यहां हर महीने होते हैं 36 सड़क हादसे, काल के मुंह में समाते हैं कर्इ लोग

उत्तराखंड में हर महीने 36 सड़क हादसे होते हैं। जिसमें कर्इ लोग अपनी जान गंवा देते हैं। ये ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 07 Sep 2018 02:47 PM (IST) Updated:Fri, 07 Sep 2018 04:26 PM (IST)
यहां हर महीने होते हैं 36 सड़क हादसे, काल के मुंह में समाते हैं कर्इ लोग
यहां हर महीने होते हैं 36 सड़क हादसे, काल के मुंह में समाते हैं कर्इ लोग

हल्द्वानी, [गोविंद बिष्ट]: ओवरस्पीड, ओवरलोड और सड़कों की खस्ताहाल हालत की वजह से उत्तराखंड में अब तक 7477 हादसे हो चुके हैं। ग्राफ हर माह 36 हादसों को पार कर चुका है। यह आंकड़ा राज्य बनने के बाद 17 साल का है। इसमें 843 बस दुर्घटना शामिल हैं। 

जिम्मेदार महकमों की आधी-अधूरी तैयारी की वजह से प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। धूमाकोट हादसे में 48 लोगों की मौत के बावजूद सरकारी मशीनरी ने इन पर लगाम कसने को गंभीरता नहीं दिखाई। इसका नतीजा गुरुवार को भिकिसासैंण हादसे के तौर पर देखने को मिला। वहीं आंकड़ों की माने तो हर माह चार बस एक्सीडेंट होते हैं। इन हादसों में 2497 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पांच हजार लोग घायल हुए है। 

सबसे ज्यादा कार एक्सीडेंट 

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा हादसें कार चालकों के साथ हुए है। 17 साल में 2129 कार एक्सीडेंट, 1548 बाइक, 1139 ट्रक, 969 टैक्सी, 849 जीप वाहनों से दुर्घटना हुई है। 

पांच माह में नैनीताल में 45 की मौत 

जनवरी से मई के बीच जनपद में 45 लोग अलग-अलग सड़क हादसों में जन गवां चुके हैं। यह आंकड़ा दून के बराबर है। ऊधम सिंह नगर में 92 और हरिद्वार में 76 मौत हुई है। सड़क  हादसों में मौतों को लेकर नैनीताल प्रदेश में तीसरे नंबर पर है। 

हाल में हुए बड़े हादसे 

-14 मार्च को अल्मोड़ा से रामनगर जा रही बस टोटाम के पास खाई में गिरी, 13 की मौत। 

-एक जुलाई को धूमाकोट हादसे में 48 की मौत। 

-19 जुलाई को ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर बस गिरने से 14 की मौत। 

-दो मई को थल-मुनस्यारी मार्ग पर बस खाई में गिरने से दो आइटीबीपी के जवानों की मौत। 

-जुलाई 2017 में अल्मोड़ा रोड पर लोहाली के पास बस हादसे में पांच महिलाओं की मौत। 

-फरवरी में चंपावत जिले के स्वाला में मैक्स वाहन खई में गिरने से दस की मौत। 

दस साल पुरानी थी बस 

गुरुवार को खाई में गिरी बस दस साल पुरानी है। वाहन के सभी कागज आरटीओ ऑफिस से पूरे हैं। आरटीओ राजीव मेहरा ने बताया कि पहाड़ में 15 साल पुरानी बस चलाने का नियम है। बशर्ते उसकी हालत ठीक हो। 

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