उम्र पर लगी जज्बे की लगाम

शशि शौकिया तौर पर आर्टिफिशियल ज्वैलरी की एक्जिबिशन का काम करती हैं। पर उनकी बातों से उनकी उम्र का पता नहीं चलता।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 26 Nov 2016 03:03 PM (IST) Updated:Sat, 26 Nov 2016 03:15 PM (IST)
उम्र पर लगी जज्बे की लगाम

किसी ने सही कहा है कि उम्र सिर्फ अंकमात्र ही तो होती है। 'इंसान शरीर से भले ही बूढ़ा हो जाए पर दिल हमेशा जवान रहता है।' कुछ ऐसी ही सोच रखती हैं फजलगंज निवासी 65 वर्षीया शशि भाटिया। शशि शौकिया तौर पर आर्टिफिशियल ज्वैलरी की एक्जिबिशन का काम करती हैं। पर उनकी बातों से उनकी उम्र का पता नहीं चलता।

करीब 5-6 सालों से शहर की कई एक्जिबिशन में अपने स्टॉल लगा चुकीं शशि कहती हैं, 'बच्चों के सहयोग से काम शुरू हुआ। बहू-बेटे सब मदद करते हैं तो सब आसानी से हो जाता है। पहले भी मैंने खुद ही अपने बच्चों और नाती-पोतों की पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी उठाई थी। अब बच्चे कोचिंग ज्वॉइन कर चुके हैं तो मेरे पास वक्त ही वक्त था। ऐसे में मैंने सोचा कि समय खराब करने से बेहतर है कि अपने पसंद का कुछ किया जाए। आज भले ही थोड़ा-थोड़ा काम करती हूं पर इस तरह से अपने खाली वक्त का इस्तेमाल अच्छे से कर लेती हूं। मेरे बच्चे काम के लिए अपनी सलाह देते हैं उनसे हर नए ट्रेडिशन के बारे में बात करती हूं। ताकि समय के साथ चल सकूं।'

अपने काम में उम्र को आड़े आने की बात पर वे कहती हैं, 'उम्र तो केवल आंकड़ा होता है। मेरा शरीर साथ दे तो मैं कुछ न कुछ करती ही रहूं। शरीर मशीनरी ही तो होता है। जितना हम इसको चलाते रहेंगे ये उतना ही साथ देगा। डायबिटिक हूं तो शौक के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का भी अच्छे से ख्याल रखती हूं। बाकी घर की सारी जिम्मेदारियां बहू के कंधों पर सौंप दी हैं तो और भी मुक्त हूं। मैं हमेशा सकारात्मक रहना पसंद करती हूं। सबका सहयोग है तो हंसते-मुस्कुराते सब हो जाता है।'

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