सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की नाबालिग की जमानत याचिका, वीडियो वायरल होने के बाद लड़की के आत्महत्या करने का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील की सारी दलीलें सुनने और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री का अध्ययन करने के बाद हम इस स्तर पर हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं। नाबालिग ने हाई कोर्ट का रुख किया था जिसमें उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिसमें उसने पिछले साल आत्महत्या करने वाली 14 वर्षीय लड़की का वीडियो बनाने और वायरल करने के आरोपी एक नाबालिग लड़के को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए गए अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील की सारी दलीलें सुनने और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री का अध्ययन करने के बाद हम इस स्तर पर हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए, विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
नाबालिग ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उसकी जमानत की अर्जी खारिज कर दी गई थी।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लड़की पिछले साल 22 अक्टूबर से अपने घर से लापता थी। बाद में उसका शव बरामद किया गया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नाबालिग आरोपी पर अपनी सहपाठी लड़की का एक वीडियो बनाने और उसे छात्रों के बीच वायरल करने का आरोप था। लड़की उसे सहन नहीं कर सकी। इसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।
यदि बच्चे को जमानत नहीं दी गई तो उसका सर्वोत्तम हित होगा
हाई कोर्ट ने जमानत याचिका को रद्द करते हुए कहा था कि मेडिकल जांच रिपोर्ट और स्कूल की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद हमारा विचार है कि यदि बच्चे को जमानत नहीं दी गई तो उसका सर्वोत्तम हित होगा। यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो यह निश्चित रूप से न्याय के उद्देश्यों को प्रभावित करेगा। नाबालिग स्कूल में अनुशासनहीनता करता था।