शराब कारोबार में गिरावट, फिर भी दुकानों पर कैशलैस से तौबा

नवंबर माह में शराब के कारोबार 30 से 35 फीसद की गिरावट आ गई है। इसके बावजूद शराब कारोबारी स्वैप मशीन से परहेज कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि कहीं उनके गौरखधंधे की पोल न खुल जाए।

By BhanuEdited By: Publish:Sat, 03 Dec 2016 03:12 PM (IST) Updated:Sun, 04 Dec 2016 07:45 AM (IST)
शराब कारोबार में गिरावट, फिर भी दुकानों पर कैशलैस से तौबा

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: नोटबंदी के बाद भी शराब के ठेकेदारों के माथे पर शिकन तक नहीं है। इस निर्णय के तत्काल बाद से ही शराब के ठेकों पर 500 व 1000 रुपये के पुराने नोट अस्वीकार किए जाने लगे थे। फिर भी ग्राहकों के लिए डेबिट/क्रेडिट कार्ड स्वैप कराने की व्यवस्था नहीं की गई। न ही कैशलेस व्यवस्था को अपनाने पर कोई विचार किया जा रहा है। जबकि नवंबर माह में शराब के कारोबार 30 से 35 फीसद की गिरावट आ गई है।
अब आपको बताते हैं कि आबकारी विभाग क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैशलेस इंडिया की अवधारणा को पलीता लगा रहा है। शराब के हर ब्रांड पर उसका एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) लिखा होता है, मगर इससे 10 से 25 रुपये अधिक पर शराब बेची जाती है।

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नोटबंदी में बिक्री बढ़ाने के चक्कर में ठेकेदार स्वैपिंग मशीन का प्रयोग करने लगें तो उसमें एमआरपी से अधिक का झोल तुरंत पकड़ लिया जाएगा।

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आबकारी विभाग भी इस खेल को भली-भांति समझ रहा है, लेकिन मिलीभगत के चलते कोई इस पर अंकुश लगाने की जहमत नहीं उठाता। यही वजह है कि नोटबंदी के इस दौर में जहां प्लास्टिक मनी से खरीदारी का ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ा है, वहीं शराब के ठेके उसी ढर्रे पर चल रहे हैं।

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बिलिंग मशीन भी डंप
कुछ समय पहले आबकारी विभाग में शराब के ठेकों के लिए बिलिंग मशीन रखने की अनिवार्यता कर दी गई थी। कुछ दिन तक तो अधिकतर ने दिखावे के लिए मशीन साथ रखी, लेकिन धीरे-धीरे इसे डंप कर दिया गया। यदि कोई बिल मांगता भी है तो मशीन खराब होने का बहाना बनाकर उसके टरका दिया जाता है।
...तो थम जाती पैकारी भी
हर शराब ठेके को उसके अधिभार (ठेके की राजस्व दर) के अनुसार ही शराब की आपूर्ति की जाती है। अधिभार से अधिक शराब की बिक्री पर उन्हें अतिरिक्त फीस देनी पड़ती है। इससे बचने के लिए कई बार बिना रिकॉर्ड में चढ़ी शराब भी ठेकों में बेची जाती है।

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इस अंदरखाने की व्यवस्था को पैकारी कहते हैं। इसमें शराब ठेकेदार तो अतिरिक्त बिक्री पर मुनाफा कमाते हैं, लेकिन सरकार को इसका राजस्व नहीं मिल पाता। यदि शराब के ठेकों में स्वैपिंग मशीन लगा दी जाए तो पैकारी पर काफी हद तक अंकुश लग जाएगा।
स्वैपिंग मशीन रखने की हिदायत
आबकारी आयुक्त युगल किशोर पंत के मुताबिक शराब के ठेकों पर स्वैपिंग मशीन रखने की हिदायत दी जा रही है। उम्मीद है कि कुछ दिनों के भीतर सभी दुकानों पर यह मशीनें नजर आने लगेंगी। ऐसा न करने पर शराब कारोबारियों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा।

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