उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अब सालभर रहेगा खाद्यान्न स्टॉक, पढ़िए पूरी खबर

पर्वतीय क्षेत्रों में चार महीने के वर्षाकाल अतिवृष्टि आपदा और बर्फबारी के दौरान खाद्यान्न की कमी नहीं रहेगी।

By Edited By: Publish:Fri, 27 Sep 2019 08:14 PM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 02:21 PM (IST)
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अब सालभर रहेगा खाद्यान्न स्टॉक, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अब सालभर रहेगा खाद्यान्न स्टॉक, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में चार महीने के वर्षाकाल, अतिवृष्टि, आपदा और बर्फबारी के दौरान खाद्यान्न की कमी नहीं रहेगी। इस समस्या से निपटने को अब छह माह से सालभर तक खाद्यान्न भंडारण किया जाएगा। साथ ही भंडारण क्षमता में भी वृद्धि होगी। भंडारण क्षमता बढ़ाने की यह कवायद चार धाम ऑलवेदर रोड एवं भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बन नई और चौड़ी सड़कों की वजह से मुमकिन हो रही है।
पहाड़ों में खाद्यान्न भंडारण को बढ़ाने के लिए गोदामों की जरूरत, तलाश और मौजूदा छोटे गोदामों को मिलाकर बड़े गोदाम बनाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य को टीम उपलब्ध करा दी है। वहीं सरकार ऋषिकेश, कोटद्वार, रुड़की, हल्द्वानी और खटीमा में भी नए गोदाम खोलने जा रही है।
ढाई माह की है भंडारण क्षमता 
राज्य में करीब 80 फीसद पर्वतीय भू-भाग में खाद्यान्न गोदामों की कुल संख्या भले ही ज्यादा है, लेकिन इन गोदामों में काफी कम खाद्यान्न जमा हो पाता है। खाद्य महकमे के कुल 197 गोदामों में 174 पर्वतीय क्षेत्रों में हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में भंडारण की क्षमता करीब 5300 टन ही है। इसकी तुलना में मैदानी क्षेत्रों के 23 गोदामों की क्षमता करीब 45 हजार मीट्रिक टन है। केंद्रीय भंडारण निगम और राज्य भंडारण निगम से किराए पर लिए गए गोदामों की क्षमता करीब 80 हजार मीट्रिक टन है। प्रदेश को प्रति माह गेहूं और चावल का मासिक आवंटन करीब चार लाख कुंतल होता है, जबकि कुल मिलाकर भंडारण क्षमता 9.50 लाख कुंतल की है। यानी खाद्य महकमा करीब ढाई माह तक खाद्यान्न का भंडारण कर सकता है। 
पहाड़ों में बचेगी ट्रांसपोर्टेशन लागत 
पर्वतीय क्षेत्रों में खाद्यान्न भंडारण क्षमता में इजाफा किया जाएगा। अभी यह क्षमता कम होने का नुकसान ये है कि खाद्यान्न को कम मात्रा में कई स्थानों पर रखना पड़ रहा है। इससे ट्रांसपोर्टेशन की लागत ज्यादा पड़ रही है। साथ में वर्षाकाल में या बर्फबारी वाले क्षेत्रों में बामुश्किल तीन माह ही खाद्यान्न का भंडारण हो पाता है। अभी तक राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कम चौड़ी सड़कों की वजह से ज्यादा भंडारण में दिक्कतें पेश आ रहीं थीं। 
केंद्रीय टीम करेगी अध्ययन 
अब प्रदेश में चौड़ी सड़कों का जाल बिछने से बड़े वाहनों के माध्यम से दूरदराज क्षेत्रों में ज्यादा खाद्यान्न का भंडारण किया जा सकता है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने बड़े गोदाम बढ़ाने का निर्णय लिया है। खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में भंडारण क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता, गोदामों की संख्या में वृद्धि समेत तमाम पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। अध्ययन के लिए केंद्र सरकार ने भी टीम मुहैया करा दी है। खाद्यान्न भंडारण बढऩे से पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा के दौरान तत्काल मदद उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। लंबे अरसे से इसकी जरूरत महसूस की जा रही है। 
कोटद्वार में दो नए गोदाम चिह्नित 
उन्होंने बताया कि ऋषिकेश, खटीमा, हल्द्वानी, रुड़की और कोटद्वार में नए गोदाम खोले जाने हैं। इसके लिए भूमि की तलाश की जा रही है। कोटद्वार में सहकारिता विभाग के दो नए गोदाम उपलब्ध हो जाएंगे। खटीमा और हल्द्वानी में भूमि चिह्नित की जा रही है। 
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