भूकंप की दृष्टि से बेहद नाजुक है आधे देहरादून की ऊपरी सतह

वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के शोध के मुताबिक भूकंप की दृष्टि से दून की जमीन की ऊपरी परत बेहद कमजोर है। कमजोर सतह वाले क्षेत्र में ही सबसे अधिक बहुमंजिला इमारतें खड़ी हैं।

By BhanuEdited By: Publish:Tue, 07 Feb 2017 11:00 AM (IST) Updated:Wed, 08 Feb 2017 06:30 AM (IST)
भूकंप की दृष्टि से बेहद नाजुक है आधे देहरादून की ऊपरी सतह
भूकंप की दृष्टि से बेहद नाजुक है आधे देहरादून की ऊपरी सतह

देहरादून, [जेएनएन]: सोमवार रात को रुद्रप्रयाग में आए भूकंप से दून की धरा भी कांपी है। दून के लिए चिंता इस लिहाज से भी अधिक है कि यहां की जमीन की ऊपरी परत बेहद कमजोर है। गंभीर यह कि जिस हिस्से में सबसे अधिक बहुमंजिला इमारतें खड़ी हैं, वहीं की सतह सबसे कमजोर है।

यह जगह है राजधानी की धड़कन 'घंटाघर' व टॉप कमर्शियल एरिया राजपुर रोड। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के शोध में इस बात का खुलासा हो चुका है। यह बात और है कि सरकारी तंत्र ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।

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भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन-चार में बसे दून की 'छाती' पर जिस तरह से बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं, उससे भू-वैज्ञानिकों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। राजधानी की जमीन इन इमारतों का बोझ सहने में कितनी सक्षम है, यह पता लगाने के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने दून के विभिन्न हिस्सों का अलग-अलग अध्ययन किया था।

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सिस्मिक माइक्रोजोनेशन ऑफ देहरादून सिटी के इस अध्ययन में राजधानी को 50 छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा गया। शोध में जो नतीजे सामने आए वह भविष्य में बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहे है।

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घंटाघर व राजपुर रोड आदि क्षेत्र की जमीन की ऊपरी सतह काफी कमजोर पाई गई। जबकि इन इलाकों में सबसे अधिक मल्टीस्टोरीज बिल्डिंग्स हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि यहां बन रहे भवनों के डिजाइन भूमि की क्षमता के अनुसार नहीं है।

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कमजोर सतह के इलाके

घंटाघर के आसपास का बाजार, राजपुर का व्यवसायिक क्षेत्र, हाथीबड़कला, जाखन, राजपुर, करनपुर, राजपुर रोड की ऑफिसर कालोनी, खुड़बुड़ा मोहल्ला आदि।

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जलोड़ी मिट्टी से बनी है ऊपरी सतह

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक उत्तर दिशा के भाग की जमीन के नीचे हार्ड रॉक्स तो हैं, मगर ऊपरी सतह जलोड़ी मिट्टी से बनी है। यह भूकंप आने पर जल्दी बिखर जाती है। यहां बड़े भवन सिर्फ शेयर वेव विलोसिटी तकनीक के अनुसार बनने चाहिए।

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