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अल्‍मोड़ा के नौ गांव की बंजर भूमि में उगी ये वनस्पति, लोगों की आर्थिकी हो रही मजबूत

अल्मोड़ा जिले के सतराली क्षेत्र के नौ गांवों में करीब छह हजार हेक्टेयर बंजर भूमि में प्राकृतिक रूप से उगी कुण्जापाती (आर्टीमीशिया) अब वहां के निवासियों को आर्थिक संबल दे रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 08:44 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 08:38 PM (IST)
अल्‍मोड़ा के नौ गांव की बंजर भूमि में उगी ये वनस्पति, लोगों की आर्थिकी हो रही मजबूत
अल्‍मोड़ा के नौ गांव की बंजर भूमि में उगी ये वनस्पति, लोगों की आर्थिकी हो रही मजबूत

देहरादून, केदार दत्त। कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के सतराली क्षेत्र के नौ गांवों में करीब छह हजार हेक्टेयर बंजर भूमि में प्राकृतिक रूप से उगी कुण्जापाती (आर्टीमीशिया) अब वहां के निवासियों को आर्थिक संबल दे रही है। यह संभव हो पाया सगंध पौधा केंद्र (कैप), देहरादून के प्रयासों से। कैप ने कुण्जापाती से सुगंधित तेल निकालने के लिए मोबाइल आसवन संयंत्र लगाया है। इसमें स्थानीय ग्रामीणों से तीन सौ रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से कुण्जापाती वनस्पति खरीदी जा रही है। पांच दिन के भीतर वहां सात किलो सुगंधित तेल तैयार कर लिया गया है। कैप के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान के मुताबिक वेस्ट को वेल्थ में बदलने को ऐसी पहल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी की जाएंगी।

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अल्मोड़ा के ताकुला ब्लाक के अंतर्गत सतराली क्षेत्र के नौ गांवों थापला, पनेरगांव, कांड़े, लोहना, ईसराना, बीना, झारकोट, कोतवालगांव व अमखोली में 12600 नाली कृषि भूमि है। इसमें से केवल 6600 नाली में ही खेती हो रही है। शेष 6000 नाली कृषि योग्य भूमि बंजर में तब्दील हो चुकी है। इस बीच सगंध पौधा केंद्र को जानकारी मिली कि इन गांवों में बंजर भूमि पर कुण्जापाती (आर्टीमीशिया) नामक सुगंधित वनस्पति के पौधे बड़ी संख्या में उगे हुए हैं। ग्रामीण इसे किसी उपयोग में भी नहीं ला पा रहे थे।

सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डॉ.नृपेंद्र चौहान के मुताबिक प्राकृतिक रूप से उगे कुण्जापाती के उपयोग का निर्णय लेते हुए वहां टीम भेजी गई। इसके साथ ही ग्रामीणों को इस बात के लिए राजी किया गया कि इस वनस्पति से उन्हें आर्थिक लाभ हो सकता है। इसके लिए उन्हें इसे काटना होगा और फिर सगंध पौधा केंद्र इसे खरीदेगा। सहमति बनी कि ग्रामीणों से 300 रुपये प्रति कुंतल की दर पर कुण्जापाती खरीदा जाएगी।

डॉ.चौहान ने बताया कि यह सहमति बनने के बाद पांच दिन पहले क्षेत्र के थापला गांव में मोबाइल डेस्टिलेशन यूनिट (आसवन संयंत्र) लगाया गया। उन्होंने बताया कि रोजाना ही बड़ी संख्या में लोग कुण्जापाती लेकर आसवन संयंत्र में पहुंच रहे हैं। अब तक संयत्र में कुण्जापाती से करीब सात किलो सुगंधित तेल तैयार किया जा चुका है। लोग इस बात से खुश हैं कि कुण्जापाती से उन्हें पैसा भी मिल रहा है और खेत भी साफ हो रहे हैं।

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बेहद उपयोगी है सुगंधित तेल

डॉ.चौहान बताते हैं कि कुण्जापाती औषधीय गुणों से भी लबरेज है। इसके तेल का उपयोग कॉस्मैटिक सामग्री, एरोमा थैरेपी और फ्रेगनेंस इंडस्ट्री में होता है। एक कुंतल कुण्जापाती से 200 ग्राम सुगंधित तेल निकलता है। इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 4200 रुपये प्रति किलो है।

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