उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति का जज्बा भरा, आइएमए की पासिंग आउट परेड में दिखती इसकी झलक
जब देश की रक्षा की हो तो अपने उत्तराखंड का कोई सानी नहीं। यह सिर्फ कोरी बयानबाजी नहीं बल्कि आइएमए से पास आउट होने जा रहे जेंटलमैन कैडेटों के आंकड़े इसके गवाह हैं।
देहरादून, जेएनएन। बात जब देश की रक्षा की हो तो अपने उत्तराखंड का कोई सानी नहीं। यह सिर्फ कोरी बयानबाजी नहीं, बल्कि भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने जा रहे जेंटलमैन कैडेटों के आंकड़े इसके गवाह हैं। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड देश को सबसे ज्यादा जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार है।
देश की आजादी से पहले से ही यह परंपरा चली आ रही है। इस बात में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। हर छह माह बाद भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में इसकी झलक देखने को मिलती है। पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड हुई है, जिसमें कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों की तादाद अधिक न रही हो। प्रदेश की आबादी देश की आबादी का महज 0.84 फीसद है।
यदि इसकी तुलना आइएमए से कुल पासआउट होने वाले 306 भारतीय कैडेटों से करें तो राज्य के सहयोग का स्तर 19 कैडेटों के साथ छह प्रतिशत से ऊपर बैठता है। इस मुकाबले बड़े राज्य भी उत्तराखंड के आगे पानी भरते नजर आ रहे हैं। पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के कैडेट्स की संख्या भले ही सबसे अधिक 56 है, मगर इसकी तुलना वहां की आबादी के हिसाब से करें तो देश को जांबाज देने में अपना प्रदेश ही अव्वल नजर आता है।
क्योंकि उत्तर प्रदेश की आबादी का प्रतिशत देश की कुल आबादी का 16 फीसद है, जो उत्तराखंड से कहीं अधिक है। राजस्थान, पंजाब व बिहार जैसे राज्य संख्या बल में भी उत्तराखंड से कई पीछे हैं। कैडेटों की संख्या में महाराष्ट्र उत्तराखंड के साथ खड़ा है। जबकि महाराष्ट्र की आबादी उत्तराखंड से 10 करोड़ से भी अधिक है। देश को सैन्य अफसर देने के मामले में हरियाणा भी आगे है। देश की 2.09 फीसद आबादी वाले इस राज्य से करीब 13 प्रतिशत युवा सैन्य अफसर बनने जा रहे हैं।
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राज्यवार आंकड़ा
(दो कैडेट नेपाल के)
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जब देश की रक्षा की हो तो अपने उत्तराखंड का कोई सानी नहीं। यह सिर्फ कोरी बयानबाजी नहीं, बल्कि आइएमए से पास आउट होने जा रहे जेंटलमैन कैडेटों के आंकड़े इसके गवाह हैं।