्वागत है'
दिग्विजय सिंह द्वारा भाजपा-आरएसएस की तारीफ से मध्य प्रदेश की सियासत गरमा गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें भाजपा में स्वागत का ऑफर दिया, जिस पर द ...और पढ़ें

दिग्विजय सिंह व मोहन यादव (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा सार्वजनिक मंच से भाजपा और आरएसएस संगठन की तारीफ करने से देश-प्रदेश में सियासत गरमा गई है। दिग्विजय के इस बयान पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मीडिया से कहा कि हमारा संगठन है ही प्रशंसा के लायक। आइए भाजपा में स्वागत है।
वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि आरएसएस आदर्श संगठन है। जो सही बात है, वह उनकी जुबान पर आ गई। हमारे यहां सबका स्वागत है, जिनके विचार हमसे मिलते हैं, वे आ सकते हैं। हालांकि, दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री के भाजपा में आने का ऑफर देने पर कहा कि अरे छोड़िए। मुझे कुछ नहीं कहना है।
संघ-भाजपा तो बहाना, उद्देश्य कांग्रेस में उपेक्षा पर निशाना
दरअसल, दिग्विजय सिंह ने अनुशासन और कार्यकर्ताओं के महत्व के तर्क पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरआरएस) और भाजपा के संगठन शक्ति की जो प्रशंसा की, वह यूं ही नहीं है। राजनीति के मंझे खिलाड़ी दिग्विजय ने ऐसा करके वास्तव में अपनी ही पार्टी कांग्रेस में वरिष्ठों की उपेक्षा को लेकर निशाना साधा है।
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कांग्रेस में घमासान
कांग्रेस पार्टी के भीतर जहां उनके बयान का शशि थरूर और सलमान खुर्शीद जैसे उन दिग्गज नेताओं ने समर्थन किया है, जो सदैव पार्टी के अंदर लोकतंत्र के लिए आवाज उठाते आए हैं। वहीं, कुछ नेताओं ने इससे असहमति भी जताई है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने एक्स पर पोस्ट किया कि संगठन शक्ति जैसे शब्द का प्रयोग जिनके संदर्भ में किया जा रहा है वो व्यक्ति संगठन शक्ति से नहीं बल्कि षड्यंत्र, साजिश, घृणा, वोट चोरी तथा उद्योगपतियों के धनबल के सहारे प्राप्त सत्ता से प्रधानमंत्री बने है।
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पार्टी नेतृत्व की बढ़ी दुविधा
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले दिग्विजय सिंह ने एक्स पर पोस्ट कर संघ और भाजपा की संगठनात्मक मजबूती के हवाले से एक प्रकार से अपनी ही पार्टी के संगठन पर निशाना साधा। संघ की प्रशंसा करके भले ही अब उन्होंने चुप्पी साध ली है लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के लिए उलझन पैदा कर दी है। माना जा रहा है कि एक बार फिर वरिष्ठों की उपेक्षा को लेकर इनकी लामबंदी से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
वरिष्ठ नेता हाशिये पर
इस बार यह आवाज उस मध्य प्रदेश से उठी है, जहां कांग्रेस मजबूत और सीधे भाजपा से मुकाबले में है। हालांकि, पीढ़ी परिवर्तन से यहां भी उपेक्षा के स्वर उठते रहे हैं। आज भी वरिष्ठ नेता हाशिए पर हैं। किसी के पास कोई खास काम नहीं है। फिर चाहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह हों या फिर अन्य नेता। ये सभी अपने क्षेत्र में ही सिमटकर रह गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ भी परिदृश्य से लगभग गायब हैं। संगठन सृजन अभियान के माध्यम से जिला और ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त किए गए लेकिन विरोध हर जगह सुनाई दिया।

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