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Indore मंदिर हादसे में 35 की मौत, डूब रही मां के मुंह से मासूम ने निकाला पानी; पैरों के पास तैर रही थी लाशें

इंदौर के मंदिर में हुआ हादसा भयावह था। इस हादसे में कई लोगों ने अपनों को खो दिया। इस हादसे में 6 साल की दो मासूम बच्चियों ने भी अपनी मां को अपनी आखों के सामने पानी में डूबता देख पानी में फूंक मार कर बचाने की कोशिश की।

By Versha SinghEdited By: Versha SinghPublished: Fri, 31 Mar 2023 08:28 AM (IST)Updated: Fri, 31 Mar 2023 08:28 AM (IST)
डूब रही मां के मुंह से मासूम ने निकाला पानी

इंदौर (मध्य प्रदेश)। Indore Temple Accident: मैं मम्मी और वेदा(छोटी बहन) के साथ पूजा करने गई थी। सब लोग कुआं(बावड़ी) पर चढ़ गए थे। अचानक स्लैब टूट गया और हम सब नीचे गिर गए। मैंने मम्मा का हाथ पकड़ा, लेकिन वह तो पानी में चली गई। एक अंकल का हाथ पकड़ कर मैं सीढ़ी के पास गई।

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वेदा भी मेरे पास में थी। मम्मा पानी में डूब रही थी। उनके मुंह में पानी घुस रहा था। बुलबुले देख कर मैंने एक हाथ से पानी हटाया। मुंह के पास फूंक मारी और पानी रोकने की कोशिश की। कुएं में अंधेरा था। थोड़ी देर बाद मुझे कुछ नहीं दिखा। बहुत देर बाद एक अंकल आए और मेरा हाथ पकड़ लिया।

यह कहना है छह वर्षीय एलिना खुबचंदानी का जो अपनी 3 साल की छोटी बहन वेदा और मां भूमिका के साथ बावड़ी में गिरी थीं। वेदा और एलिना को सुरक्षित निकाल लिया लेकिन बच्चों की मां भूमिका की डूबने से मृत्यु हो गई।

मेडिकल संचालक उमेश खानचंदानी की पत्नी भूमिका दोनों बेटी एलिना-वेदा और सास रेखा, देवरानी जीवन और भतीजे हितांश के साथ पूजा करने बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर(सर्वोदय-स्नेह-पटेलनगर) आई थी। करीब साढ़े 11 बजे हवन समाप्त हुआ था। राम नवमी के कारण मंदिर में बहुत ज्यादा भीड़ थी।

कॉलोनी और हॉस्टल के लोग थे अधिक संख्या में

रामनवमी के दिन मंदिर में भंडारे का आयोजन किया गया था जिसके कारण कॉलोनी और हॉस्टल की बच्चियां, महिलाएं अधिक संख्या में मंदिर पहुंची थी। पूर्णाहुति के लिए भीड़ स्लेब पर चढ़ गई जहां हवन हो रहा था।

पुजारी लक्ष्मीनारायण शर्मा ने जैसे ही भगवान राम की आरती की थाली उठाई तभी अचानक भरभरा कर स्लैब टूट कर नीचे गिर गया। एलिना-वेदा सीढ़ी पकड़ कर खड़ी रही, लेकिन उनकी मां भूमिका की मौत हो गई। दोनों मासूम करीब दो घंटे तक सीढ़ी पकड़ कर खड़ी रहीं।

एलिना के बगल में ही उनकी मां भूमिका डूब रही थी। पानी घुसने के कारण भूमिका के मुंह से बुलबुले उठने लगे। एलिना ने पहले हाथ से पानी हटाया। मां की मौत से अनजान मासूम ने पानी में फूंक मारी ताकि मां के मुंह से पानी रोका जा सके। चोइथराम अस्पताल में भर्ती एलिना उस दृश्य को याद कर कांप जाती है।

स्लैब पर खड़े लोग झटके से गिरे नीचे

जैसा नवलखा निवासी रवि पाल ने बताया कि मंदिर में चल रहा हवन तो खत्म हो चुका था और हवन के बाद पुजारी आरती करने वाले थे। आरती की थाली को हाथ लगाने के लिए लोगों की भारी भीड़ स्लैब के ऊपर आ पहुंची।

इस दौरान अचानक स्लैब टूटा और स्लैब पर खड़े सभी लोग झटके के साथ पानी में गिर गए। पानी गंदा और गहरा था। नीचे गिरे और झटके से उपर आए। जिसको तैरना आता था वह दीवार और सीढ़ियों तक पहुंच गया, लेकिन जो लोग तैरना नहीं जानते थे वो डूब गए।

स्लैब गिरने के बाद हमारे पैरों के पास लाशें तैर रही थी। चारों तरफ से लोगों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी। कुछ देर बचने के लिए छटपटाहट हुई, लेकिन उसके बाद लोग डूबने लगे और रोने की आवाजें भी कम होती गई।

बचाने वाले वक्त पर पहुंचते तो शायद सब बच सकते थे। मेरी मां पुष्पा, पत्नी वर्षा और बेटा तनिष्क भी भीड़ में बिछड़ गई। वहां अंधेरा इतना था कि पास में कौन खड़ा है यह भी दिखाई नहीं दे रहा था।

40 साल पहले लगाया गया था स्लैब

जैसा पुजारी लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया कि हवन समाप्त होने के बाद मैं भगवान राम की आरती की तैयारी कर रहा था। 12 बजे के पहले आरती करनी थी। इस दौरान आरती में कई महिलाएँ और बच्चे शामिल हुए थे। अचानक स्लैब टूट गया और सभी लोग 45 फीट गहरी बावड़ी में गिर गए।

सभी झटके से पानी में गए और उछल कर ऊपर आए। मुझे तो तैरना आता था। मैं तैरते हुए सीढ़ियों तक आ गया। पानी बहुत गंदा था। महिलाओं को तैरना नहीं आया और वो डूब गईं। स्लैब करीब 40 साल पहले लगाया गया था।

एक दूसरे का हाथ पकड़ की बचने की कोशिश

जैसा पटेलनगर निवासी लकड़ी कारोबारी भावेश पटेल ने बताया कि लोगों के बावड़ी में गिरते ही हाहाकार मच गया था। बच्चों और महिलाओं की रोने की आवाजें आ रही थी। तैरने वाले दीवार तक पहुंच गए।

अंधेरे में किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन लोग एक दूसरे के हाथ को पकड़ रहे थे। 10-12 लोग तो मेरे सामने ही लाश बन पानी में तैर रहे थे। लोगों ने उन्हें खींचने की कोशिश की, लेकिन उनमें जान ही नहीं थी।

आरती के समय उमड़ी लोगों की भारी भीड़

जैसा व्यवसायी महेश कौशल ने बताया कि लोग हवन में बैठे हुए थे। हवन कुंड बावड़ी के उपर बनाया गया था। लोग भजन गा रहे थे। पहले तो भीड़ कम थी, लेकिन आरती के वक्त लोग भारी संख्या में उमड़ पड़े।

स्लैब टूटते ही सब बावड़ी में डूब गए। मुझे तो तैरना भी नहीं आता था, लेकिन भगवान ने चमत्कार किया और मैं सीढ़ियों के पास पहुंच गया। करीब एक घंटे सीढ़ी का कोना पकड़ कर खड़ा रहा।

बावड़ी से निकलते ही पढ़ी हनुमान चालीसा

बीके सिंधी कालोनी निवासी लक्ष्मण दलवानी भी बावड़ी में गिरे थे। उन्हें करीब दो घंटे बाद निकाला गया। आक्सीजन की कमी होने से उनकी तबीयत खराब हो गई थी। निगमकर्मी उन्हें निजी अस्पताल लेकर पहुंचे।

प्रारंभिक उपचार के बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। अस्पताल में भी वह हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और एमआइसी सदस्य बबलू शर्मा हाल जानने पहुंचे तो आंख भर आई।

महिलाओं और बच्चों की लाशें तैर रही थी

जैसा कुमार सेठी ने बताया कि मैं काफी देर तक पानी में हाथ पैर चला कर बचने की कोशिश करता रहा। चारों तरफ से बचाओ-बचाओ की आवाजें आ रही थी।

थोड़ी देर बाद पुलिस ने रस्सी डाल दी। मैं रस्सी पकड़ कर दो घंटे तक एक जगह पर खड़ा रहा, लेकिन महिलाओं और बच्चों की लाशें मुझे दिख रही थी।


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